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कलियुग में ‘राम नाम’ से कैसे पूरी कर सकते हैं मनोकामनाएं? रामचरितमानस में तुलसीदास जी ने बताए हैं राम कथा सुनने के फायदे

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रामचरितमानस में तुलसीदास जी ने प्रभु श्रीराम के गुणों का बखान किया है, जिसमें वे मर्यादापुरूषोत्तम श्रीराम के बचपन से लेकर उनके राजा बनने तक की घटनाओं का सुंदर वर्णन किया है. तुलसीदास जी ने बताया है कि राम नाम लेने से बड़ा कुछ भी नहीं है. राम नाम लेने से बड़े से बड़ा पाप मिट जाता है. उन्होंने कलियुग में ‘राम नाम’ और राम कथा की महिमा को बताया है. राम नाम के जप से हनुमान जी प्रभु राम के सबसे बड़े भक्त हुए. हनुमान जी ने तो राम से बड़ा उनका नाम काशी नरेश से जुड़ी घटना से बता दी थी.

तुलसीदास जी कहते हैं कि कलियुग में रामकथा सुनने से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी हो सकती है. राम कथा कलियुग में सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाली कामधेनु गाय के समान है, वहीं यह सज्जन लोगों के लिए सुंदर संजीवनी जड़ी बुटी की तरह है. राम कथा धरती पर अृमत वाली नदी के समान है, जन्म और मरण के भय से मुक्ति देने वाली है. लोगों के मन के भ्रम को दूर करने में सक्ष्म है.

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तुलसीदास जी आगे कहते हैं कि रामकथा असुरों की सेना के समान नरकों का नाश करने वाली और साधु समान देवताओं के कुल का हित करने वाली दुर्गा है. यह श्रीरसमुद्र रूपी संत समाज के लिए लक्ष्मी के समान है, वहीं पूरे विश्व का भार उठाने में पृथ्वी के समान है. राम कथा जीवों को मुक्ति देने के लिए काशी के समान ही है. यह प्रभु राम को तुलसी के समान प्रिय हे.

कलियुग में राम नाम का महत्व
राम​चरितमानस में तुलसीदास जी कहते हैं कि हनुमान जी ने राम नाम का स्मरण करके प्रभु श्रीराम को अपने वश में कर रखा है. नीच अजामिल, गज और वेश्या भी श्रीहरि के नाम के प्रभाव से मुक्त हो गए. मैं राम नाम की बड़ाई कहां तक कहूं, राम भी नाम के गुणों को नहीं गा सकते.

कलियुग में राम का नाम उस कल्पतरु के समान है, जो मनचाहा पदार्थ देने में सक्ष्म है. राम नाम में मुक्ति का वास है, जिसका स्मरण करने मात्र से भांग सा निकृष्ट तुलसीदास तुलसी के समान पवित्र हो गया. केवल कलियुग में ही नहीं, चारों युगों, तीनों कालों और तीनों लोकों में नाम का जप करके जीव शोकरहित हुए हैं. सभी पुण्यों का फल राम नाम में ही है.

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राम नाम से पाएं सभी मनोवांछित फल
तुलसीदास जी बताया है कि सतयुग में ध्यान से, त्रेतायुग में यज्ञ से और द्वापर युग में पूजन से भगवान प्रसन्न होते हैं, लेकिन कलियुग केवल पाप की जड़ है, इसमें मनुष्यों का मन पाप से अलग होना ही नहीं चाहता है. ऐसे कलियुग में राम नाम ही कल्पवृक्ष है. जिसका स्मरण करते ही संसार के सब जंजालों का नाश हो जाने वाला है. कलियुग में राम नाम सभी मनोवांछित फल प्रदान करने वाला है. इस नाम का जाप करने से परलोक में भगवान का परमधाम प्राप्त होता है और इस लोक में सभी प्रकार से पालन और रक्षा करता है.

कलियुग में न कर्म है, न भक्ति है और न ही ज्ञान है. राम नाम का ही एक आधार है. कलियुग में रामनाम बुद्धिमान और समर्थ हनुमान जी हैं. राम नाम श्रीनृसिंह भगवान है, कलियुग हिरण्यकशिपु है और राम नाम का जप करने वाले भक्त प्रह्लाद के समान हैं, यह राम नाम देवताओं के शत्रुओं यानी कलियुग के दुर्गुणों को दूर करके जाप करने वालों का रक्षा करने वाला है.

तुलसीदास जी बताते हैं ​​कि आप अच्छे भाव से, बुरे भाव से, क्रोध से या आलस्य से, किसी भी प्रकार से राम नाम का जाप करते हैं तो 10 दिशाओं में कल्याण होता है.

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