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Chhathi Maiyya ka Prasad: खरना के दिन छठ मैया का प्रसाद कब बनता है? जिसे खाकर 36 घंटे का निर्जला व्रत करेंगी व्रती

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छठ के दूसरे दिन खरना पर मिट्टी के चूल्हे पर गुड़ की खीर और गेहूं की रोटी बनती है, शाम को छठी मैया को भोग लगाकर व्रती 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू करते हैं.

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जानिए, खरना के दिन छठ मैया का प्रसाद कब बनाया जाता है? (AI)

Chhathi Maiyya ka Prasad: लोक आस्था के महापर्व छठ के दूसरे दिन खरना सबसे महत्वपूर्ण पूजा दिनों में से एक है. इस दिन छठी मैया का आगमन होता है, जिसके बाद भक्त 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू करते हैं. लोक आस्था के महापर्व छठ कल यानी रविवार दूसरा दिन है. नहाय-खाय के बाद व्रती खरना का प्रसाद ग्रहण करेंगी. रविवार शाम को गुड़ और चावल की खीर बनाकर उसका भोग लगाएंगे. इस प्रसाद को ग्रहण करने के बाद ही व्रती निर्जला व्रत रखकर अगले दिन यानी सोमवार शाम को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगी. फिर मंगलवार को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर संतान और परिवार के लिए मंगल कामना करेंगी. ऐसे में सवाल है कि आखिर खरना में छठ मैया का प्रसाद कब बनता है? खरना में क्या बनाएं प्रसाद? आइए जानते हैं इस बारे में-

खरना में छठी मैया का प्रसाद कब बनाया जाता है?

खरना के दिन गुड़ वाली खीर और रोटी बनाने की परंपरा है. यह खीर मिट्टी का नया चूल्हा बनाकर तैयार किया जाता है. व्रती पूजा के बाद प्रसाद के तौर पर इसका ही सेवन करते हैं. यह प्रसाद शाम के समय बनता है. बता दें कि, शाम के समय जब मिट्टी का चूल्हा बना जाता है, तो उस पर गुड़ की खीर, रोटी बनाई जाती है. आप इसे पीतल या मिर्टी के बर्तन में बना सकते हैं. साथ ही गेहूं की रोटी या फिर पूड़ी बनाई जाती है. शाम में सूर्य देव को पूजा-आराधना करके इस प्रसाद को ग्रहण करते हैं.

कैसे तैयार होता है खरना में छठ मैया का प्रसाद

परंपरा के अनुसार, खरना में छठ मैया का प्रसाद बनाने के लिए मिट्टी का चूल्हा तैयार किया जाता है. इस दिन चूल्हे पर आम की लकड़ी से आग जलाई जाती है. इसके बाद गुड़ और चावल की खीर तैयार की जाती है. खीर बनाने के साथ ही गेंहू के आटे की रोटी बनती है. छठी मैया को भोग लगाने के बाद इस गुड़ की खीर और रोटी को खाया जाता है और खरना की पूजा संपन्न की जाती है.

खरना की पूजा और प्रसाद पाने के समय ध्यान रखने योग्य बातें

खरना पूजा के समय और प्रसाद ग्रहण करते समय बाहर से तेज आवाज नहीं आना चाहिए. इसलिए घर से सदस्यों को तेज आवाज में बोलने या कोई अन्य तेज आवाज काम करने से मना किया जाता है. धार्मिक मान्यता है कि, खरना पूजा के समय या खरना प्रसाद ग्रहण करते समय तेज आवाज सुनने या शोर-शराबा व्रत में बाधा उत्पन्न करती है.

Lalit Kumar

ललित कुमार को पत्रकारिता के क्षेत्र में 8 साल से अधिक का अनुभव है. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत प्रिंट मीडिया से की थी. इस दौरान वे मेडिकल, एजुकेशन और महिलाओं से जुड़े मुद्दों को कवर किया करते थे. पत्रकारिता क…और पढ़ें

ललित कुमार को पत्रकारिता के क्षेत्र में 8 साल से अधिक का अनुभव है. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत प्रिंट मीडिया से की थी. इस दौरान वे मेडिकल, एजुकेशन और महिलाओं से जुड़े मुद्दों को कवर किया करते थे. पत्रकारिता क… और पढ़ें

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खरना के दिन छठ मैया का प्रसाद कब बनता है? जिसे खाकर निर्जला व्रत करतीं व्रती


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