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World Alzheimer’s Day: ये 3 बीमारियां कमजोर कर सकती हैं याददाश्त, बढ़ाती हैं अल्जाइमर का जोखिम


World alzheimer’s day 2025: आज ‘विश्व अल्जाइमर दिवस’ है. प्रत्येक वर्ष 21 सितम्बर को दुनिया भर में वर्ल्ड अल्जाइमर्स डे मनाया जाता है, ताकि लोगों को इस मानसिक बीमारी के प्रति जागरूक किया जा सके. अल्जाइमर एक मस्तिष्क से जुड़ी बीमारी है, जिसमें पीड़ित व्यक्ति की याद्दाश्त कमजोर हो जाती है. सोचने-समझने की क्षमता प्रभावित होने लगती है. डेली की रूटीन लाइफ के काम भी लोग सही से नहीं कर पाते हैं. आमतौर पर बुजुर्ग लोगों में अल्जाइमर की समस्या होती है. कुछ स्टडी में भी ये बात सामने आई है कि अनहेल्दी लाइफस्टाइल अल्जाइमर्स डिजीज के लिए काफी हद तक जिम्मेदार होता है.

हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज भी बढ़ाते हैं अल्जाइमर्स का जोखिम

कुछ बीमारियां ऐसी हैं, जो आपकी मानसिक सेहत को भी प्रभावित कर सकती हैं. इनमें उच्च रक्तचाप, मोटापा, डायबिटीज भी शामिल हैं. आज से कुछ वर्षों पहले ये रोग 50-60 से ऊपर की उम्र में हुआ करते थे, लेकिन अब 30 साल की उम्र वाले लोग भी इस रोग से ग्रस्त हो रहे हैं. लोगों की लाइफस्टाइल इतनी खराब होती जा रही है कि वे मोटापे से ग्रस्त हो रहे हैं. ये सभी रोग न सिर्फ आपके दिल, लिवर को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि दिमाग पर भी गंभीर असर डाल रहे हैं.

डायबिटीज में लंबे समय तक ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में ना रखा जाए तो दिमाग तक सही मात्रा में ऊर्जा नहीं पहुंचती है. इससे दिमाग में मौजूद सेल्स यानी कोशिकाएं सुस्त पड़ने लगती हैं. इस तरह से व्यक्ति को कुछ भी याद रखने में समस्या होने लगती है. लोगों की याद्दाश्त कमजोर होने लगती है. कुछ वैज्ञानिकों ने इसे टाइप-3 डायबिटीज का नाम दिया है, क्योंकि यह डायबिटीज की तरह ही दिमाग को अंदर से नुकसान पहुंचाता है.

इसके कारण ब्रेन में इंसुलिन की कार्यप्रणाली बिगड़ सकती है, जिससे सोचने-समझने और याद रखने की ताकत धीरे-धीरे कम होने लगती है.

हाई ब्लड प्रेशर दिल से जुड़ी बीमारी मानी जाती है, लेकिन इसका असर दिमाग पर भी गहरा होता है. जब शरीर में ब्लड प्रेशर लगातार बढ़ा रहता है, तो ब्रेन की नसों पर दबाव पड़ता है. इससे दिमाग तक खून का बहाव सही तरीके से नहीं हो पाता. जब ब्रेन को सही पोषण और ऑक्सीजन नहीं मिलता, तो उसकी कार्यक्षमता घटने लगती है. ऐसे में अल्जाइमर और डिमेंशिया जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, खासकर जब यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहे.

जो लोग ओबेसिटी से ग्रस्त हैं, जिनके पेट और कमर के आसपास अधिक चर्बी जमा है, उन लोगों के शरीर में  सूजन बनी रहती है. इसे क्रॉनिक इंफ्लेमेशन कहते हैं. यह सूजन धीरे-धीरे दिमाग की नसों को भी नुकसान पहुंचाती है. मोटापे से शरीर में हार्मोनल बदलाव होते हैं, जो मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को कमजोर कर सकते हैं.


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https://hindi.news18.com/news/lifestyle/health-world-alzheimers-day-2025-diabetes-high-bp-and-obesity-increase-risk-of-alzheimer-know-its-symptoms-in-hindi-ws-kl-9648836.html

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