हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज भी बढ़ाते हैं अल्जाइमर्स का जोखिम
डायबिटीज में लंबे समय तक ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में ना रखा जाए तो दिमाग तक सही मात्रा में ऊर्जा नहीं पहुंचती है. इससे दिमाग में मौजूद सेल्स यानी कोशिकाएं सुस्त पड़ने लगती हैं. इस तरह से व्यक्ति को कुछ भी याद रखने में समस्या होने लगती है. लोगों की याद्दाश्त कमजोर होने लगती है. कुछ वैज्ञानिकों ने इसे टाइप-3 डायबिटीज का नाम दिया है, क्योंकि यह डायबिटीज की तरह ही दिमाग को अंदर से नुकसान पहुंचाता है.
हाई ब्लड प्रेशर दिल से जुड़ी बीमारी मानी जाती है, लेकिन इसका असर दिमाग पर भी गहरा होता है. जब शरीर में ब्लड प्रेशर लगातार बढ़ा रहता है, तो ब्रेन की नसों पर दबाव पड़ता है. इससे दिमाग तक खून का बहाव सही तरीके से नहीं हो पाता. जब ब्रेन को सही पोषण और ऑक्सीजन नहीं मिलता, तो उसकी कार्यक्षमता घटने लगती है. ऐसे में अल्जाइमर और डिमेंशिया जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, खासकर जब यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहे.
जो लोग ओबेसिटी से ग्रस्त हैं, जिनके पेट और कमर के आसपास अधिक चर्बी जमा है, उन लोगों के शरीर में सूजन बनी रहती है. इसे क्रॉनिक इंफ्लेमेशन कहते हैं. यह सूजन धीरे-धीरे दिमाग की नसों को भी नुकसान पहुंचाती है. मोटापे से शरीर में हार्मोनल बदलाव होते हैं, जो मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को कमजोर कर सकते हैं.
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