Dhanteras Puja Vidhi 2025 In Hindi : आज देशभर में धनतेरस 2025 का पर्व मनाया जा रहा है और इस दिन माता लक्ष्मी, कुबेर देव और भगवान धन्वंतरि की पूजा अर्चना की जाती है. यह पर्व हर वर्ष कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है. धनतेरस यानी धन त्रयोदशी दीपावली पर्व की शुरुआत मानी जाती है. यह दिन केवल खरीदारी का ही नहीं, बल्कि घर में सुख-समृद्धि, आरोग्य और सकारात्मकता लाने का दिन होता है. धनतेरस की पूजा हमेशा प्रदोष काल में त्रयोदशी तिथि में की जाती है और इस दिन खरीदारी करने का विशेष महत्व है. मान्यता है कि आज के दिन खरीदी गईं चीजों में 13 गुणा वृद्धि होती है. इस दिन की पूजा विधि को सही तरीके से करने से घर में धन, स्वास्थ्य और सौभाग्य की वृद्धि होती है. जानें धनतेरस पूजा विधि…

धनतेरस पूजा शुभ मुहूर्त 2025 (Dhanteras Puja Muhurta 2025)
कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को शाम के समय प्रदोष काल में पूजा का विशेष महत्व होता है.
शुभ समय: सूर्यास्त के बाद 45 मिनट से लेकर लगभग 2 घंटे तक पूजा करना शुभ माना जाता है.
पूजन मुहूर्त:शाम 7 बजकर 15 मिनट से रात 8 बजकर 19 मिनट तक
दिशा: पूजन उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके करें.
धनतेरस पूजा सामग्री (Dhanteras Puja List 2025)
भगवान धन्वंतरि और मां लक्ष्मी की तस्वीर या मूर्ति
दीपक (मिट्टी या पीतल का)
रोली, चावल, हल्दी, फूल, धूप-दीप
गंगाजल या स्वच्छ पानी
नए सिक्के या चांदी के सिक्के
कलश, नारियल, आम के पत्ते
मिठाई (खीर, बताशे, गुड़ या लड्डू)
पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी, और शक्कर)
धनतेरस पूजा विधि 2025 (Dhanteras Puja Vidhi 2025)
धनतेरस के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान ध्यान से निवृत्त होकर पूजा की तैयारी करें. घर के ईशान को में पूजा करें, पूजन के समय आपका मुख ईशान, पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ होना चाहिए. प्रदोश काल के समय भगवान धन्वंतरि, माता लक्ष्मी और कुबेर देव की प्रतिमा, कैलेंडर, चित्र स्थापित करें.
पूजन के समय पंचदेव की स्थापना करें और भगवान धन्वंतरि की षोडशोपचार विधि से पूजा करें. भगवान धन्वंतरि की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाकर ॐ धन्वंतरये नमः मंत्र का जाप करें. फिर उन्हें पंचामृत से स्नान कराएं और तुलसी की पत्तियां चढ़ाएं. यह सेहत और लंबी उम्र के लिए शुभ माना जाता है. पूजन में भगवान धन्वंतरि को रोली, अक्षत, फल, फूल, खील-बताशे, मिठाई, मेवे आदि नैवेघ अर्पित करें. साथ ही मंत्रों का जप करते रहें. पूजा के समय घी का बड़ा दीपक जलाएं. साथ 13 दीपक जलाकर घर के अलग-अलग स्थानों पर रखें. इसके बाद आरती करें.
मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा
अब मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा करें. दोनों को रोली और अक्षत से तिलक करें और पुष्प, धूप, खील-बताशे और दीप अर्पित करें. साथ ही सिक्के या नया धन पूजा में रखें और लक्ष्मी-कुबेर मंत्रों का जाप करें. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नमः।, ॐ यं कुबेराय नमः। पूजा के अंत में मां लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि की आरती करें और परिवार के सभी सदस्यों में प्रसाद बांटें.
किस तरह जलाएं दीपक
मुख्य पूजा के बाद प्रदोष काल में दीपक जलाएं. एक दीपक यम के नाम का जलाएं और रात में घर के सभी कोनों में दीपक जलाए. 13 दीपक मेन गेट पर और 13 दीपक घर के अंदर जलाएं. धनतेरस की रात दक्षिण दिशा में दीपक जलाने का विशेष महत्व है. यह दीप यमराज को समर्पित माना जाता है ताकि परिवार पर अकाल मृत्यु का साया ना आए.
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