सुल्तानपुर: आपने दक्षिण भारत में तिरुपति बालाजी मंदिर के बारे में तो सुना ही होगा. कुछ इसी तर्ज पर उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में एक मंदिर का निर्माण किया गया है, जिसे द्रविड़ शैली में बनाया गया है. लोगों की मान्यता है कि इस मंदिर में दर्शन करने से जिन लोगों की गोद सूनी होती है, उन्हें संतान सुख की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही भूत-प्रेत आदि बाधाओं से भी लोगों को छुटकारा मिलता है. तो आईए जानते हैं आखिर इस मंदिर का क्या है इतिहास और किसने इसे स्थापित करवाया.
दक्षिण भारत के तिरुपति मंदिर की तर्ज पर बना है मंदिर
सुल्तानपुर जिले के जयसिंहपुर तहसील अंतर्गत बरौसां गांव में यह संकट मोचन मंदिर स्थित है. इसकी स्थापना डॉ रूप नारायण पाण्डेय द्वारा दक्षिण भारत में स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर की तर्ज पर की थी. रूप नारायण पांडे द्वारा देश भ्रमण के दौरान उनके मन में यह विचार आया कि उनके गांव में दक्षिण की द्रविड़ शैली वाला एक मंदिर बने. इसके लिए उन्होंने लगभग पांच बीघे जमीन भी मंदिर को दान दे दी.
यह है मान्यता
Bharat.one से बातचीत के दौरान मंदिर के पुजारी शत्रुघ्न मिश्रा ने बताया कि यहां पर भूत प्रेत से मुक्ति तथा लोगों को संतान सुख की प्राप्ति होती है. इसके अलावा शादी विवाह में आने वाली अड़चन से भी हनुमान जी मुक्ति देते हैं. इस मंदिर में लोग अपनी मनोकामनाएं लेकर काफी दूर से आते हैं. सुल्तानपुर जिले के अलावा आजमगढ़, अयोध्या, अमेठी, प्रतापगढ़ और जौनपुर के लोग भी यहां दर्शन के लिए आते हैं.
इस दिन जुटती है श्रद्धालुओं की भीड़
श्री संकट मोचन मंदिर में सप्ताह के शनिवार और मंगलवार को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है. इसके अलावा प्रत्येक वर्ष हनुमान जन्मोत्सव पर भव्य कार्यक्रम आयोजित किया जाता है. वहीं कार्तिक मास की नरक चतुर्दशी को यहां पर वार्षिक भंडारा का आयोजन किया जाता है.
FIRST PUBLISHED : November 13, 2024, 11:27 IST
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