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How genetic babies will born with using skin cells: इंसानों की सेल्स से बनाए जाएंगे ह्यूमन एग, जन्म लेंगे जेनेटिक बेबी?

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मानव चिकित्सका जगत में लगातार कई तरह के शोध कार्य होते रहते हैं, जिनमें से कुछ हैरान कर देने वाले भी होते हैं. हाल ही में हुए एक शोध में ये कहा गया है कि बहुत जल्द इंसानों के स्किन सेल्स का इस्तेमाल करके भविष्य में मानव अंडाणु (human eggs) तैयार किया जाएगा, जिससे ‘जेनेटिक बेबी’ पैदा करने में मदद मिल सकेगी. शोधकर्ताओं के अनुसार, यह उन महिलाओं के लिए काफी मददगार साबित हो सकता है, जिनके नेचुरल एग्स यानी प्राकृतिक अंडाणु निष्क्रिय हैं और अपने खुद के जेनेटिक बच्चे चाहती हैं. हाल ही में एक वैज्ञानिक पत्रिका में प्रकाशित प्रारंभिक प्रयोगशाला परीक्षणों में इस बात की जानकारी दी गई.

क्या ये प्रक्रिया सुरक्षित होगी?
REUTERS में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, इस प्रक्रिया को लेकर सुरक्षा संबंधी चिंताएं भी शामिल हैं. इसमें महिला की त्वचा की कोशिका से नाभिक (nucleus) निकालकर उसे ऐसे अंडाणु (oocyte) में डालना शामिल है, जिसका नाभिक पहले से हटा दिया गया हो. इसकी पूरी डिटेल जानकारी नेचर कम्युनिकेशंस पत्रिका में प्रकाशित की गई है.

यूके की यूनिवर्सिटी ऑफ साउथैम्पटन की प्रजनन चिकित्सा विशेषज्ञ यिंग चियोंग, जो कि इस शोध में शामिल नहीं थीं, का कहना है कि डॉक्टर अब बढ़ती संख्या में ऐसे लोगों को देख रहे हैं, जो उम्र या चिकित्सीय कारणों से अपने अंडाणुओं का उपयोग नहीं कर सकते. उन्होंने कहा, हालांकि, यह अभी बहुत शुरुआती प्रयोगशाला कार्य है, लेकिन भविष्य में यह बांझपन और गर्भपात को समझने का तरीका बदल सकता है. शायद एक दिन उन लोगों के लिए अंडाणु या शुक्राणु जैसी कोशिकाएं बनाने का मार्ग खोल सकता है, जिनके पास कोई अन्य विकल्प नहीं है. शोधकर्ताओं ने बताया कि इस नई विधि ने उस बाधा को दूर कर दिया है, जिसने अब तक की कोशिशों को रोका था.

कैसे काम करेगी ये प्रक्रिया?
मानव विकास के लिए अंडाणुओं में 23 गुणसूत्र (chromosomes) होते हैं, क्योंकि शेष 23 गुणसूत्र शुक्राणु से आते हैं, लेकिन त्वचा और अन्य गैर-प्रजनन कोशिकाओं में 46 गुणसूत्र होते हैं. ओरेगॉन हेल्थ एंड साइंस यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इस अतिरिक्त सेट की समस्या को हल करने के लिए एक प्रक्रिया विकसित की, जिसे उन्होंने माइटोमीओसिस (mitomeiosis) कहा. यह प्राकृतिक कोशिका विभाजन की नकल करता है. एक सेट गुणसूत्रों को हटा देता है, जिससे कार्यात्मक अंडाणु बन जाता है.

अध्ययन के प्रमुख और ओएचएसयू सेंटर फॉर एम्ब्रायोनिक सेल एंड जीन थेरेपी के शौख़रात मितालिपोव के अनुसार,हमने वह हासिल किया है, जिसे असंभव माना जाता था. प्रकृति ने हमें कोशिका विभाजन के दो तरीके दिए और हमने तीसरा विकसित कर लिया है.

एक प्रयोग में शोधकर्ताओं ने 82 संशोधित अंडाणुओं को शुक्राणुओं से निषेचित किया. लगभग 9% ही भ्रूण के उस चरण तक पहुंचे, जिसे ब्लास्टोसिस्ट कहा जाता है (70 से 200 कोशिकाओं वाला भ्रूण), जिसे आईवीएफ उपचार के दौरान गर्भाशय में स्थानांतरित किया जाता है. कोई भी भ्रूण इससे आगे विकसित नहीं किया गया. अधिकांश अंडाणु, जो माइटोमीओसिस से बनाए गए थे, निषेचन के बाद 4 से 8 कोशिकाओं के चरण से आगे नहीं बढ़ सके और उनमें गुणसूत्र असामान्यताएं पाई गईं.

बावजूद इसके, अध्ययन यह दर्शाता है कि गैर-प्रजनन कोशिकाओं के गुणसूत्रों को एक विशेष प्रकार के नाभिकीय विभाजन से गुजरने के लिए प्रेरित किया जा सकता है, जो सामान्यतः केवल अंडाणु या शुक्राणु में देखा जाता है. यूके की यूनिवर्सिटी ऑफ हुल के प्रजनन विशेषज्ञ रोजर स्टर्मे ने कहा कि सफलता की दर कम होने के कारण इसे व्यावहारिक उपयोग में लाने की संभावना अभी बहुत दूर है. शोधकर्ताओं का ये भी मानना है कि कम से कम एक दशक और शोध जरूरी है.


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https://hindi.news18.com/news/lifestyle/health-genetic-babies-will-be-born-in-future-scientists-are-using-skin-cells-to-create-human-eggs-will-open-door-to-new-infertility-treatments-ws-l-9691792.html

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