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गुमला के टांगीनाथ धाम से करें नए साल की शुरूआत, सुख-समृद्धि के साथ मिलेगी शांति

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झारखंड के गुमला जिले में स्थित टांगीनाथ धाम, धार्मिक आस्था और प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत संगम है. यह पवित्र धाम डुमरी प्रखंड के मझगांव में स्थित है और भगवान शिव तथा भगवान परशुराम की तपोभूमि के रूप में प्रसिद्ध है. नए साल पर यहां माथा टेकने से पूरे वर्ष सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होने की मान्यता है.

धार्मिक महत्व और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
गुमला जिला देवों के देव महादेव की नगरी के रूप में जाना जाता है. टांगीनाथ धाम जिले के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है और इसकी प्राचीनता व अद्भुत विशेषताएं इसे और भी खास बनाती हैं. यह स्थल ऊंची पहाड़ियों की चोटी पर स्थित है और यहां सैकड़ों प्राचीन शिवलिंग के साथ-साथ अर्धनारीश्वर, मां दुर्गा, विष्णु, बजरंग बली, राम-लक्ष्मण, मां लक्ष्मी और सूर्य देव की दुर्लभ मूर्तियां स्थापित हैं.

यहां भगवान शिव का त्रिशूल और भगवान परशुराम का फरसा खुले आसमान के नीचे भूमि में गड़ा हुआ है. इन पर समय और मौसम का कोई प्रभाव नहीं पड़ता, और आज तक इनमें जंग नहीं लगा है. 1984 में इनकी गहराई का पता लगाने के लिए खुदाई भी की गई, लेकिन इनका अंतिम छोर आज तक रहस्यमय बना हुआ है.

प्राकृतिक सौंदर्य और शांत वातावरण
टांगीनाथ धाम चारों ओर हरे-भरे पेड़-पौधों और खूबसूरत वादियों से घिरा हुआ है. पहाड़ी की चोटी पर स्थित यह स्थान श्रद्धालुओं और प्रकृति प्रेमियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है. यहां आने वाले लोग न केवल पूजा-अर्चना करते हैं बल्कि इस रमणीय स्थल की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद भी लेते हैं.

नववर्ष पर विशेष आकर्षण
हर साल नए साल के दिन, टांगीनाथ धाम में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. लोग यहां भगवान शिव और परशुराम के दर्शन कर अपने साल की शुभ शुरुआत करते हैं. सावन के महीने में यहां विशेष पूजा-अर्चना और मेला आयोजित किया जाता है, जिसमें झारखंड और अन्य राज्यों से बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं.

मंदिर के पुजारी राम कृपाल बैगा बताते हैं कि यह मंदिर झारखंड के प्रमुख धार्मिक स्थलों में गिना जाता है. यहां भगवान शिव का त्रिशूल, भगवान परशुराम का फरसा और अन्य प्राचीन मूर्तियों के दर्शन करने लोग दूर-दूर से आते हैं. श्रद्धालुओं का मानना है कि सच्चे मन से की गई प्रार्थनाएं यहां अवश्य पूरी होती हैं.

आध्यात्मिक अनुभव और रहस्य
टांगीनाथ धाम के त्रिशूल और फरसे की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह प्राचीन काल से खुले आसमान के नीचे जस के तस हैं. मौसम की मार और समय का प्रभाव इन पर नहीं पड़ता. इन रहस्यमयी विशेषताओं के कारण यह स्थल श्रद्धालुओं और इतिहासकारों के लिए समान रूप से आकर्षण का केंद्र है.

यात्रा की योजना
यदि आप नए साल की शुरुआत सकारात्मक ऊर्जा और आस्था के साथ करना चाहते हैं, तो गुमला के टांगीनाथ धाम की यात्रा अवश्य करें. यहां का आध्यात्मिक वातावरण, प्राकृतिक सौंदर्य और अद्वितीय इतिहास आपको जीवनभर याद रहेगा.

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