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डोमकोंडा किला तेलंगाना का ऐतिहासिक धरोहर और पर्यटन स्थल.

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Dharohar: डोमकोंडा किला, जिसे गादी डोमकोंडा भी कहा जाता है, तेलंगाना के नलगोंडा जिले में स्थित एक प्राचीन ऐतिहासिक किला है. इसका मूल नाम ‘द्वारकापुरी’ था, जो समय के साथ बदलकर ‘डोमकोंडा’ बन गया। यह किला एक ऊंची ग्रेनाइट पहाड़ी पर स्थित है, जो इसे प्राकृतिक सुरक्षा प्रदान करता है. 12वीं से 14वीं शताब्दी तक काकतीय वंश का शासन यहां रहा, लेकिन वर्तमान किले का निर्माण 18वीं शताब्दी में डोमकोंडा के रेड्डी शासकों द्वारा किया गया.

हैदराबाद. एक ऐतिहासिक डोमकोंडा किला जिसे गादी डोमकोंडा के नाम से भी जाना जाता है तेलंगाना राज्य के नलगोंडा जिले में स्थित एक भव्य ऐतिहासिक धरोहर है. यह केवल एक किला ही नहीं बल्कि तेलंगाना के इतिहास के कई अध्यायों का मूक गवाह है. इतिहासकार डॉ. जिया के अनुसार डोमकोंडा का मूल नाम द्वारकापुरी माना जाता है जो समय के साथ बदलकर डोमकोंडा हो गया. यह किला एक विशाल ग्रेनाइट चट्टानी पहाड़ी पर बना हुआ है, जिसने प्राकृतिक रूप से इसकी सुरक्षा को मजबूत किया है. इस क्षेत्र पर काकतीय वंश (12वीं-14वीं शताब्दी) का शासन था.

माना जाता है कि उस समय यहां एक छोटा किला या चौकी मौजूद थी जो व्यापार मार्गों और सीमाओं की रक्षा करती थी. डोमकोंडा किले का वर्तमान स्वरूप 18वीं शताब्दी में डोमकोंडा के रेड्डी शासकों द्वारा दिया गया. रेड्डी समुदाय ने इस क्षेत्र में एक स्वतंत्र रियासत स्थापित की थी और उन्होंने पुराने काकतीय किले के अवशेषों पर ही इस भव्य किले का निर्माण करवाया. यह किला रेड्डी शासकों की राजधानी और सैन्य कमांड सेंटर के रूप में कार्य करता था. इसका स्थान हैदराबाद यानी कुतुब शाही और विजयनगर साम्राज्य के बीच एक रणनीतिक स्थान पर था जिसने इसे व्यापार और सैन्य गतिविधियों का केंद्र बना दिया.

कुतुब शाही और आसफ जाही शासन में भूमिका
जब गोलकोंडा के कुतुब शाही सुल्तानों ने इस क्षेत्र पर अपना प्रभाव बढ़ाया, तो डोमकोंडा के रेड्डी शासकों ने उनकी अधीनता स्वीकार कर ली. इस दौरान किला एक महत्वपूर्ण जागीर बना रहा और इसके शासकों ने कुतुब शाही सेना में उच्च पद भी संभाले. हैदराबाद पर निजामों के शासनकाल के दौरान भी डोमकोंडा की रियासत ने अपना महत्व बनाए रखा, निजाम हैदराबाद की सेना के लिए यह किला एक अहम सैन्य अड्डा और प्रशासनिक केंद्र था.

हिन्दू मुस्लिम शैली की वास्तुकला
डोमकोंडा किले की सबसे खास बात है इसकी वास्तुकला जहां हिंदू और मुस्लिम शैलियों का सुंदर समन्वय देखने को मिलता है. यह समन्वय इसके इतिहास को दर्शाता है किले के परिसर के अंदर रामालिंगेश्वर स्वामी मंदिर और वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर स्थित हैं, जो हिंदू शिल्प कला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं वही किले के मुख्य महल और प्रवेश द्वारों में मेहराब, गुंबद और मीनारें बनी हुई हैं, जो इस्लामिक वास्तुकला की पहचान हैं. किले के बीचों-बीच स्थित यह खूबसूरत दो मंजिला संरचना शाही परिवार का निवास स्थान हुआ करती थी. इसकी बालकनियां, झरोखे और विशाल हॉल राजसी ठाठ-बाट का अहसास कराते हैं, इस इमारत में दोनों शैलियों का मिश्रण स्पष्ट रूप से दिखाई देता है. आज डोमकोंडा किला तेलंगाना सरकार के अधीन एक संरक्षित स्मारक है और एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो रहा है. पर्यटक यहां की भव्य वास्तुकला, ऐतिहासिक महत्व और आसपास के मनोरम दृश्यों को देखने आते हैं, रात के समय किले की रोशनी इसे और भी खूबसूरत बना देती है.

Monali Paul

Hello I am Monali, born and brought up in Jaipur. Working in media industry from last 9 years as an News presenter cum news editor. Came so far worked with media houses like First India News, Etv Bharat and NEW…और पढ़ें

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डोमकोंडा किला, तेलंगाना का ऐतिहासिक धरोहर और पर्यटन स्थल


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