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आपकी कुंडली के ये योग बनाते हैं दीर्घायु, 5 भागों में बांटा गया है इंसान की उम्र को, यहां जानें कैसे पहचानें इन्हें!

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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, व्यक्ति की आयु का पता लगाना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि यदि किसी व्यक्ति की आयु का ज्ञान नहीं होगा तो उसके भविष्य के सवालों के सही उत्तर नहीं मिल सकते.

आपकी कुंडली के ये योग बनाते हैं दीर्घायु, 5 भागों में बांटा गया है उम्र

कुंडली में आयु योग

हाइलाइट्स

  • कुंडली में दीर्घायु योग महत्वपूर्ण है।
  • शनि ग्रह की स्थिति आयु पर प्रभाव डालती है।
  • आयु को पांच भागों में बांटा गया है।

Dirghayu Yoga in Kundali : आजकल के समय में हर कोई अपनी और अपने परिवार के भविष्य के बारे में अधिक जानने की इच्छा रखता है. कुछ लोग अपनी आयु का भी अनुमान लगाना चाहते हैं और इसके लिए वे ज्योतिषी की सहायता लेते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, व्यक्ति की आयु का पता लगाना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि यदि किसी व्यक्ति की आयु का ज्ञान नहीं होगा तो उसके भविष्य के सवालों के सही उत्तर नहीं मिल सकते. इस विषय में अधिक जानकारी दे रहे हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा.

ज्योतिष में आयु का निर्धारण
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, किसी व्यक्ति के जीवन में घटने वाली घटनाओं की जानकारी ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति पर निर्भर करती है. यह जानकारी व्यक्ति की कुंडली के आधार पर प्राप्त की जा सकती है, जिसमें उसकी आयु से जुड़ा योग भी पाया जाता है. आयु का यह योग व्यक्ति के जीवन के विभिन्न चरणों को दर्शाता है, और इसे पांच भागों में बांटा जाता है-

1. अल्पायु – जन्म से लेकर 33 साल तक.
2. मध्यायु – 34 से 64 साल तक.
3. पूर्ण आयु – 65 से 100 साल तक.
4. दीर्घायु – 101 से 120 साल तक.
5. विपरीत आयु – 120 साल के बाद, जब तक व्यक्ति जीवित रहे.

कुंडली में शनि की भूमिका
ज्योतिष शास्त्र में आयु निर्धारण के लिए कुंडली में शनि ग्रह की स्थिति महत्वपूर्ण मानी जाती है. शनि ग्रह के स्थान का व्यक्ति की आयु पर गहरा प्रभाव पड़ता है. यदि शनि ग्रह कुंडली में मजबूत स्थिति में हो, तो व्यक्ति को उस व्यक्ति को पूरी आयु मिल सकती है. वहीं, यदि शनि नीच या शत्रु के घर में स्थित हो, तो आयु कम हो सकती है. शनि के ग्रहों के प्रभाव के आधार पर व्यक्ति की आयु की गणना की जाती है और इससे यह भी निर्धारित होता है कि उसे कितने सालों तक जीवन प्राप्त होगा.

नैसर्गिक ग्रहों का प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र में नैसर्गिक ग्रहों की स्थिति भी आयु पर प्रभाव डालती है. यदि शुभ ग्रह किसी भाव के अधिपति होते हुए केंद्र में स्थित होते हैं, तो आयु में वृद्धि होती है. इसके विपरीत, यदि पाप ग्रह केंद्र में होते हैं, तो आयु में कमी आ सकती है. विशेषकर, यदि शनि ग्रह तीसरे, आठवें या दसवें स्थान पर स्थित हो, तो यह आयु में वृद्धि कर सकता है.

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आपकी कुंडली के ये योग बनाते हैं दीर्घायु, 5 भागों में बांटा गया है उम्र


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