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Early-Onset Alzheimers symptoms and causes: ‘सैयारा’ की वाणी को भूलने की थी ये रेयर बीमारी, दिखते हैं ऐसे लक्षण

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What is Early-Onset Alzheimer’s: आपने इस साल की ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘सैयारा’ (Saiyaara) तो जरूर देखी होगी. इस फिल्म में एक्ट्रेस अनीत पड्डा द्वारा निभाए गए किरदार वाणी बत्रा को एक रेयर बीमारी थी, जिसमें वे बातें भूल जाया करती थी. इस बीमारी को अर्ली-ऑनसेट अल्जाइमर (Early-Onset Alzheimer’s) कहते हैं. आपने अब तक अल्जाइमर के बारे में सुना होगा, जिसमें लोगों की याद्दाश्त, सोचने-समझने, तर्क करने की क्षमता धीरे-धीरे प्रभावित हो जाती है. लोग हाल-फिलहाल की घटनाओं को भूलने लगते हैं. डेली रूटीन के काम करने में परेशानी होने लगती है. लेकिन, अल्जाइमर से अर्ली-ऑनसेट अल्जाइमर कैसे अलग है? क्या कारण हैं इसके, कैसे दिखते हैं लक्षण? इस बीमारी से बचने के लिए क्या किया जा सकता है, जानिए यहां.

क्या है अर्ली-ऑनसेट अल्जाइमर?
hopkinsmedicine में छपी एक खबर के अनुसार, अल्ज़ाइमर रोग डिमेंशिया का सबसे सामान्य रूप है. यह आपकी स्मृति, सोचने की क्षमता और व्यवहार को प्रभावित करता है. कई बार ये इस लेवल तक बढ़ जाता है, जिसकी वजह से आपकी दैनिक गतिविधियां और रोजमर्रा के कार्य तक प्रभावित होने लगते हैं.

अल्ज़ाइमर एक न्यूरोलॉजिकल रोग, जो सबसे अधिक बुजुर्गों को प्रभावित करता है, लेकिन जब ये रोग 65 वर्ष से कम आयु वाले व्यक्ति में होता है, तो इसे अर्ली-ऑनसेट या यंगर-ऑनसेट अल्ज़ाइमर रोग कहते हैं. यह अल्जाइमर का एक दुर्लभ रूप है. अल्जाइमर रोग से पीड़ित बहुत कम लोगों में अर्ली-ऑनसेट रूप पाया जाता है. इनमें से कई लोग 20, 30, 40 या 50 की उम्र में इस बीमारी की चपेट में आते हैं.

अर्ली-ऑनसेट अल्ज़ाइमर रोग के कारण, रिस्क फैक्टर
एक्सपर्ट के अनुसार, इस रोग के होने का पारिवारिक इतिहास ही एकमात्र ज्ञात जोखिम कारक है. स्पेसिफिक जीन म्यूटेशन, जेनेटिक्स, लाइफस्टाइल, डाउन सिंड्रोम, प्रोटीन बिल्डअप आदि के कारण हो सकता है. मूल रूप से, अल्ज़ाइमर की पहचान मस्तिष्क में एमिलॉइड और टाउ प्रोटीन के असामान्य निर्माण से होती है. ये प्रोटीन प्लाक और टैंगल्स बनाते हैं, जो मस्तिष्क कोशिकाओं या न्यूरॉन्स को नुकसान पहुंचाते हैं.

अर्ली-ऑनसेट अल्ज़ाइमर के लक्षण

प्रारंभिक लक्षण इस प्रकार हैं:

महत्वपूर्ण बातों को भूल जाना, जैसे नई सीखी हुई बातें, जानकारियों, महत्वपूर्ण तिथियों आदि.

एक ही बात और जानकारी को बार-बार पूछना.

नॉर्मल समस्याओं को हल करने में कठिनाई होना, जैसे बिलों का हिसाब रखना आदि.

तारीख, साल, समय आदि ध्यान न रख पाना.

यह भूल जाना कि आप कहां हैं और वहां कैसे पहुंचे.

दृष्टि-संबंधित समस्याएं.

बातचीत में शामिल होने में परेशानी या किसी चीज के लिए सही शब्द ढूंढने में कठिनाई महसूस करना.

कोई भी सामान को गुम कर देना.

निर्णय लेने की क्षमता का लगातार कमजोर होना.

काम और सामाजिक चीजों, परिस्थितियों से दूरी बना लेना.

मूड और व्यक्तित्व में बदलाव.

गंभीर लक्षण इस प्रकार हैं:

गंभीर रूप से मूड स्विंग्स और व्यवहार में बदलाव होना.

समय, स्थान और जीवन की घटनाओं को लेकर गहरी उलझन.

दोस्तों, परिवार या देखभाल करने वालों पर शक करना.

बोलने, निगलने या चलने में कठिनाई.

गंभीर रूप से याद्दाश्त या स्मृति हानि.

अर्ली-ऑनसेट अल्ज़ाइमर का इलाज
अर्ली-ऑनसेट अल्ज़ाइमर रोग का फिलहाल कोई इलाज नहीं है, लेकिन मरीजों की मानसिक क्षमता बनाए रखने, व्यवहार को नियंत्रित करने और बीमारी को ज्यादा बढ़ने से रोकने के लिए कुछ दवाएं दी जाती हैं. आपको अगर ऊपर बताए गए कोई भी लक्षण नजर आएं तो बिल्कुल भी इग्नोर न करें.

बचाव के लिए क्या करें
इस तरह के अल्ज़ाइमर रोग का कोई इलाज नहीं है, लेकिन आप चाहते हैं कि आपको ये मानसिक रोग न हो तो आपअपनी फिजिकल और मेंटल हेल्थ को बूस्ट करने के लिए निम्न बातों को जरूर फॉलो करें-

-हेल्दी डाइट लें. मेंटल हेल्थ को बूस्ट करने वाली चीजें खाएं.

-नियमित रूप से एक्सरसाइज करें. शारीरिक रूप से एक्टिव रहें.

-शराब का सेवन कम करें.

-तनाव, एंजायटी से परेशान हैं तो कुछ उन टेक्नीक को ट्राई करें जो मेंटल शांति प्रदान करते हैं.


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https://hindi.news18.com/news/lifestyle/health-what-is-early-onset-alzheimer-disease-which-saiyaara-film-aneet-padda-suffered-know-about-this-mental-problem-symptoms-causes-treatment-prevention-ws-kl-9642204.html

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