अष्टमी श्राद्ध तिथि: 14 सितंबर दिन रविवार
अष्टमी तिथि समापन- 15 सितंबर, सुबह 3 बजकर 6 मिनट तक
कुतुप काल का मुहूर्त
रोहिणी मुहूर्त – दोपहर 12 बजकर 58 मिनट से 1 बजकर 47 मिनट तक
सप्तमी श्राद्ध अनुष्ठान तिथि- 14 सितंबर, दिन शनिवार

जिन लोगों की मृत्यु अष्टमी तिथि (आठवीं तिथि) को हुई हो, उनका श्राद्ध इसी दिन किया जाता है. विशेष रूप से यह श्राद्ध जिनकी मृत्यु अष्टमी तिथि को हुई हो. यदि किसी पूर्वज की मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं है, तो भी उनका श्राद्ध अष्टमी तिथि पर किया जा सकता है. मान्यता है कि इस दिन किया गया श्राद्ध पितरों को तृप्ति देने के साथ-साथ परिवार में सुख-समृद्धि लाता है. इस दिन किया गया श्राद्ध ऐसे पितरों की आत्मा को शांति देता है, जो असमय या अप्राकृतिक मृत्यु से गए हों. इसके अलावा इस दिन श्रद्धापूर्वक श्राद्ध कर्म करने से परिवार में सुख-समृद्धि आती है और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
– जिनकी मृत्यु अष्टमी तिथि को हुई हो.
– जिन लोगों को मृत्यु तिथि याद न हो.
– हिंसा या हत्या से मारे गए लोग.
– विष या जहर से प्राण गंवाने वाले.
– गर्भपात या प्रसव के समय जिनकी मृत्यु हो गई हो.
– कम उम्र (अकाल मृत्यु) में मृत्यु को प्राप्त हुए लोग.
आज सुबह जल्दी उठकर स्नान करें. अपने पितरों का नाम लेकर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके संकल्प लें कि आप आज सप्तमी तिथि का श्राद्ध कर रहे हैं. पवित्र स्थान पर कुशा (दूब घास) बिछाएं. पिंडदान के लिए तिल, चावल और जल से अर्पण करें. चावल, जौ का आटा, तिल और शहद मिलाकर पिंड बनाएं. तिल मिश्रित जल अर्पित करते हुए ॐ पितृभ्यः स्वधा मंत्र का जाप करें. अब दोपहर के समय किसी ब्राह्मण को भोजन कराएं और दक्षिणा दें. गाय, कुत्ते, कौए और जरूरतमंद को भोजन खिलाना भी श्राद्ध का ही हिस्सा माना गया है. अंत में पितरों से आशीर्वाद की प्रार्थना करें कि वे सदैव परिवार पर कृपा बनाए रखें.
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https://hindi.news18.com/news/dharm/pitru-paksha-2025-whose-shraddh-should-be-performed-on-pitru-paksha-8th-day-ws-kln-9618062.html