Dhanteras Puja Muhurta 2025: कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को देशभर में धनतेरस का पर्व मनाया जाएगा और यह शुभ तिथि 18 अक्टूबर दिन शनिवार को है. ज्योतिष तथा पुराणों के अनुसार, इस दिन समुद्र मंथन से भगवान विष्णु के अवतार धन्वंतरि अमृत कलश और औषधियां लेकर प्रकट हुए थे इसलिए यह दिन स्वास्थ्य, दीर्घायु और समृद्धि का प्रतीक है. धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि के साथ माता लक्ष्मी और कुबेर देव की पूजा की जाती है. धनतेरस के दिन खरीदी गईं चीजों में 13 गुणा वृद्धि होती है इसलिए इस दिन नया बर्तन, सोना या चांदी खरीदना शुभ माना गया है. आइए जानते हैं धनतेसर की पूजा का समय, महत्व और उपाय…
द्रिक पंचांग के अनुसार, शनिवार के दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 43 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय सुबह 9 बजकर 15 मिनट से शुरू होकर 10 बजकर 40 मिनट तक रहेगा. द्वादशी तिथि का समय 17 अक्टूबर सुबह 11 बजकर 12 मिनट से शुरू होकर 18 अक्टूबर दोपहर 12 बजकर 18 मिनट तक रहेगा. इसके बाद त्रयोदशी शुरू हो जाएगी, जिसके हिसाब से त्रयोदशी मनाई जाएगी.

शनि पूजा का संयोग
इस दिन धनतेरस, यम दीपम और शनि त्रयोदशी का विशेष संयोग बन रहा है. शनि त्रयोदशी का उल्लेख शिव पुराण और स्कंद पुराण दोनों में मिलता है. यह व्रत चंद्र मास की दोनों त्रयोदशी को किया जाता है. प्रदोष व्रत के दिन के अनुसार, इसे सोम प्रदोष, भौम प्रदोष और शनि प्रदोष कहा जाता है, जब यह क्रमशः सोमवार, मंगलवार और शनिवार को पड़ता है. यह व्रत नाना प्रकार के संकट और बाधाओं से मुक्ति दिलाने के लिए किया जाता है.
ग्रह-नक्षत्रों का मिलता है शुभ फल
भगवान शिव शनिदेव के गुरु हैं, इसलिए यह व्रत शनि ग्रह से संबंधित दोषों, कालसर्प दोष और पितृ दोष के निवारण के लिए भी उत्तम माना जाता है. इस व्रत के पालन से भगवान शिव की कृपा से सभी ग्रह दोषों से मुक्ति प्राप्त होती है और शनि देव की कृपा से कर्मबन्धन काटने में मदद मिलती है. इस दिन सूर्यास्त के समय प्रदोष काल में शिवलिंग की पूजा की जाती है और शनि मंत्रों के जाप और तिल, तेल व दान-पुण्य करने का प्रावधान है. यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है जो शनि की दशा से पीड़ित हैं.
धनतेरस पूजा मुहूर्त 2025
इसी के साथ ही इस दिन धनतेरस भी है. यह पर्व त्रयोदशी तिथि को प्रदोष काल में मनाया जाता है, जो सूर्यास्त के बाद लगभग 2 घंटे 24 मिनट तक रहता है. इस समय स्थिर लग्न, खासकर वृषभ लग्न, में पूजा करना सबसे शुभ माना जाता है, क्योंकि इससे मां लक्ष्मी घर में स्थायी रूप से विराजमान होती हैं.
धनतेरस पर जलाएं 13 दीपक
धनतेरस पर शाम को 13 दीपक जलाकर भगवान कुबेर की पूजा करें. पूजा के दौरान मंत्र ‘यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन-धान्य अधिपतये धन-धान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा’ का जाप करें. 13 कौड़ियां रात में गाड़ने से धन लाभ होता है. घर के अंदर और बाहर 13-13 दीपक जलाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है. मां लक्ष्मी को लौंग अर्पित करने और सफेद वस्तुएं जैसे दूध, चावल या कपड़े दान करने से धन की कमी नहीं होती. किन्नर को दान देना और उनसे सिक्का मांगना भी शुभ है. पेड़ की टहनी लाकर घर में रखने और मंदिर में पौधा लगाने से समृद्धि और सफलता मिलती है. दक्षिणावर्ती शंख में जल छिड़कने से मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
यम दीपक जलाने का महत्व
धनतेरस के दिन संध्या समय यम दीप जलाने की परंपरा है. त्रयोदशी तिथि को घर के मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा में एक दीपक जलाएं. यह दीपक यमराज को समर्पित होता है. मान्यता है कि इससे यमदेव प्रसन्न होते हैं और परिवार के सदस्यों की अकाल मृत्यु से रक्षा करते हैं. इस दीपक को जलाते समय दीर्घायु और सुरक्षा की प्रार्थना करें.