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एक ऐसा कुआं जहां का पानी हो गया था घी और संत ने बनवाए थे मालपुआ, श्रद्धालु आज भी यहां मांगते हैं मन्नत

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दौसा : राजस्थान के दौसा जिले में संतों के अद्भुत चमत्कारों की कहानियां सुनकर लोग अचंभित हो जाते हैं. जिले के सिकराय उपखंड क्षेत्र के घूमना गांव में स्थित दादू पंथी संत आश्रम सैकड़ों वर्षों से श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है. यहां संतों की तपस्या और चमत्कारों के किस्से सुनने को मिलते हैं, जो आज भी लोगों को आकर्षित करते हैं.

घूमना गांव में स्थित यह संत आश्रम धार्मिक आस्था और चमत्कारों का केंद्र है. यहां आने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. आश्रम के पुजारी छोटे बच्चों के नजर दोष और अन्य बीमारियों को ठीक करने के लिए झाड़ा देते हैं. आश्रम के बारे में कहा जाता है कि यहां तपस्या करने वाले संतों की कृपा से जंगली जानवर भी अहिंसक हो जाते थे.

12 साल की घोर तपस्या और जंगल में संतों का वास
घूमना गांव के संत आश्रम में 12 साल तक मौन तपस्या की गई थी. उस समय यह स्थान घने जंगल से घिरा हुआ था. पुजारी फरेबी दास बताते हैं कि संत महाराज की तपस्या के दौरान शेर और तेंदुए जैसे जंगली जानवर उनके पास आते थे और उनके पैर चाटते थे. तपस्या पूरी करने के बाद महाराज बद्रीनाथ धाम के लिए दंडवत करते हुए गए थे.

आश्रम में संत महाराज की जीवित समाधि भी बनी हुई है. यहां नीम का पेड़ और धूना है, जहां एक नाग हमेशा रहता है. यह नाग कई बार श्रद्धालुओं को दर्शन देता है. इसके अलावा, संत महाराज द्वारा आसपास के क्षेत्रों में कई कुटिया बनाई गई थीं, जहां आज भी पूजा-अर्चना होती है.

मालपुआ का चमत्कार और घी का कुआं
एक बार आश्रम में बड़े स्तर पर धर्म का आयोजन हुआ था. इस दौरान 40 मण मालपुआ बनाए जा रहे थे, लेकिन घी खत्म हो गया. महाराज ने श्रद्धालुओं को कुएं से पानी निकालकर मालपुआ बनाने का आदेश दिया. इस पानी से बने मालपुआ घी जैसे स्वादिष्ट थे. आयोजन के बाद कुएं में उतनी ही मात्रा में घी वापस डाला गया.

2008 का यज्ञ और चमत्कारिक घटना
संत आश्रम में 2008 में एक बड़ा यज्ञ हुआ था. इस दौरान तेज बारिश और आंधी में कढ़ाई में पानी चला गया, लेकिन चमत्कारिक रूप से किसी भी प्रकार की घटना नहीं हुई. श्रद्धालुओं का विश्वास है कि यह संत महाराज की कृपा थी.

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