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Pillalamarri Banyan Tree: तेलंगाना के महबूबनगर जिले में 800 साल पुराना पिल्लालामरी बरगद एक जीवित अजूबा है, जिसकी विशाल शाखाओं की छाया 19,000 वर्ग गज तक फैली है. इसका ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व इसे पर्यटन का केंद्र बनाता है. इसकी जड़ें और तने का नेटवर्क इसे एक जंगल जैसा स्वरूप देते हैं.
महबूबनगर: तेलंगाना के महबूबनगर जिले में स्थित पिल्लालामरी का बरगद लगभग 800 साल पुराना है. यह केवल एक पेड़ नहीं बल्कि एक जीवित प्राकृतिक अजूबा है, जिसकी विशाल शाखाएं और फैली हुई छाया दुनिया भर में प्रसिद्ध है. अपनी उम्र, विशालता और सांस्कृतिक महत्व के कारण यह बरगद पर्यटकों और स्थानीय लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.इस बरगद के पेड़ की शाखाएं इतनी फैली हुई हैं कि इसकी छाया लगभग 19,000 वर्ग गज यानी करीब 1.6 हेक्टेयर में फैलती है. अनुमान के मुताबिक, इसकी छाया में 1000 से ज्यादा लोग आराम से बैठ सकते हैं.
इतिहास और नाम का रहस्य
इसकी उम्र लगभग 800 वर्ष आंकी गई है, जिसका अर्थ है कि यह पेड़ काकतीय वंश और बहमनी सल्तनत के समय से भी पहले से मौजूद है. लोककथाओं के अनुसार, हैदराबाद के निजाम शासक गर्मियों में इस पेड़ की ठंडी और घनी छाया का आनंद लेने के लिए पिकनिक पर यहाँ आते थे.
इस पेड़ का नाम पिल्लालामरी स्थानीय भाषा से निकला है, जहाँ “पिल्ला” का मतलब बच्चा और “मर्री” का मतलब जोड़ी होता है. स्थानीय लोककथा के अनुसार, इस पेड़ के नीचे प्रार्थना करने वाले निःसंतान दंपतियों को संतान सुख मिलता था, जिसके कारण इसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व और बढ़ गया.
पर्यटन स्थल और पहुँच
आज यह स्थान हैदराबाद और आसपास के लोगों के लिए एक आदर्श वीकेंड गेटवे बन गया है. तेलंगाना पर्यटन विभाग इसका रखरखाव करता है और पर्यटकों की सुविधा के लिए यहाँ व्यवस्थाएँ की गई हैं. यह हैदराबाद से लगभग 100 किलोमीटर दूर और महबूबनगर बस स्टेशन से मात्र 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यहाँ कार या बस से आसानी से पहुँचा जा सकता है.
पिल्लालामरी बरगद न केवल अपनी विशालता के लिए बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के लिए भी जाना जाता है. यह पेड़ स्थानीय लोगों और पर्यटकों के लिए प्राकृतिक शांति और अद्भुत अनुभव का स्रोत है.
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