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एयरलाइंस फ्लाइट से 20 मिनट पहले बोर्डिंग गेट DGCA और अंतरराष्ट्रीय नियमों के तहत सुरक्षा, बैगेज जांच, केबिन तैयारी और ATC स्लॉट के कारण बंद करती हैं.
ट्रेन हो या बस, अक्सर लोगों को दौड़ते हुए या आखिर वक्त पर इन्हें पकड़ते हुए तो आपने देखा ही होगा. लेकिन बात अगर एयरपोर्ट की हो तो यहां की गई देरी काफी महंगी पड़ जाती है. बिलकुल एन वक्त पर तो छोड़िए, आप अपनी फ्लाइट के उड़ने से 20 मिनट पहले भी अगर एयरपोर्ट पहुंच गए तो आपको फ्लाइट में एंट्री नहीं मिलती. अक्सर फ्लाइट के उड़ने से 20 मिनट पहले ही बोर्डिंग गेट बंद कर दिया जाता है. ऐसे में आप बेबस होकर शीशे के पार अपनी फ्लाइट को उड़ते हुए देखने के अलावा कुछ नहीं कर सकते. लेकिन क्या कभी सोचा है कि एयरलाइंस उड़ान से पूरे 20 मिनट पहले गेट क्यों बंद करती हैं? चलिए बताते हैं आपको इस रूल के बारे में.
दीपिका शर्मा पिछले 5 सालों से Bharat.one Hindi में काम कर रही हैं. News Editor के पद पर रहते हुए Entertainment सेक्शन को 4 सालों तक लीड करने के साथ अब Lifestyle, Astrology और Dharma की टीम को लीड कर रही हैं. पत्र…और पढ़ें
दीपिका शर्मा पिछले 5 सालों से Bharat.one Hindi में काम कर रही हैं. News Editor के पद पर रहते हुए Entertainment सेक्शन को 4 सालों तक लीड करने के साथ अब Lifestyle, Astrology और Dharma की टीम को लीड कर रही हैं. पत्र… और पढ़ें
गेट बंद करने के बाद एयरलाइंस को यह सुनिश्चित करना होता है कि सभी यात्री विमान में बैठ चुके हैं और उनका सामान भी उसी फ्लाइट में है. अगर कोई मिसिंग होता है तो उसका बैग भी निकाला जाता है. ये सुरक्षा नियम DGCA और अंतरराष्ट्रीय एविएशन प्रोटोकॉल दोनों के तहत जरूरी है.
2. बैगेज रिकॉन्सिलेशन में लगता है वक्त
मान लीजिए कोई यात्री बोर्ड नहीं करता, लेकिन उसका सामान कार्गो में लोड हो गया है. तब एयरलाइन को बैगेज ढूंढकर उतारना पड़ता है. यह काम 10–15 मिनट तक ले सकता है. इसलिए गेट पहले ही बंद करना जरूरी होता है ताकि फ्लाइट में किसी ‘अनक्लेम्ड बैग’ की समस्या न रहे.
3. फ्लाइट की अंतिम तैयारी और केबिन क्लोज़िंग
गेट बंद होते ही केबिन क्रू अपनी सेफ्टी ब्रीफिंग शुरू करता है. दरवाजे सील किए जाते हैं, इमरजेंसी जांच होती है, और एयरक्राफ्ट को रनवे के लिए पुशबैक की अनुमति दी जाती है. यह प्रोसेस तय समय से पहले पूरा करना ही उड़ान की पंक्चुअलिटी बनाए रखता है.
4. एयरपोर्ट स्लॉट और एयर ट्रैफिक कंट्रोल टाइमिंग
हर फ्लाइट को एयरपोर्ट अथॉरिटी और एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) से एक निश्चित टाइम स्लॉट मिलता है. अगर कोई फ्लाइट देर से बोर्डिंग पूरी करती है, तो उसे दूसरा स्लॉट मिल सकता है. जिसका मतलब होता है 30–60 मिनट की देरी. इसीलिए एयरलाइंस समय पर गेट बंद करना बेहतर मानती हैं.
5. आखिरी मिनट की हड़बड़ी से बचना
अगर गेट आखिरी पल तक खुला रहे, तो देरी, भीड़ और सिक्योरिटी चेक में गड़बड़ी हो सकती है. जल्दी गेट बंद करने से ग्राउंड स्टाफ को भी तैयारी का समय मिलता है और फ्लाइट बिना अफरा-तफरी के रवाना होती है.
पहले से चेक-इन करें और “बोर्डिंग टाइम” पर ध्यान दें
हर बोर्डिंग पास पर “Gate Closes” का टाइम लिखा होता है. जो सिर्फ जानकारी नहीं, बल्कि चेतावनी है! इसलिए अगर आप चाहते हैं कि आपकी फ्लाइट आपके बिना न उड़ जाए, तो ऑनलाइन चेक-इन करें और कम से कम 45 मिनट पहले गेट पर पहुंचें.
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https://hindi.news18.com/news/lifestyle/travel-why-do-airlines-close-boarding-gate-20-minutes-early-know-the-reason-qdps-ws-l-9772760.html
