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Chhatarpur Tourist Places: अगर आप छतरपुर जिले में घूमने का सोच रहे हैं तो हम आपको छतरपुर के ऐसे टॉप 5 टूरिस्ट प्लेस बताने जा रहे हैं, जिन्हें हर कोई घूमना पसंद करता है. खासकर, इन्हें बारिश और ठंड के मौसम में घूमना रोमांचक होता है. छतरपुर जिले की मऊ सहानिया और खजुराहो ऐसी जगह हैं जहां इतिहास और कला दोनों का संगम देखने को मिलता है.
छतरपुर जिले के नौगांव में स्थित मऊसहानिया गांव जो ऐतिहासिक धरोहरों के लिए जाना जाता है. ये गांव छतरपुर से लगभग 16 किलोमीटर की दूरी पर है. यहां महाराजा छत्रसाल की स्मारक से लेकर रानी कमलापति स्मारक, धुबेला महल, मस्तानी महल, हृदय शाह महल और शीतल गढ़ी जैसी धरोहरें आज भी मौजूद हैं. इन धरोहरों को देखने के लिए लाखों लोग दूर-दूर से आते हैं.
छतरपुर से लगभग 45 किलोमीटर दूर खजुराहो जिसे विश्व पर्यटन नगरी कहा जाता है. इस जगह को घूमने के लिए सिर्फ देश से ही नहीं बल्कि विदेश से भी लोग आते हैं. मध्य प्रदेश के सभी पर्यटन स्थलों में से खजुराहो सबसे ज्यादा घूमा जाता है.
खजुराहो में घूमने के लिए लगभग 1 हजार साल पुराने पश्चिमी मंदिर और पूर्वी मंदिर के अलावा प्राचीन जैन मंदिर भी हैं. खजुराहो के ज्यादातर मंदिर चंदेल कालीन हैं. बताते हैं कि खजुराहो में पहले 85 मंदिर थे लेकिन धीरे-धीरे यह कम होते गए. खजुराहो के पश्चिमी मंदिर समूह में सबसे ज्यादा सैलानी आते हैं.
पश्चिमी मंदिर समूह की बात करें तो कंदरिया महादेव इस समूह का सबसे बड़ा मंदिर है. इसी मंदिर पर सबसे ज्यादा कामुक मूर्तियां देखने को मिलती हैं. इसके अलावा यहां चतुर्भुज मंदिर और वराह मंदिर जैसे तमाम मंदिर हैं. पश्चिमी मंदिर समूह के ही बगल से मतंगेश्वर महादेव का मंदिर है जिसे देखने के लिए लाखों की संख्या में भीड रहती है.
खजुराहो के पूर्वी मंदिर की बात करें तो यहां ब्रम्हा मंदिर, जवारी मंदिर और वामन मंदिर देखने को मिलते हैं. जावरी मंदिर को भगवान परशुराम का मंदिर भी कहा जाता है. पूर्वी समूह मंदिर में सबसे बड़ा मंदिर वामन मंदिर है. मतंगेश्वर और कंदरिया महादेव मंदिर के जैसे ही इस मंदिर का भी अपना स्थान है. इस मंदिर को देखने के लिए भी लाखों लोग देश-विदेश विदेश से आते हैं. इसके अलावा यहां भगवान भोलेनाथ का दूल्हा देव मंदिर भी है.
खजुराहो में सिर्फ घूमने के लिए मंदिर ही नहीं है, बल्कि यहां बड़े-बड़े होटेल और आइलैंड भी बनाए गए हैं. खजुराहो से लगभग 12 किलोमीटर दूर कुटनी आईलैंड रिसोर्ट है. जहां कुटनी डैम किनारे प्रकृति का आनंद लिया जा सकता है. साथ ही खजुराहो से लगभग 10 किमी दूर बेनी सागर डैम हैं. यहां प्रकृति का आनंद लिया जा सकता है. इसके अलावा यहां चंदेला और रवांडा जैसे बड़े-बड़े होटल भी हैं. जहां आप स्टे कर सकते हैं.
छतरपुर जिले से लगभग 55 किलोमीटर दूर भगवान शिव का एक ऐसा अनोखा धाम है, जिसे लोग बुंदेलखंड के केदारनाथ के नाम से जानते हैं. वैसे तो इस तीर्थ स्थल को लोग जटाशंकर धाम के नाम से भी जानते हैं, क्योंकि इस तीर्थ स्थल में भगवान शिव की एक शिवलिंग मौजूद है, जो स्वयंभू हैं. बता दें, इस धाम के अंदर तीन कुंड मौजूद हैं, जिसमें से ठंडा, गर्म और साधारण पानी आता है.
मंदिर के गर्भ गृह में शिवलिंग मौजूद है, जो स्वयंभू हैं. माना जाता है कि, सदियों पहले यह शिवलिंग अपने आप प्रकट हुआ था, जो आज भी ज्यों का त्यों बना हुआ है. पहाड़ियों के बीच घिरा जय शिव धाम ऐसा प्रतीत होता है कि मानो भगवान प्रकृति की गोद में बैठकर लोगों का कल्याण कर रहे हैं.
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