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Shukrawar Lakshmi Vrat 2025: शुक्रवार को माता लक्ष्मी की पूजा का महत्व ज्योतिषीय और धार्मिक दोनों दृष्टियों से अत्यंत शुभ माना गया है. इस दिन व्रत रखकर लक्ष्मी पूजन से ना केवल आर्थिक उन्नति होती है, बल्कि शुक्र ग्रह के अशुभ प्रभाव भी शांत होते हैं, जिससे जीवन में सौभाग्य, वैभव और आनंद का वास होता है. आइए जानते हैं शुक्रवार लक्ष्मी व्रत का महत्व और पूजा विधि…
Shukrawar Lakshmi Vrat 2025: मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को दिन शुक्रवार है. शुक्रवार का दिन धन की देवी और विष्णु प्रिया माता लक्ष्मी और सुख-सुविधाओं के स्वामी शुक्र ग्रह को समर्पित है. इसी कारण से शुक्रवार को लक्ष्मी पूजन करने से कुंडली में शुक्र ग्रह की स्थिति मजबूत होती है और जीवन में वैभव, भौतिक सुख-सुविधा तथा आर्थिक स्थिरता आती है. शुक्रवार का दिन सप्ताह में सबसे ज्यादा शुभ माना जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शुक्रवार के दिन व्रत रखकर माता लक्ष्मी की पूजा करने और कुंवारी लड़कियों को खीर का भोग लगाने से हर सुख की प्राप्ति होगी और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद भी मिलेगा. आइए जानते हैं शुक्रवार लक्ष्मी व्रत का महत्व और पूजा विधि…
शुक्रवार पंचांग 2025
द्रिक पंचांग के अनुसार, अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 44 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय सुबह 10 बजकर 45 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 5 मिनट तक रहेगा. इस दिन सूर्य तुला राशि और चंद्रमा 15 नवंबर सुबह 3 बजकर 51 मिनट तक सिंह राशि में रहेंगे. इसके बाद कन्या राशि में गोचर करेंगे. साथ ही शुक्रवार को विडाल योग, मालव्य योग और द्विग्रह योग बन रहे हैं. इस तिथि को कोई विशेष पर्व नहीं है, लेकिन आप वार के हिसाब से शुक्रवार व्रत रख सकते हैं.
शुभ योग का प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मालव्य योग एक शुभ योग होता है. यह विशेष रूप से तब बनता है जब शुक्र ग्रह खुद की ही राशि में गोचर करते हैं. साथ ही, यह जातकों को ऐश्वर्य, धन, सौंदर्य और भौतिक सुख-सुविधाएं देती हैं. इस योग के प्रभाव से व्यक्तित्व प्रभावशाली और आकर्षक होता है. यह योग व्यक्ति का भाग्य बदल सकता है.
शुक्रवार लक्ष्मी व्रत का महत्व
ब्रह्मवैवर्त और मत्स्य पुराण में शुक्रवार व्रत का उल्लेख मिलता है, जिसमें माता लक्ष्मी, संतोषी और शुक्र ग्रह की अराधना करने के लिए बताया गया है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इस तिथि पर विधि-विधान से पूजा करने से जातक के जीवन में सुख, समृद्धि, धन-धान्य और वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है. शुक्रवार के दिन विधि-विधान से पूजा करने पर सभी कष्ट दूर होते हैं और माता रानी भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती हैं.
16 शुक्रवार तक रखें व्रत
ज्योतिष शास्त्र में यह व्रत शुक्र ग्रह को मजबूत करने और उससे जुड़े दोषों को दूर करने के लिए भी रखा जाता है. अगर कोई भी जातक व्रत को शुरू करना चाहता है, तो किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के पहले शुक्रवार से कर सकता है. आमतौर पर 16 शुक्रवार तक व्रत रखने के बाद उद्यापन किया जाता है.
शुक्रवार लक्ष्मी पूजा विधि
शुक्रवार के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें. पूजा स्थल पर गंगाजल छिड़कें. लाल कपड़े पर माता लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें. दीप जलाएं और फूल, चंदन, अक्षत, कुमकुम और मिठाई का भोग लगाएं. श्री सूक्त और कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें. मंत्र जप करें – ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः और विष्णुप्रियाय नमः का जप भी लाभकारी है.
मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प…और पढ़ें
मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प… और पढ़ें
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