Shatru Sanhar Yagya: आज के समय में व्यक्ति केवल शारीरिक या आर्थिक चुनौतियों से ही नहीं जूझ रहा, बल्कि मानसिक दबाव, ईर्ष्या, षड्यंत्र, बुरी नज़र और अनजानी नकारात्मक ऊर्जा भी जीवन को प्रभावित करती है. कई बार ऐसा लगता है कि बिना किसी स्पष्ट कारण के काम बिगड़ रहे हैं, लोग विरोध कर रहे हैं या मन में लगातार डर और बेचैनी बनी रहती है. ऐसे हालात में लोग आध्यात्मिक उपायों की ओर रुख करते हैं, जिनमें शत्रु संहार यज्ञ का विशेष महत्व माना गया है. शत्रु संहार यज्ञ एक ऐसा धार्मिक अनुष्ठान है, जिसे आत्मरक्षा, मानसिक मजबूती और नकारात्मक प्रभावों से बचाव के लिए किया जाता है. इसका उद्देश्य किसी को नुकसान पहुंचाना नहीं, बल्कि अपने जीवन से बाधाओं को दूर करना और स्वयं को सुरक्षित करना होता है. यह यज्ञ एक आध्यात्मिक कवच की तरह काम करता है, जिससे व्यक्ति को अंदरूनी शक्ति मिलती है और वह कठिन परिस्थितियों का सामना आत्मविश्वास के साथ कर पाता है. इस अनुष्ठान में मंत्र जाप, अग्नि आहुतियां और देवताओं की आराधना के माध्यम से सकारात्मक ऊर्जा को जाग्रत किया जाता है. इस पूजा के बारे में विस्तार से जानते हैं श्री पंच अग्नि अखाड़ा के महन्त/पीठाधीश्वर/ज्योतिषाचार्य डॉ. श्री विश्वेश्वरानन्द ब्रह्मचारी जी महाराज से.
शत्रु संहार यज्ञ का अर्थ और भाव
‘शत्रु’ का मतलब होता है वह शक्ति या व्यक्ति जो हमारे जीवन में रुकावट पैदा कर रहा हो. यह शत्रु बाहरी भी हो सकता है और अंदरूनी भी, जैसे भय, क्रोध, आत्मविश्वास की कमी या नकारात्मक सोच. ‘संहार’ का अर्थ समाप्त करना है. इस तरह शत्रु संहार यज्ञ का भाव है उन सभी तत्वों का अंत करना जो जीवन में शांति और प्रगति में बाधा बन रहे हैं.
यह यज्ञ बदले या क्रोध से प्रेरित नहीं होता. इसका मूल भाव रक्षा और संतुलन है. माना जाता है कि जब व्यक्ति सच्चे मन से यह अनुष्ठान करता है, तो उसकी ऊर्जा मजबूत होती है और नकारात्मक शक्तियाँ अपने आप कमजोर पड़ने लगती हैं.
किन देवताओं की पूजा की जाती है
शत्रु संहार यज्ञ में मुख्य रूप से भगवान कार्तिकेय, जिन्हें सुब्रमण्य भी कहा जाता है, की आराधना की जाती है. वे साहस, शक्ति और विजय के प्रतीक माने जाते हैं. कई स्थानों पर हनुमान जी की पूजा भी की जाती है, क्योंकि वे निर्भयता, बल और सुरक्षा का प्रतीक हैं. मंत्र जाप और पूजा विधि का उद्देश्य साधक के भीतर साहस और स्थिरता को जाग्रत करना होता है.

डॉ. श्री विश्वेश्वरानन्द ब्रह्मचारी जी महाराज, महन्त/पीठाधीश्वर/ज्योतिषाचार्य श्री पंच अग्नि अखाड़ा
शत्रु संहार यज्ञ से होने वाले फायदे
इस यज्ञ का सबसे बड़ा लाभ सुरक्षा माना जाता है. यह बुरी नज़र, ईर्ष्या और नकारात्मक प्रभावों से रक्षा करता है. जिन लोगों को बार‑बार असफलता, विरोध या अकारण भय महसूस होता है, उन्हें इससे मानसिक राहत मिलती है.
व्यवसाय और करियर में आ रही रुकावटें धीरे‑धीरे कम होने लगती हैं. आर्थिक स्थिति में सुधार, कर्ज से राहत और निर्णय लेने की क्षमता मजबूत होती है. स्वास्थ्य की दृष्टि से भी यह यज्ञ लाभकारी माना जाता है, क्योंकि मानसिक तनाव कम होने से शरीर पर सकारात्मक असर पड़ता है. पारिवारिक जीवन में चल रहे तनाव, आपसी मतभेद और अशांति में भी सुधार देखा जाता है. कई लोग इसे संतान सुख और घर में सकारात्मक माहौल के लिए भी करते हैं.
कौन कर सकता है यह यज्ञ
यह यज्ञ कोई भी व्यक्ति कर सकता है जो अपने जीवन में लगातार बाधाओं, विरोध या मानसिक दबाव से परेशान हो. यह जरूरी नहीं कि शत्रु कोई व्यक्ति ही हो, कई बार परिस्थितियां और नकारात्मक सोच भी शत्रु का रूप ले लेती हैं. ऐसे में यह अनुष्ठान आत्मबल बढ़ाने का माध्यम बनता है.
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