फैटी लिवर की बीमारी एक साइलेंट किलर है. इसमें मरीज को शुरुआती स्टेज पर लक्षण नजर नहीं आते हैं, जिसके कारण ये बीमारी गंभीर और जानलेवा स्टेज पर पहुंच जाती है. लेकिन यदि इस कारण को समय रहते दूर कर दिया जाए, तो लिवर में हुई शुरुआती स्कारिंग (फाइब्रोसिस) को रिवर्स किया जा सकता है. खासतौर पर F1 से F3 स्टेज में यह बीमारी सही जीवनशैली अपनाकर सुधर सकती है.
32 वर्षीय एक महिला कॉरपोरेट एग्जीक्यूटिव की कहानी इस बात का उदाहरण है. वह पीसीओएस (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) के इलाज के लिए अपनी गाइनोकॉलजिस्ट के पास गई थीं. हल्का कोलेस्ट्रॉल और प्री-डायबिटीज होने पर डॉक्टर ने उन्हें गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट को दिखाने की सलाह दी. उन्हें कोई दर्द या परेशानी नहीं थी, इसलिए यह सलाह उन्हें अजीब लगी. लेकिन जांच में पता चला कि उन्हें F2 फैटी लिवर है.
क्या होता है F2 फैटी लिवर?
F2 फैटी लिवर का मतलब है लिवर में मीडियम स्तर की स्कारिंग. यह फैट जमा होने और गंभीर स्थिति सिरोसिस के बीच का स्टेज होता है. इस स्टेज पर लिवर की बनावट और फंक्शन प्रभावित होने लगता है. आमतौर पर महिलाओं में एस्ट्रोजन हार्मोन के कारण फैटी लिवर का खतरा कम होता है, लेकिन पीसीओएस वाली महिलाओं में पुरुष हार्मोन (एंड्रोजन) और इंसुलिन रेजिस्टेंस के कारण यह खतरा बढ़ जाता है, चाहे उनका वजन सामान्य ही क्यों न हो.
बिना दवा फैटी लिवर का इलाज
सर गंगा राम अस्पताल, दिल्ली के डॉ. पियूष रंजन ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि “मेरे कई यंग पेशेंट ने केवल डाइट, एक्सरसाइज और नींद में सुधार करके फैटी लिवर को रिवर्स किया है. शरीर का 3–5 प्रतिशत वजन घटाने से लिवर फैट कम होता है और 5–10 प्रतिशत वजन घटाने से सूजन भी घटती है.”
शुरुआत में क्यों नहीं पकड़ में आती बीमारी?
लिवर की खासियत है कि वह शुरुआती नुकसान के बावजूद अपना काम करता रहता है. इसी वजह से बीमारी के लक्षण देर से दिखाई देते हैं. शुरुआत में न तो दर्द होता है और न ही कोई बड़ी परेशानी. साधारण अल्ट्रासाउंड या ब्लड टेस्ट में भी हल्की से मध्यम फाइब्रोसिस पकड़ में नहीं आती. कई बार फाइब्रोस्कैन से ही सही स्थिति सामने आती है.
छोटे बदलाव, बड़ा असर
डायग्नोसिस के बाद इस महिला ने अपनी जीवनशैली पूरी तरह बदल दी. तीन महीनों में उनका वजन करीब 9 किलो कम हुआ. आज उनके लिवर एंजाइम सामान्य हैं और स्कैन में सुधार दिख रहा है. उन्होंने पैकेट वाले और मीठे खाद्य पदार्थों को पूरी तरह छोड़ दिया. सोडा, बेकरी आइटम, ब्रेकफास्ट सीरियल, फ्लेवर्ड योगर्ट और सॉस जैसी चीजें जो उनकी एक समय पर फेवरेट हुआ करती थी उनसे पूरी तरह से परहेज कर लिया. इसकी जगह घर का बना खाना, साबुत अनाज, सब्ज़ियां, फल, दालें और मछली को शामिल किया. इसके अलावा उन्होंने ब्लैक कॉफी पीना और हफ्ते में तीन दिन स्ट्रेंथ ट्रेनिंग भी शुरू की, जिससे मांसपेशियां मजबूत हों.
भारत में क्यों बढ़ रहा है फैटी लिवर?
डॉ. रंजन के अनुसार, भारत में पेट की चर्बी यानी विसरल फैट फैटी लिवर की बड़ी वजह है. यह फैट सीधे लिवर तक पहुंचता है और सूजन व इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ाता है. वे “लीन मैश” को लेकर भी चेतावनी देते हैं, जिसमें सामान्य वजन वाले लोगों में भी फैटी लिवर हो सकता है. विशेषज्ञों का कहना है कि वजन धीरे-धीरे घटाना चाहिए, क्योंकि बहुत तेज वजन घटाने से लिवर पर उल्टा असर पड़ सकता है.
Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Bharat.one किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.
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