Acute Viral Hepatitis Rises in Delhi: बारिश का मौसम लोगों को गर्मी से राहत देता है, लेकिन इस मौसम में बीमारियों का अटैक भी बढ़ जाता है. दिल्ली में पिछले कुछ सप्ताह में हेपेटाइटिस A और हेपेटाइटिस E के मामलों में 40% उछाल देखने को मिला है. यहां के अधिकतर अस्पतालों की ओपीडी में आने वाले वायरल हेपेटाइटिस (Viral Hepatitis) के मरीजों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है. यह संक्रमण ज्यादातर दूषित पानी और खराब हाइजीन के कारण होता है. हेपेटाइटिस इंफेक्शन शरीर को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है. कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों के लिए यह कॉम्प्लिकेशन पैदा कर सकता है. इन इंफेक्शंस से पूरी तरह बचा जा सकता है. चलिए जानते हैं कि हेपेटाइटिस के मामले क्यों बढ़ रहे हैं और इनसे किस तरह बचाव करना चाहिए.
TOI की रिपोर्ट के मुताबिक वायरल हेपेटाइटिस एक प्रकार का इंफेक्शन है, जो लिवर को बुरी तरह प्रभावित करता है. इनका कारण 5 प्रकार के वायरस होते हैं- हेपेटाइटिस A, B, C, D और E. इनमें हेपेटाइटिस A और E के मामले मानसून के मौसम में ज्यादा देखने को मिलते हैं, क्योंकि ये मुख्य रूप से कंटामिनेटेड खाने या दूषित पानी पीने से फैलते हैं. ये दोनों संक्रमण आमतौर पर तीव्र (acute) होते हैं और समय रहते इलाज न किया जाए, तो शरीर में गंभीर जटिलताएं पैदा कर सकते हैं.
हेपेटाइटिस A वायरस आमतौर पर मल-मौखिक मार्ग (fecal-oral route) से फैलता है. इसका मतलब है कि अगर कोई संक्रमित व्यक्ति शौच के बाद ठीक से हाथ नहीं धोता है और खाना या पानी छूता है, तो संक्रमण दूसरे लोगों में फैल सकता है. इसका इनक्यूबेशन पीरियड 2 से 6 हफ्तों का होता है. आसान भाषा में समझें, तो इतने समय में हेपेटाइटिस A के लक्षण उभरते हैं, लेकिन व्यक्ति इस दौरान भी दूसर लोगों को संक्रमित कर सकता है.
हेपेटाइटिस E को एंटेरिक हेपेटाइटिस भी कहा जाता है और इसका प्रसार भी मल-मौखिक मार्ग से ही होता है. यह सामान्य रूप से गंभीर नहीं होता है, लेकिन गर्भवती महिलाओं में यह खतरनाक रूप ले सकता है. कुछ रेयर मामलों में हेपेटाइटिस E लिवर फेल्योर या फुलमिनेंट हेपेटाइटिस में बदल सकता है, जो जानलेवा हो सकता है. यह बीमारी उन इलाकों में ज्यादा पाई जाती है, जहां साफ पीने का पानी नहीं है या सीवेज का सही निपटान नहीं होता है.
कुछ लोगों को हेपेटाइटिस A और हेपेटाइटिस E का खतरा दूसर लोगों से ज्यादा होता है. गंदगी वाली जगहों पर रहने वाले लोगों और साफ पानी की सप्लाई न होने वाले इलाकों में हेपेटाइटिस A और E का खतरा ज्यादा होता है. जहां लोग किसी संक्रमित व्यक्ति के साथ एक ही घर में रहते हैं, वहां भी यह इंफेक्शन ज्यादा फैलता है. इसके अलावा जो लोग नशे का सेवन करते हैं, पुरुषों से यौन संबंध रखते हैं या बिना वैक्सीनेशन के किसी ऐसे क्षेत्र की यात्रा करते हैं, जहां यह संक्रमण कॉमन है, तो उन्हें भी इसका ज्यादा जोखिम होता है.
हेपेटाइटिस A और E के लक्षण बहुत हद तक एक जैसे होते हैं. शुरुआत में हल्का बुखार, भूख में कमी, मतली और उल्टी जैसा महसूस हो सकता है. कुछ दिनों बाद पेट में दर्द, थकावट, पीलिया, गहरे पीले रंग का पेशाब और हल्के रंग का मल देखा जा सकता है. कुछ मामलों में त्वचा पर चकत्ते और शरीर में सूजन भी हो सकती है. ये लक्षण दिखते ही डॉक्टर से संपर्क करना बहुत जरूरी होता है. संक्रमण से बचाव हमेशा इलाज से बेहतर होता है.
हेपेटाइटिस A और E दोनों ही संक्रामक रोग होते हुए भी पूरी तरह से रोके जा सकते हैं. सबसे पहले तो साफ और उबला हुआ पानी पीना चाहिए. इसके अलावा खाना खाने से पहले और शौच के बाद हाथ धोना, साफ-सफाई का ध्यान रखना और सीवेज के उचित निपटान की व्यवस्था सुनिश्चित करना चाहिए. यौन संबंधों में भी सेफ्टी का खयाल रखना चाहिए. मानसून में खास सतर्कता की जरूरत होती है, क्योंकि इस समय जलजनित और वायरल बीमारियां तेजी से फैलती हैं. बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं को लेकर ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए. स्कूलों और सार्वजनिक स्थानों पर साफ पानी और सैनिटेशन की व्यवस्था होनी चाहिए. स्वच्छता के नियमों का पालन हो, तो हेपेटाइटिस जैसी बीमारियों से बचा जा सकता है.