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Dementia Prevention: तेजी से बढ़ रहे डिमेंशिया के केस, मेमोरी और ब्रेन को हेल्‍दी रखने के लिए अभी से अपना लें 5 आदतें

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Dementia Prevention Tips: भारत में डिमेंशिया तेजी से बढ़ता हेल्थ चैलेंज बन गया है, खासकर 60 साल से ऊपर के लोगों में. ये बीमारी याददाश्त, सोचने-समझने की क्षमता और रोज़मर्रा के कामकाज को धीरे-धीरे प्रभावित करती है. विशेषज्ञों का कहना है कि केवल दवाइयां ही नहीं, बल्कि हेल्दी लाइफस्टाइल और सही खानपान अपनाने से भी दिमाग की सेहत सुरक्षित रखी जा सकती है और डिमेंशिया के खतरे को कम किया जा सकता है.

बढ़ती उम्र में भूलने की बीमारी को अब सिर्फ “बुढ़ापे का असर” कहकर टालना ठीक नहीं. भारत में डिमेंशिया (Dementia) एक बड़ा हेल्थ चैलेंज बन चुका है. ताज़ा रिपोर्ट्स के मुताबिक, देश में करीब 8.8 मिलियन लोग, जिनकी उम्र 60 से ज़्यादा है, इस समस्या से जूझ रहे हैं. डिमेंशिया में सोचने-समझने की क्षमता, याददाश्त और रोज़मर्रा के काम करने की ताकत धीरे-धीरे कम होने लगती है. इसमें अल्ज़ाइमर, वास्कुलर डिमेंशिया, लुई बॉडी डिमेंशिया जैसी स्थितियां शामिल हैं.

डॉ. नरेंद्र के शेट्टी, चीफ़ वेलनेस ऑफिसर, क्षेमवन नेचर क्योर और योगा सेंटर, बेंगलुरु का कहना है कि सिर्फ दवाइयों पर निर्भर रहना सही नहीं, बल्कि लाइफस्टाइल में बदलाव भी ज़रूरी है. वे बताते हैं, “डिमेंशिया कोई साधारण दिमागी समस्या नहीं, बल्कि सोच, व्यवहार और इमोशन्स को भी प्रभावित करता है. यही वजह है कि ये लोगों को मेडिकल के साथ-साथ सामाजिक और भावनात्मक रूप से भी कमज़ोर कर देता है.”

डॉ. शेट्टी का मानना है कि भले ही डिमेंशिया का पक्का इलाज नहीं है, लेकिन सकारात्मक जीवनशैली और सही खानपान से इसे रोका या धीमा ज़रूर किया जा सकता है. रिसर्च में भी सामने आया है कि दिल की सेहत को सुरक्षित रखने वाली डाइट दिमाग के लिए भी फायदेमंद होती है. “हमारा शरीर दिमाग और बाकी अंगों में फर्क नहीं करता. ब्लड सर्कुलेशन, इंफ्लेमेशन और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस, ये सब दिमागी कोशिकाओं को भी उतना ही नुकसान पहुंचाते हैं जितना धमनियों को,” वे समझाते हैं.

डैश डाइट – शरीर और दिमाग दोनों के लिए- ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने के लिए बनी डैश (DASH) डाइट में फल, हरी सब्ज़ियां, साबुत अनाज और कम नमक का इस्तेमाल होता है. लाल मांस कम करने और हेल्दी फूड लेने से दिल मजबूत होता है, और दिल मजबूत तो दिमाग को भी अच्छा ब्लड फ्लो मिलता है.

मेडिटेरेनियन डाइट – दिमाग को सही फ्यूल- इस डाइट में ऑलिव ऑयल, नट्स, मछली और ताज़ी सब्ज़ियां-फ्रूट्स शामिल होते हैं. ये अच्छे फैट और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होती है. कई स्टडीज़ बताती हैं कि मेडिटेरेनियन डाइट लेने वाले लोगों में अल्ज़ाइमर का खतरा कम होता है और याददाश्त धीरे-धीरे घटती है.

कीटो डाइट – दिमाग को नई एनर्जी- कीटोजेनिक डाइट में कार्ब्स कम और हेल्दी फैट ज़्यादा लिया जाता है, जिससे शरीर में कीटोन्स बनते हैं. ये कीटोन्स दिमाग के लिए वैकल्पिक फ्यूल का काम करते हैं. शुरुआती रिसर्च में पाया गया है कि कुछ हालात में ये याददाश्त को सपोर्ट कर सकती है.

माइंड डाइट – सबसे बेहतरीन का मिश्रण- माइंड (MIND) डाइट मेडिटेरेनियन और डैश डाइट का कॉम्बिनेशन है. इसमें हरी पत्तेदार सब्ज़ियां, बेरीज़ और नट्स पर ज़ोर दिया जाता है. ये डाइट खास तौर पर सोचने-समझने की क्षमता में गिरावट को धीमा करने के लिए तैयार की गई है.

एक्‍सपर्ट कहते रहे हैं कि हर दिन थोड़ा-थोड़ा बदलाव शुरू करें. ज्यादा प्रोसेस्ड फूड और चीनी कम करें, ताज़ी सब्ज़ियां और फल ज्यादा खाएं. योगा, प्राणायाम और रोज़ाना थोड़ा वॉक करने से दिमाग एक्टिव और मूड बेहतर रहता है. सही खानपान और एक्टिव लाइफस्टाइल अपनाकर डिमेंशिया के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है. (Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)

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