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जब नाराज हुए थे भगवान चित्रगुप्त, 24 घंटे बाधित था यह कार्य, प्रभु राम ने ऐसे मनाया

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पंडित कल्कि राम बताते हैं कि धार्मिक कथा के अनुसार जब प्रभु राम रावण का वध करने के बाद अयोध्या पहुंचे थे. अयोध्या के राजा भरत ने गुरु वशिष्ठ को भगवान राम के राजतिलक के लिए सभी देवी देवता को निमंत्रण भेजने के लिए कहा था. गुरु वशिष्ठ ने सभी देवी देवता को निमंत्रण भेजा लेकिन उस दौरान गुरु वशिष्ठ ने भगवान चित्रगुप्त को निमंत्रण देना भूल जाते हैं.

देश भर में दीपावली की धूम है. पांच दिवसीय दीपावली का आज तीसरा दिन है. दीपावली के अगले 24 घंटे तक देश के कुछ हिस्सों में कुछ समाज के लोग कलम का उपयोग नहीं करते है. इसके पीछे एक बड़ी वजह भी है. अब आपके मन में यह सवाल चल रहा होगा.आखिर वह कौन लोग हैं जो दीपावली के अगले 24 घंटे तक कलम का इस्तेमाल नहीं करते . लेकिन ये बात बिल्कुल सही है .तो चलिए इस रिपोर्ट में विस्तार से जानते हैं.

दरअसल सनातन धर्म में दीपावली का विशेष महत्व होता है. पांच दिवसीय दीपावली में कई बड़े पर्व मनाए जाते हैं. जिसमें धनतेरस, छोटी दीपावली, दीपावली, भैया दूज और चित्रगुप्त पूजा सम्मिलित होता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान राम जब लंका पर विजय प्राप्त कर अयोध्या पहुंचे. तब उनका राजतिलक किया गया भगवान राम के अयोध्या आगमन की कथा से दीपावली मनाने की परंपरा भी जुड़ी हुई है. दीपावली से अगले 24 घंटे तक (यम द्वितीया तक) कायस्थ समाज के लोग कलम का उपयोग नहीं करते इसके पीछे भी एक बड़ी वजह है.

भगवान चित्रगुप्त को नहीं मिला था निमंत्रण
अयोध्या के ज्योतिष पंडित कल्कि राम बताते हैं कि धार्मिक कथा के अनुसार जब प्रभु राम रावण का वध करने के बाद अयोध्या पहुंचे थे. अयोध्या के राजा भरत ने गुरु वशिष्ठ को भगवान राम के राजतिलक के लिए सभी देवी देवता को निमंत्रण भेजने के लिए कहा था. गुरु वशिष्ठ ने सभी देवी देवता को निमंत्रण भेजा लेकिन उस दौरान गुरु वशिष्ठ ने भगवान चित्रगुप्त को निमंत्रण देना भूल जाते हैं. दूसरी तरफ प्रभु राम के राजतिलक में सभी देवी देवता शामिल होते हैं. गुरु वशिष्ठ से भरत की पूछते हैं कि आखिर भगवान चित्रगुप्त क्यों नहीं दिखाई दे रहे हैं. इसके बाद पता चला कि गुरु वशिष्ठ ने उन्हें निमंत्रण ही नहीं दिया था.

24 घंटे तक कलम को नहीं उठाया
इसके बाद नाराज होकर भगवान चित्रगुप्त ने अपने कलम को रख दिया है. 24 घंटे तक कलम को नहीं उठाया है. इसके बाद जब तमाम देवी देवताओं ने देखा. स्वर्ग और नरक के सारे काम रुक गए लेखा-जोखा कर पाना मुश्किल हो गया. गुरु वशिष्ठ ने भगवान चित्रगुप्त से क्षमा मांगी और भगवान राम ने भी भगवान चित्रगुप्त से आग्रह किया तब भगवान चित्रगुप्त ने एक दिन बाद अपनी कलम उठाई फिर उसके बाद भगवान चित्रगुप्त ने स्वर्ग से लेकर नरक तक सभी प्राणियों का लेखा-जोखा करने लगे. दीपावली के एक दिन बाद यम द्वितीया के दिन कायस्थ समाज के लोग भगवान चित्रगुप्त की पूजा आराधना करते हैं

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