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इन्होंने छोड़ी सैनिक की नौकरी, दूसरे से है खून का रिश्ता, जानें प्रेमानंद महाराज के साथ 24 घंटे रहने वाले ये 3 शिष्य कौन हैं?

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Premanand Ji Maharaj : प्रेमानंद महाराज के ये शिष्य सिर्फ उनके विचारों से प्रेरित नहीं हैं, बल्कि उन्होंने अपनी पूरी ज़िन्दगी महाराज जी के साथ बिताने का संकल्प लिया है. इनके जीवन की कहानियां हमें यह सिखाती हैं …और पढ़ें

इन्होंने छोड़ी सैनिक की नौकरी, प्रेमानंद महाराज के 3 शिष्य कौन हैं?

प्रेमानंद महाराज के शिष्य कौन हैं?

हाइलाइट्स

  • प्रेमानंद महाराज के शिष्य नवनागरी बाबा पूर्व सैनिक हैं.
  • महामधुरी बाबा ने प्रोफेसर की नौकरी छोड़ साधु जीवन अपनाया.
  • श्यामा शरण बाबा, महाराज जी के भतीजे और शिष्य हैं.

Premanand Ji Maharaj : वृंदावन, जहां भक्ति की अविरल धारा बहती है, वहां के प्रसिद्ध संत, प्रेमानंद महाराज, ने न सिर्फ अपनी उपस्थिति से बल्कि अपनी शिक्षाओं से भी हज़ारों लोगों के दिलों में एक विशेष स्थान बना लिया है. उनका आश्रम भक्तों से भरा रहता है और उनके सत्संग से प्रेरित होकर लोग भक्ति के मार्ग पर अग्रसर होते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि प्रेमानंद महाराज के साथ रहने वाले कुछ खास शिष्य भी हैं, जो हमेशा उनके आस-पास होते हैं? ये शिष्य न सिर्फ उनके विचारों से प्रेरित होते हैं, बल्कि उनकी दिनचर्या का हिस्सा भी बन चुके हैं. आइये, जानते हैं इन शिष्यों के बारे में, जो 24 घंटे प्रेमानंद महाराज के साथ रहते हैं.

1. नवनागरी बाबा जी – एक परिवर्तन की कहानी
नवनागरी बाबा जी, प्रेमानंद महाराज के सबसे खास शिष्यों में से एक हैं. उनका जीवन एक प्रेरणा से भरा हुआ है. वे पहले एक सैनिक थे और पंजाब के पाठनकोट से आते हैं. उनके पिता भी भारतीय सेना में अफसर थे. लेकिन 2017 में महाराज जी के सत्संग से प्रभावित होकर नवनागरी बाबा ने अपने आर्मी के करियर को छोड़ दिया और संन्यास की राह पकड़ ली. अब वे अपने जीवन का अधिकांश समय महाराज जी की सेवा में बिताते हैं और उनके साथ वृंदावन में ही रहते हैं. उनका जीवन एक मिसाल है कि सच्ची भक्ति और संतों के आशीर्वाद से व्यक्ति किसी भी जीवन के मोड़ पर बदलाव ला सकता है.

2. महामधुरी बाबा – एक शिष्य जो शिक्षक से साधु बने
महामधुरी बाबा का जीवन भी परिवर्तन की कहानी है. ये मूल रूप से पीलीभीत के निवासी हैं और पहले एक असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में काम करते थे. उनका संपर्क पहली बार महाराज जी से उनके भाई के माध्यम से हुआ था. जब वे वृंदावन आए, तो महाराज जी के आशीर्वाद ने उनका जीवन ही बदल डाला. उन्होंने अपना प्रोफेसर का पद छोड़कर साधु का जीवन अपनाया और अब वे भी महाराज जी के साथ रहते हैं. उनका यह निर्णय यह दर्शाता है कि जब व्यक्ति का दिल सत्य और भक्ति की ओर मुड़ता है, तो संसार की सभी सांसारिक बातें उसे त्यागनी पड़ती हैं.

3. श्यामा शरण बाबा – रक्त संबंध से बढ़कर एक आध्यात्मिक संबंध
श्यामा शरण बाबा, प्रेमानंद महाराज के एक ऐसे शिष्य हैं जिनका संबंध महाराज जी से खून के रिश्ते से भी जुड़ा है. वे महाराज जी के भतीजे हैं, और उनका जन्म भी उसी घर में हुआ था, जहां प्रेमानंद महाराज का जन्म हुआ. बचपन से ही उन्हें अपने घर में महाराज जी के जीवन के प्रेरणादायक किस्से सुनने को मिलते थे. यही वजह थी कि उनका दिल भक्ति के मार्ग की ओर खिंचता गया और उन्होंने महाराज जी से दीक्षा लेकर उनका शिष्यत्व स्वीकार किया. उनका जीवन यह बताता है कि जब एक व्यक्ति अपने परिवार और गुरु के आशीर्वाद से जुड़ा होता है, तो वह भक्ति के रास्ते पर चलता हुआ जीवन के उच्चतम उद्देश्यों की प्राप्ति कर सकता है. (Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)

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