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ईद मिलादुन्नबी नबी क्यों है खास? जानिए पैग़म्बर-ए-इस्लाम की तालीमात और पर्व की मान्यता

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Eid-e-Milad-un Nabi 2025 : ईद मिलादुन्नबी इस्लामी कैलेंडर का बेहद खास दिन माना जाता है. हर साल 12 रबी-उल-अव्वल को मुस्लिम समुदाय बड़ी अकीदत के साथ यह दिन मनाता है. इस मौके पर मस्जिदों में कुरआन की तिलावत होती …और पढ़ें

अलीगढ़ : ईद मिलादुन्नबी दुनिया भर के मुसलमान बड़े हर्ष और श्रद्धा के साथ मनाते हैं. इस दिन को इस्लामी कैलेंडर में खास महत्व दिया गया है. इस्लामिक मान्यता के अनुसार पैग़म्बर-ए-इस्लाम हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की पैदाइश 12 रबी-उल-अव्वल को मक्का में हुई थी. इसी वजह से मुसलमान हर साल इस दिन को मोहब्बत और अकीदत के साथ याद करते हैं. पैग़म्बर मोहम्मद साहब को रहमतुल्लिल आलमीन यानी पूरी कायनात के लिए रहमत कहा गया है. उनकी शिक्षाएं, इंसानियत, अमन और भाईचारे का पैग़ाम देती हैं.

ईद-ए-मिलाद जिसे मिलाद उन-नबी भी कहा जाता है. यह पर्व पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब के जन्मदिन के अवसर पर मनाया जाता है. यह पर्व मुसलमानों के लिए केवल उत्सव ही नहीं, बल्कि प्रेम और शांति का दिन भी है. इस साल यह 4 या 5 सितंबर को मनाया जाएगा, जो चांद दिखने पर निर्भर करता है.

नबी-ए-पाक की हदीसों को याद करने का दिन
अलीगढ़ के धर्मगुरु मौलाना इफराहीम हुसैन बताते हैं कि ईद मिलादुन्नबी पर सबसे पहले लोग अपने दिलों को मोहब्बत और शुक्र से भरते हैं. मस्जिदों में कुरआन की तिलावत की जाती है, नात-ए-पैग़म्बर पढ़ी जाती है और जुलूस निकाले जाते हैं. मोहल्लों और गलियों को हरे झंडों और रोशनियों से सजाया जाता है. बच्चे और बड़े सभी इस जश्न में शामिल होते हैं. इस दिन नबी-ए-पाक की हदीसों को याद किया जाता है ताकि लोग अपनी जिंदगी को बेहतर बना सकें. गरीबों और जरूरतमंदों को खाना खिलाना और दान करना भी इस मौके का अहम हिस्सा है.

रूह को पाक करने का दिन
मौलाना इफराहीम हुसैन कहते हैं कि यह दिन सिर्फ जश्न का नहीं, बल्कि रूह को पाक करने का भी है. हमें सोचना चाहिए कि हम पैग़म्बर की बताई राह पर कितना चल पा रहे हैं. उन्होंने हमेशा सच बोलने, अमानतदारी निभाने, पड़ोसियों का ख्याल रखने और कमजोरों की मदद करने की शिक्षा दी. इसलिए असली मक़सद यही है कि हम उनकी तालीमात को अपनी जिंदगी में अपनाएँ और उसी रास्ते पर चलें.

नफरत और मुश्किलों से जूझ रहा समाज
मौलाना का कहना है कि मौजूदा दौर में जब समाज नफरत और मुश्किलों से जूझ रहा है, तब ईद मिलादुन्नबी हमें मोहब्बत, अमन और भाईचारे की याद दिलाता है. अगर हम पैग़म्बर की राह पर चलें तो समाज में शांति और इंसानियत दोनों मजबूत होंगी. यही वजह है कि मुसलमान हर साल बेसब्री से इस दिन का इंतज़ार करते हैं और पूरे यकीन के साथ इसे मनाते हैं.

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