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कुंभ कलश क्यों है इतना खास? जिसका तिलक कर प्रधानमंत्री मोदी ने किया महाकुंभ की शुभारंभ, जानें इसका महत्व

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज यानी शुक्रवार को 13 जनवरी से शुरू होने वाले महाकुम्भ के औपचारिक शुभारंभ का ऐलान किया है. पीएम मोदी ने उत्तर प्रदेश के प्रयागराज स्थित संगम नोज पर “कुंभ कलश” का कुंभाभिषेक किया है. इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि कुंभ मेला भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का प्रतीक है. कुंभाभिषेक के दौरान मोती से जड़ित कलश ने अधिकतक लोगों का ध्यान खींचा है. आइए जानते हैं इस कलश में क्या था?

कुंभ का अर्थ ही कलश होता है. कलश से अमृत छलकने के कारण ही देश के चार तीर्थों में कुंभ लगता है. यह उसी का प्रतीक है. बता दें कि इस मौके पर पीएम मोदी ने मां गंगा और यमुना की विधि विधान से पूजा की और मां गंगा की आरती की. पीएम मोदी ने महाकुंभ के सकुशल और निर्गुण संपन्न होने की कामना की. प्रधानमंत्री ने पवित्र जल से “कुंभ कलश” का अभिषेक किया, जो पवित्रता और आध्यात्मिकता का प्रतीक है. यह अभिषेक धार्मिक परंपराओं के अनुसार खत्म हुआ.

कुंभ कलश में क्या था?
प्रयागराज के तीर्थ पुरोहित आचार्य दीपू मिश्रा व अन्य पुरोहितों ने कुंभ कलश का कुंभाभिषेक कराया है. यह कुंभ कलश रत्नजड़ित है और 8 धातुओं का बना हुआ है.  इसके ऊपर मोती भी मढ़ाई गई है. इस अमृत रूपी कलश को बनाने के लिए इसमें आम का पत्ता और नारियल भी रखा गया था. इसके साथ ही इसमें गऊशाला, तीर्थस्थलों की मिट्टी रखी गई थी. इसमें गंगाजल, पंचरत्न, दुर्बा, सुपारी, हल्दी रखी गई थी. कुंभ कलश के कुम्भाभिषेक के बाद इसे पीएम को दिया गया.

कुंभ मेला हर 12 साल में आयोजित होता है और इसे यूनेस्को ने “अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर” के रूप में मान्यता दी है. इस कार्यक्रम का उद्देश्य धार्मिक आस्था, आध्यात्मिकता, और सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा देना है.

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