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क्या आप भी पूजा-पाठ में जलाते हैं अगरबत्ती? आज ही छोड़ दें, धार्मिक और वैज्ञानिक कारण जानकर रह जाएंगे दंग

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हाइलाइट्स

भगवान श्री कृष्ण बांसुरी का प्रयोग करते थे.इस वजह से बांस और बांस से बनी अगरबत्ती जलाना सही नहीं है.

Agarbatti Jalana Shubh Ya Ashubh: पूजा घर में अगरबत्ती जलाना हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण परंपरा है, लेकिन बांस से बनी अगरबत्ती को जलाना कई कारणों से अशुभ माना जाता है. धार्मिक दृष्टिकोण से, बांस से बनी अगरबत्ती को पूजा में जलाना ठीक नहीं है. इसके बदले आप घी या सरसों के तेल का दीपक जला सकते हैं. क्यों पूजा-पाठ के दौरान बांस से बनी अगरबत्ती जलाना वर्जित है आइए जानते हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से.

बांस से बनती है अर्थी
हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बांस का उपयोग अर्थी बनाने में होता है और दाह संस्कार तक में बांस को नहीं जलाया जाता. इस कारण से बांस से बनी अगरबत्ती को पूजा में जलाना अशुभ माना जाता है.

बांस की पूजा होती है
हिन्दू रीति-रिवाजों में बांस की पूजा विशेष अवसरों जैसे शादी, जनेऊ और मुंडन आदि में की जाती है. शादियों में बांस से मंडप सजाया जाता है, इसलिए इसे पूजा विधियों में इस्तेमाल करना निषेध है.

भाग्य और वंश का नाश
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार बांस को जलाने से भाग्य और वंश का नाश हो सकता है, क्योंकि बांस को भाग्य और वंश वृद्धि का प्रतीक माना जाता है. इसलिए बांस से बनी अगरबत्ती को जलाना मना किया गया है.

बांसुरी का संबंध
भगवान श्री कृष्ण बांसुरी का प्रयोग करते थे, जो बांस से बनी होती है. इस वजह से बांस और बांस से बनी अगरबत्ती जलाना धार्मिक दृष्टिकोण से सही नहीं माना जाता.

वैज्ञानिक कारण
बांस में भारी मात्रा में लेड और अन्य खतरनाक भारी धातुएं पाई जाती हैं. इन धातुओं को जलाने से धुंआ उत्पन्न होता है, जो हमारी सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है. यह हानिकारक तत्व हमारी सांस में घुसकर स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं.

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