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एक ईंट पर खड़े होकर आज भी भक्तों का यहां इंतजार करते हैं भगवान, देवउठनी एकादशी पर होता है यह काम

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देवउठनी एकादशी को कार्तिकी एकादशी भी कहा जाता है और इस बार यह शुभ तिथि 1 नवंबर है. इस दिन भगवान विष्णु चार माह की योगनिद्रा के बाद जागते हैं और सृष्टि का कार्यभार संभालते हैं. कार्तिकी एकादशी पर भगवान विट्ठल का यह मंदिर 24 घंटे खुला रहता है और यहां भगवान भक्तों का इंतजार करते हैं. आइए जानते भगवान विट्ठल के मंदिर के बारे में…

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देशभर में बहुत सारे ऐसे मंदिर हैं, जहां भक्त भगवान के दर्शन की अभिलाषा के लिए लंबी-लंबी लाइनों में लगकर इंतजार करते हैं, लेकिन महाराष्ट्र के पंढरपुर में एक ऐसा मंदिर है, जहां भगवान विष्णु खुद भक्त के इंतजार में एक ईंट में खड़े रहते हैं. यह मंदिर चंद्रभागा नदी के तट पर मौजूद है और यहां भक्त भगवान विट्ठल से मिलने के लिए नंगे पैर यात्रा करके भी आते हैं. भगवान विट्ठल को विठोबा या पांडुरंग भी कहते हैं और मुख्य रूप से महाराष्ट्र और कर्नाटक में पूजे जाते हैं.

भगवान के लिए बेहद खास है यह माह
बुधवार से कार्तिक मास शुरू हो चुका है और ये पूरा महीना भगवान विष्णु को समर्पित होता है. माना जाता है कि कार्तिक माह में रोज स्नान करके, भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना कर जाप करने से भगवान विष्णु से मनचाही इच्छा का वरदान मांगा जा सकता है. यही महीना पंढरपुर के विट्ठल-रुक्मणी मंदिर के लिए बेहद खास होता है. कार्तिक माह की देवउठनी एकादशी के दिन मंदिर में भगवान को शयन से जगाने के लिए भक्त बढ़ी संख्या में मंदिर पहुंचते हैं. इस दिन भक्त पैदल यात्रा करके भगवान विट्ठल से आशीर्वाद लेने के लिए मंदिर पहुंचते हैं.

24 घंटे खुलता है मंदिर
देवउठनी एकादशी के मौके पर मंदिर को फूलों से सजाया जाता है और इस दिन मंदिर पूरे 24 घंटे भक्तों के लिए खुला रहता है. भक्त रात भर चंद्रभागा नदी के तट और मंदिर में कीर्तन और भजन कर भगवान विट्ठल को जगाते हैं. इस दिन मंदिर में महाप्रसाद का भोज भी नारायण को लगता है, जिसमें श्रद्धालु अपनी श्रद्धानुसार दान करते हैं.

कार्तिकी एकादशी का बहुत महत्व
पंढरपुर के मंदिर में आषाढ़ी एकादशी और कार्तिकी एकादशी का बहुत महत्व है. आषाढ़ी एकादशी (विष्णु भगवान के सोने का समय) पर भक्त कई किलोमीटर की पैदल यात्रा कर विट्ठल मंदिर पहुंचते हैं. मंदिर में पैदल चलने की मान्यता बीते 800 साल से चल रही है और आज भी देवशयनी एकादशी पर भक्त कई किलोमीटर नंगे पांव पैदल चलकर मंदिर पहुंचते हैं. इसके बाद कार्तिकी एकादशी आती है, जिस दिन भगवान अपनी नींद से जागते हैं.

भक्तों के लिए ये दिन बहुत खास होता है. सिर्फ पंढरपुर में ही नहीं बल्कि देश के लगभग हर हिस्से में देवउठनी एकादशी का महत्व बहुत ज्यादा है. देवउठनी एकादशी के बाद से शादियों के मुहूर्त और शुभ काम दोबारा शुरू हो जाते हैं, जो पौष माह के पहले तक चलते हैं. पौष में 21 दिन के लिए फिर से शुभ काम बंद हो जाते हैं.

विट्ठल मंदिर की मान्यता
पंढरपुर के विट्ठल मंदिर की मान्यता बहुत प्यारी है. माना जाता है कि भक्त पुंडलिक से खुद मिलने भगवान विष्णु आए थे. कहा जाता है कि परम भक्त पुंडलिक ने अपने माता-पिता की असीम सेवा की थी, जिसके भाव से प्रसन्न होकर खुद भगवान विष्णु विट्ठल अवतार में प्रकट हुए थे. कहा जाता है कि भक्त पुंडलिक ने खुद भगवान को एक ईंट पर खड़े होकर इंतजार करने के लिए कहा था. तब से मंदिर में भगवान की वही प्रतिमा स्थापित है.

मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प… और पढ़ें

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