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अनिरुद्धाचार्य जी महाराज को प्रेमानंद महाराज ने सलाह दी कि लालच न करें, धर्म की प्रधानता रखें और अनाधिकारियों को उत्तर न दें. अनिरुद्धाचार्य जी ‘बिग बॉस’ में भी नजर आए थे.

कथावाचक अनिरुद्धाचार्य जी, प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज के दरबार में पहुंचे.
प्रसिद्ध कथावाचक अनिरुद्धाचार्य जी महाराज सोशल मीडिया पर बेहद प्रसिद्ध हैं. लेकिन अक्सर उनके जवाब अध्यात्म से ज्यादा सोशल मीडिया पर मीम्स का विषय बन जाते हैं. इसके साथ ही वो ‘बिग बॉस’ जैसे विवादित शो में नजर आने के बाद भी सुर्खियों में रहे हैं. ऐसे में हाल ही में प्रेमानंद महाराज के दरबार में पहुंचे अनिरुद्धाचार्य जी को ‘लालच न करने’, ‘जवाब न आने पर प्रश्न का कुछ भी उत्तर न देने’ जैसी बातों से प्रेमानंद महाराज से सलाह मिली. अनिरुद्धाचार्य जी अपनी पत्नी और दोनों बच्चों के साथ प्रेमानंद महाराज को एक निमंत्रण देने पहुंचे थे. निमंत्रण स्वीकार करते हुए प्रेमानंद महाराज ने अनिरुद्धाचार्य जी को कुछ सलाह दी हैं. उन्होंने साफ कहा ‘कि यदि उत्तर न आए तो जरूरी नहीं कि हम सवाल का जवाब दें.’ साथ ही मस्तक पर भगवान विराजने चाहिए, अर्थ (धन) नहीं.’
प्रेमानंद जी बोले- वाणी में शास्त्र सम्मानित शब्द हों
अनिरुद्धाचार्य जी के गौरी-गोपाल आश्रम में भगवन श्रीमन नारायण की प्राण प्रतिष्ठा हो रही है, जिसका निमंत्रण लेकर वह प्रेमानंद महाराज के यहां पहुंचे थे. प्रेमानंद महाराज ने अनिरुद्धाचार्य जी का निमंत्रण स्वीकार किया और फिर उन्हें समझाते हुए बोले, ‘बस इतना अपने जीवन में ध्यान रखना कि कभी अर्थ की लोलुपता न आने पावे. धर्म की प्रधानता रहे और वाणी शास्त्र संयम से रहे. अर्थ (पैसा) चरणों में रहे मस्तक पर कभी चढ़े न. क्योंकि मस्तक तो सिर्फ भगवान के लिए है होता है.’ प्रेमानंद महाराज आगे कहते हैं, ‘वाणी में शास्त्र सम्मानित शब्द रहेंगे तो सदैव विजय करोगे, जब कभी हमारे अंदर अर्थ की प्रधानता आ जाएगी, दिमाग अर्थ में हो जाएगा, वहीं हम मर जाएंगे, क्योंकि जीवन में पैसा ही सबकुछ नहीं होता.’ प्रेमानंद महाराज ने कहा कि उन्होंने पहले भी इसी बात को लेकर सावधान किया था क्योंकि अगर 100 लोग आपको प्रणाम करने वाले हैं तो पांच आपको गिराने वाले भी हैं उन पांच के सामर्थ्य आप तक ना पहुंच पाए इसलिए अर्थ प्रधानता मत रखना.’
प्रेमानंद महाराज ने अनिरुद्धाचार्य जी के बिना कोई प्रश्न पूछा उन्हें इन सारी चीजों के प्रति सतर्क किया. वह आगे कहते रहे, ‘सदैव धर्म का आश्रय रखना और वाणी से शास्त्र सम्मत हो, वहीं कहो. जैसे कोई प्रश्न करता है तो ऐसे जरूरी नहीं कि हर प्रश्न का उत्तर हम दें. प्रेमानंद महाराज ने एक कथा के माध्यम से समझाया कि जरूरी नहीं कि अनाधिकारी को उत्तर दिया जाए. अगर कोई अनाधिकारी तो आप मौन रहें, कि हम असमर्थ हैं आपका उत्तर देने के लिए.
कहीं जाने से पहले सोचो कि धर्म पर आंच तो नहीं आएंगी
अनिरुद्धाचार्य ‘बिग बॉस’ के लेटेस्ट सीजन के प्रीमियर शो में भी पहुंचे थे. इस शो का जिक्र किए बिना वह कहते नजर आए, ‘कहीं भी निमंत्रण हो, कोई बुलाए तो पहले देखो कि मेरे यहां जाने से धर्म प्रतिष्ठा पर आंच तो नहीं आएगी. अगर आंच आ रही है, तो बिलकुल न जाएं. ये जीवन में आपका कोई सहयोगी नहीं, भगवान के सिवा. जिसको तुम सहयोगी मानोगे वही तुम्हारी जड़ काटने की चेष्टा करेगा.
प्रेमानंद महाराज ने आखिर में अपनी बात दोहरते हुए कहा, ‘ये सूत्र समझ लो, प्रश्न का उत्तर वहीं दो, जानकारी के अनुसार. जिसे उत्तर दें, वह जानने का अधिकारी होना चाहिए और आपको बात की जानकारी होनी चाहिए. आप वहीं जाइए, जहां आपकी प्रतिष्ठा, आपके धर्म की प्रतिष्ठा में आंच न आए और अर्थ उतना ही चाहिए जितने से सेवा कर सकें. अगर हमारा यश गिरकर ऊपर बढ़ रहा है तो वह किसी काम का नहीं है. यश वही सम्मानिय है, जो गौरव के अनुसार और धर्म के अनुसार बढ़े.
वह आगे कहते हैं, ‘जैसे समुद्र में बिना बुलाए नदियां अपने आप जा रही हैं, वैसे ही धर्मात्मा पुरुष के पास समस्त वैभव अपने आप आ जाता है.’
January 27, 2025, 16:12 IST
प्रेमानंद महाराज ने अनिरुद्धाचार्य जी को दी सलाह: ‘धन की लालसा से बचें’