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मैया को भोग लगने के बाद खा लिया ये पान तो दूर होगी थकान, खूब मिलेगी ताकत, नहीं लगेगी भूख! जानें महिमा

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Baki Mata Temple: पुजारी ने बताया, रोज करीब 400 से 500 पान बीड़े तैयार किए जाते हैं. इसे पाने के लिए भक्तों की भीड़ लगती है. भाग्य में जिसके होता है, उसे ये खास भोग मिलता है.

Khargone News: नवरात्रि पर देशभर में मां दुर्गा की आराधना अलग-अलग परंपराओं के साथ होती है. लेकिन, खरगोन के प्राचीन बाकी माता मंदिर में भक्तों को एक अनोखा प्रसाद मिलता है. यहां हर दिन दोपहर की महाआरती के बाद माता को 8 तरह की जड़ी-बूटियों से बने पान बीड़े और ज्वार की धानी का भोग लगाया जाता है. यह भोग व्रती भक्तों को प्रसाद स्वरूप दिया जाता है. मान्यता है कि पान को खाने से व्रतधारी की थकान दूर हो जाती है. शरीर को ऊर्जा से मिलती है. पूरा दिन भूख नहीं लगती.

खास बात ये कि यह बीड़ा बाजार से नहीं आता, बल्कि महिलाएं अपने घर पर ही इसे बनाती हैं. पुजारी सुबोध जोशी बताते हैं कि रोजाना करीब 400 से 500 पान बीड़े तैयार किए जाते हैं. इनमें दालचीनी, जायफल, लौंग, इलायची, जायपत्री, मिश्री, पिपरमेंट और जेष्ठिमा जैसी 8 औषधीय सामग्री का उपयोग होता है. वहीं, आयुर्वेद डॉक्टर बताते हैं कि ये जड़ी-बूटियां उपवास के दौरान शरीर में गर्मी को शांत करती हैं और ऊर्जा बनाए रखने में मदद करती हैं.

बीड़ा बनाते समय महिलाएं करती हैं पाठ 
बीड़े बनाने का काम जंबू ब्राह्मण समाज की महिलाएं करती हैं. जब वे पान तैयार करती हैं तो आपस में बातचीत करने के बजाय श्रीसूक्तम और देवी भजनों का पाठ करती हैं. माता को अर्पित किए जाने वाले पांच विशेष बीड़ों में इस बात का खास ध्यान रखा जाता है कि पान का पत्ता कटा-फटा न हो. इस सेवा में रचना कायरे, विनीता वोरे, ममता परसाई, सारिका परसाई समेत कई महिलाएं जुड़ी रहती हैं. वहीं, अंजली उमेश खोड़े रोजाना अपने घर से ही 100 से अधिक बीड़े बनाकर लाती हैं.

सुबह 4 बजे से लगती है भीड़
बाकी माता मंदिर का इतिहास भी उतना ही रोचक है, जितनी अनोखी यहां की परंपराएं हैं. मंदिर की स्थापना संवत 1789 में हुई थी. नवरात्रि के समय यहां सुबह 4 बजे से श्रद्धालु मंदिर परिसर स्थित कुएं पर स्नान करते हैं. इसके बाद सुबह 8 बजे से श्रीसूक्तम और देवी अर्थर्वशीर्ष से माता का अभिषेक किया जाता है. यहां आने वाले भक्त दिनभर माता के दर्शन, पूजा और परिक्रमा कर आशीर्वाद लेते हैं.

संस्कृत में मर्दिनी स्त्रोत, मराठी में आरती
मंदिर परिसर में परिक्रमा के दौरान माता सरस्वती, महालक्ष्मी, सात देवशक्तियां, एकादश भैरव, शीतला माता और महाबली हनुमान के दर्शन भी होते हैं. यहां भगवान महाबलेश्वर महादेव की भी स्थापना की गई है. यहां भाषा और परंपराओं का अद्भुत संगम भी देखने को मिलता है. संस्कृत में महिषासुर मर्दनी स्त्रोत का पाठ होता है, गुजराती में गरबा गाए जाते हैं और मराठी में माता की आरती होती है.

Rishi mishra

एक दशक से अधिक समय से पत्रकारिता में सक्रिय. प्रिंट मीडिया से शुरुआत. साल 2023 से न्यूज 18 हिंदी के साथ डिजिटल सफर की शुरुआत. न्यूज 18 के पहले दैनिक जागरण, अमर उजाला में रिपोर्टिंग और डेस्क पर कार्य का अनुभव. म…और पढ़ें

एक दशक से अधिक समय से पत्रकारिता में सक्रिय. प्रिंट मीडिया से शुरुआत. साल 2023 से न्यूज 18 हिंदी के साथ डिजिटल सफर की शुरुआत. न्यूज 18 के पहले दैनिक जागरण, अमर उजाला में रिपोर्टिंग और डेस्क पर कार्य का अनुभव. म… और पढ़ें

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