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Mithila Special Art: देवताओं को बहुत प्रिय है अरिपन की कला, शुभ कार्यों में इसका है विशेष महत्व, अब कागजों पर भी उपलब्ध

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Mithila Special Art: मिथिला में शुभ कार्यों में विशेष प्रकार की कला का उपयोग होता है जिसे अरिपन कहते हैं. इसमें कलाकृति के माध्यम से भगवान को अँकित किया जाता है. पहले केवल जमीन पर बनने वाला यह कला अब कागजों पर …और पढ़ें

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अरिपन आर्ट 

हाइलाइट्स

  • अरिपन मिथिला की प्रसिद्ध कला है
  • अरिपन में 8 अंग होते हैं, जिसमें ईश्वर के शस्त्र और पद्म अंकित होते हैं
  • पहले मिट्टी पर बनता था, अब पेपर पर भी बनाया जाता है

मधुबनी. मिथिला में मधुबनी पेंटिंग के अलावा जो सबसे प्रसिद्ध कला है उसे अरिपन कहते हैं. हर घर में पर्व त्योहार के समय चावल के घोल से एक कलाकृति बनाई जाती हैं. इसमें 8 अंग होती हैं, जिसमें ईश्वर के हर भुजाओं और शस्त्र का चिह्न बनाया जाता है, साथ ही बीच में पद्म(पैर) बनाया जाता है. पहले ये सिर्फ मिट्टी पर बनता था लेकिन अब ये पेपर पर भी उसी प्रक्रिया से बनाया जाता हैं. क्या होता खास, कैसे बनाया जाता ये समझिए

भूमि से कागज तक का सफर 
Bharat.one की टीम से बात करते हुए कलाकार जुली झा बताती है कि यह अरिपन है पहले यह भूमि पर बनता था लेकिन अब यह कागजों पर भी बनने लगा है. इसकी बहुत ही विशेषता है जैसे कि पहले भूमि पर गाय की गोबर से लीप कर और फिर उस पर चावल की घोल से अरिपन बनाया जाता था. इसमें ईश्वर का आवाहन और मनुष्य का आवाहन सृष्टि का आवाह्न किया जाता है, किसी पर्व त्योहार, एकादशी, सत्यनारायन पूजा आदि में .वैसे ही अब इसे पेपर पर बनाया जाता है.

ऐसे तैयार करते पेपर पर सतह 
इसे तैयार करने का तरीका थोड़ा अलग है एक उजला पेपड़ की पहले सतह बनाते है जिसमें शुद्धता को ध्यान में रखते हुए गाय के गोबर का रस ,काला स्याही , चिकनी मिट्टी से पूरा रंग करते है , जिसे आंगन कहते हैं, फिर उजला और लाल कलर से अरिपन का थीम बनाते है. जिसे अष्टदल ( आठ अंग) भी बोला जाता है.

देवता से मनुष्य तक है अंकित 
दअरसल अरिपन आर्ट में देवता से लेकर मनुष्यों तक का वर्णन हैं.अष्टदल की विशेषता यह है कि इसमें आठ अंग (घर) होते है, जिसके प्रत्येक घर में तीन लाइन होते है. बता दे कि तीन रेखा का कारण यह है कि सभी देवता ब्रह्मा, विष्णु, महेश (शिव) को आवाह्न करते हैं और आठ घरों में विष्णु भगवान का शस्त्र है – शंख, चक्र, गदा, कमल, डमरू, स्वस्तिक, तीर उनके सभी हाथों के शस्त्र होते हैं. इसमें बीच में मां लक्ष्मी के पद्म (पैर) कमल चिह्न अंकित होती है. हालांकि सबसे मुख्य विशेषता यह है कि प्रकृति में पुरुष को श्वेत कहा गया है और स्त्री को रक्त माना गया है. जिसे शक्ति स्वरूपा माना जाता है. ऐसे में अरिपन स्त्री और पुरुष के समागम का चित्र है.

अरिपन आर्ट में भूमि पर चावल घोल और सिंदूर का उपयोग करके बनाते हैं, पेपर पर सफेद रंग और लाल रंग से बनाते हैं. पूरे मानव जीवन से देवताओं का संगम है ये आर्ट जिसे हम पूजा में बनाते हैं.

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मिथिला में इस कला की है विशेष खासियत, इसके बिना पूरी नहीं होती है कोई पूजा


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https://hindi.news18.com/news/lifestyle/culture-mithila-special-aripan-art-even-gods-used-to-like-it-higly-recommended-in-auspicious-rituals-local18-9112860.html

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