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Fungal Infection in Monsoon: बरसात के मौसम में अक्सर कुछ लोग फंगल इन्फेक्शन की समस्या से परेशान रहते हैं. मानसून में हमारे वातावरण में नमी बढ़ जाती है, जिससे फंगल इन्फेक्शन का खतरा भी बढ़ जाता है. आइये इससे बचने के लिए कुछ सावधानियों के बारे में विस्तार से जानते हैं.
इस मौसम में हवा में नमी बढ़ जाती है और कपड़ों व त्वचा पर नमी बनी रहती है, ऐसे में फंगल इन्फेक्शन बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है. फंगल इन्फेक्शन, जैसे दाद, खुजली और एथलीट फुट, बहुत आम हो जाते हैं और ये न केवल परेशान करते हैं, बल्कि अगर इसका सही समय पर इलाज न किया जाए तो ये गंभीर भी हो सकते हैं. आयुर्वेदिक एक्सपर्ट डॉ. ममता गर्ग कहती है की आयुर्वेदिक दृष्टि से नीम को काफी उपयोगी माना गया है. क्योंकि नीम के अंदर ऐसे औषधि गुण पाए जाते हैं. जो विभिन्न प्रकार की बीमारियों को दूर करते हैं. इसी तरह से इसमें एक एंटी फंगल गुण भी पाया जाता है. जो फंगल संक्रमण को कम करने में मदद करता है. उन्होंने बताया कि इसके लिए नीम के पत्तों को पानी में उबालकर एक घोल बनाएं. उसके पश्चात जिस जगह आपके फंगल से संबंधित संक्रमण है. वहां नियमित रूप से इसका उपयोग करें. इससे आपको फंगल से राहत मिलेगी.
उन्होंने बताया इसी तरह से हमारे घर में खाने में उपयोग होने वाली हल्दी भी एक एंटीबायोटिक दवाई के रूप में उपयोग की जाती है. अगर आप फंगल वाली जगह पर हल्दी को पानी में मिलाकर एक पेस्ट बनाएं और उसको आप फंगल प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं तो हल्दी में पाए जाने वाले एंटी इन्फ्लेमेटरी और एंटीफंगल गुण के माध्यम से आप संक्रमण को काबू करने में काफी सफल हो सकते हैं. लेकिन इसके लिए वास्तविक रूप से हल्दी का उपयोग करें. बाजार में मिलने वाले रंग पाउडर का नहीं.
दरअसल फंगल के दौरान देखने को मिलता है कि लोग खुजली से काफी परेशान दिखाई देते हैं. जबकि एक्सपर्ट कहते हैं कि फंगल में खुजाना फंगल को बढ़ावा देने की तरह ही होता है. ऐसे में हम सभी के घर में उपयोग होने वाले नारियल के तेल को फंगल वाले स्थान पर उपयोग कर सकते हैं. साथ ही इसमें अगर आप कपूर को भी मिलाकर प्रभावित क्षेत्र पर अगर लगाएंगे. इससे दोनों ही औषधि एंटीफंगल गुण के माध्यम से आपको संक्रमण कम करने में मदद मिलेगी.
डॉ ममता गर्ग बताती हैं कि आयुर्वेद में प्राकृतिक द्वारा विभिन्न प्रकार के औषधीय पेड़ पौधे भीउपलब्ध कराए गए. जो फंगल को रोकने में काफी महत्वपूर्ण योगदान निभाते हैं. इसमें अर्जुन के छाल का भी उपयोगी रहती है. क्योंकि अर्जुन की छाल में एंटी फंगल गुण पाए जाते हैं. जो संक्रमण को कम करने में मदद करते हैं. ऐसे में अर्जुन की छाल को पानी उबालकर इसका एक घोल बनाकर प्रभावित क्षेत्र को अच्छे से धो सकते हैं. उसके बाद आप छाल का पेस्ट भी लगा सकते हैं. इससे फंगल को दूर करने में मदद मिलेगी.
इसी तरह से घर आंगन में पाए जाने वाले पीपल को भी आयुर्वेद में काफी उपयोगी माना गया है. क्योंकि इसकी जो छाल होती है. वह औषधि गुण का खजाना होती है. ऐसे में अगर आप पीपल की छाल को भी पीसकर फंगल वाले स्थान पर उपयोग करेंगे. तो इससे भी आपको फंगल से राहत मिलेगी. इसके लिए भी आप पहले फंगल वाले स्थान को अच्छे से धोएं उसके बाद पीपल की छाल का उपयोग कर सकते हैं.
भारतीय सनातन संस्कृति में बरगद के पेड़ को काफी इंपोर्टेंट माना जाता है.इसकी लोग पूजा अर्चना के करते हुए दिखाई देते हैं. वही आयुर्वेदिक दृष्टि की बात की जाए तो बरगद के पेड़ की छाल भी काफी उपयोगी रहती है. ऐसे में आप इसकी छाल को अच्छे से पीसकर उसका एक पाउडर तैयार कर लें. फिर उसे छानकर पानी में उबाल ले. उसके पश्चात उसके घोल से फंगल वाले स्थान को अच्छे से आपको काफी राहत मिलेगी.
बताते चले कि आप इन सभी आयुर्वेदिक उपयोग को करने के पश्चात कुछ देर तक फंगल वाले स्थान को खुला छोड़ दे. उसके पश्चात किसी साफ कपड़े से साफ कर ले. क्योंकि नमी के कारण ही फंगल जैसी समस्याएं उत्पन्न होती है. ऐसे में आप भी इस बात का विशेष ध्यान रखें. बरसात के मौसम में लंबे समय तक गीले कपड़े ना पहने. साथ ही शरीर को स्वस्थ रखने के लिए निरंतर सावधानी बरतें. इसी के साथ ही अगर आपको आयुर्वेदिक उपाय से किसी प्रकार की कोई परेशानी है. तो एक्सपर्ट से सलाह लेने के बाद ही उपयोग करें.
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