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हैदराबाद साइंस म्यूज़ियम में स्टेगोडॉन हाथी का दांत प्रदर्शित

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हैदराबाद के बीएम बिड़ला साइंस म्यूज़ियम में अब दर्शक देख सकते हैं एक अनोखा और हजारों साल पुराना खजाना. स्टेगोडॉन हाथी का सात फुट लंबा दांत। यह दांत तेलंगाना के कोयला खदान में मिला था और अब ‘सिंगरेनी मंडप’ नाम की नई गैलरी में सभी के लिए प्रदर्शित किया गया है. यह प्रदर्शनी न सिर्फ रोमांचक है, बल्कि बच्चों और विज्ञान में रुचि रखने वालों के लिए एक शानदार सीखने का मौका भी है.

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हैदराबाद. बीएम बिड़ला साइंस म्यूज़ियम में विज़िटर्स के लिए अब एक अद्भुत और दुर्लभ नज़ारा पेश किया गया है. यहां एक नए खुले सेक्शन में प्राचीन जीवों के अवशेष प्रदर्शित किए गए हैं, जिनमें सबसे आकर्षक है एक विशालकाय स्टेगोडॉन हाथी का सात फुट लंबा दांत. इस दांत को देखने के लिए रोज़ाना सैकड़ों लोग आ रहे हैं.

स्टेगोडॉन हाथी की एक विलुप्त प्रजाति थी, जो लाखों साल पहले धरती पर निवास करती थी. वैज्ञानिकों के अनुसार, यह प्रजाति लगभग एक करोड़ साल पहले से लेकर करीब 6000 साल पहले तक पृथ्वी पर मौजूद रही. इसका नाम उसके विशेष छत-जैसे दांतों से पड़ा “स्टेगो” यानी छत और “ओडॉन” यानी दांत. यह हाथी आधुनिक हाथियों के पूर्वजों से मिलते-जुलते थे, लेकिन आकार में कहीं अधिक विशाल होते थे.

खोज और संरक्षण की रोमांचक कहानी

यह अद्वितीय दांत सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड (SCCL) के अन्वेषण दल द्वारा रामागुंडम के मेडापल्ली ओपन कास्ट खदान में खोजा गया था. खनन कार्य के दौरान यह अवशेष बहुत ही नाजुक अवस्था में मिला. विशेषज्ञों ने इसे अत्यंत सावधानीपूर्वक जोड़कर संरक्षित किया, ताकि इसे संग्रहालय में प्रदर्शित किया जा सके और आम जनता इस प्राचीन खजाने को देख सके.

सिंगरेनी मंडप

यह दांत ‘सिंगरेनी मंडप’ नामक एक नई गैलरी में रखा गया है, जिसे एससीसीएल के सहयोग से बनाया गया है. इस गैलरी का उद्घाटन हाल ही में शनिवार को हुआ। इस अवसर पर एससीसीएल के अध्यक्ष एन. बलराम और जीपी बिड़ला संस्थान की अध्यक्ष निर्मला बिड़ला जैसी प्रतिष्ठित हस्तियां मौजूद थी. इस गैलरी में सिर्फ यह दांत ही नहीं, बल्कि और भी कई दिलचस्प चीज़ें प्रदर्शित की गई हैं, जैसे प्राचीन पेड़ों के जीवाश्म (जो अब पत्थर में बदल चुके हैं), कोयले, शेल और ज्वालामुखीय राख के नमूने. ये सभी तेलंगाना के सिंगरेनी क्षेत्र की समृद्ध भूगर्भीय विरासत को दर्शाते हैं.

यह प्रदर्शनी हैदराबाद और आसपास के लोगों के लिए अपने क्षेत्र के प्रागैतिहासिक इतिहास को जानने-समझने का एक शानदार अवसर है. यह हमें याद दिलाती है कि जिस ज़मीन पर हम रहते हैं, वहां कभी स्टेगोडॉन जैसे विशाल जीव विचरण किया करते थे. विज्ञान और इतिहास में रुचि रखने वालों, विशेषकर बच्चों और छात्रों के लिए यह एक शैक्षिक और रोमांचकारी अनुभव साबित हो सकता है.

Monali Paul

Hello I am Monali, born and brought up in Jaipur. Working in media industry from last 9 years as an News presenter cum news editor. Came so far worked with media houses like First India News, Etv Bharat and NEW…और पढ़ें

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हैदराबाद साइंस म्यूज़ियम में स्टेगोडॉन हाथी का दांत हुआ प्रदर्शित


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https://hindi.news18.com/news/andhra-pradesh/hyderabad-a-elephant-tusk-has-been-discovered-at-the-bm-birla-science-museum-local18-ws-kl-9734450.html

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