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PHOTOS: मानसून विदाई से पहले कर लें रीवा के इन जगहों का दीदार, वरना करना पड़ेगा 1 साल का इंतजार – Madhya Pradesh News

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Rewa Tourist Place: विंध्य रीजन के रीवा जिले में घूमने की कई शानदार स्थान है जहां आप परिवार सहित पिकनिक मना सकते है. आज हम आपको ऐसे टूरिस्ट प्लेस बता रहे हैं, जिनको घूमने के बाद हिल स्टेशन का अहसास होगा वहीं शहर से महज 12 किलोमीटर की दूरी पर मुकुंदपुर टाइगर सफारी में व्हाइट टाइगर के दीदार होंगे साथ ही आप रीवा के वाटरफॉलों को देखकर कश्मीर की वादियों का एहसास कर सकते है

विंध्य रीजन के रीवा जिले में मानसून में घूमने के लिए कई शानदार स्थान है. जहां आप परिवार सहित पिकनिक मना सकते है. आज हम आपको ऐसे टूरिस्ट प्लेस बता रहा है, जिनको घूमने के बाद हिल स्टेशन का अहसास होगा.
वहीं शहर से महज 12 किलोमीटर की दूरी पर मुकुंदपुर टाइगर सफारी में व्हाइट टाइगर के दीदार होंगे. साथ ही आप रीवा के वाटरफॉलों को देखकर कश्मीर की वादियों की याद ताजा कर सकते है. यहां की बड़ी-बड़ी खाई व घाट देखकर आपका मन प्रफुल्लित हो जाएगा.

गोविंदगढ़ का तालाब
गोविंदगढ़ का झील रीवा जिले में प्रसिद्ध झीलों (तालाब) में एक है. गोविंदगढ़ पैलेस इसी झील के किनारे बनाया गया है. झील से घिरे होने के कारण गोविंदगढ़ पैलेस का नजारा प्राकृतिक दिखता है। कहा जाता है कि गोविंदगढ़ झील महाराजा रीवा की ग्रीष्मकालीन राजधानी हुआ करती थी. यह पैलेस रीवा से 18 किमी दूरी है. जो 13,000 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है. यह तालाब पर्यटकों व पक्षी प्रेमियों के लिए स्वर्ग माना जाता है. कहते है कि यहां सालभर अनेक पक्षी आते हैं और इस झील में रहते हैं.

क्योटी फॉल
रीवा जिले का क्योटी जलप्रपात भारत का 24वां सबसे ऊंचा झरना है. जो शहर से 40 किमी व सिरमौर से 10 की दूर स्थित है. यह झरना महाना नदी पर बना है. इसकी ऊंचाई करीब 130 मीटर है. क्योटी जलप्रपात अपनी आकर्षक सुंदरता से ट्रैकर्स और पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है. बताया गया कि इस झरने पर यूपी और बिहार के लोग सबसे ज्यादा आते है. रीवा से सड़क के रास्ते सिरमौर पहुंचकर यहां जा सकते हैं.

पूर्वा वॉटरफॉल
रीवा शहर से 25 किलोमीटर व सेमरिया कस्बे से 15 किलोमीटर पहले पूर्वा फॉल टमस नदी पर स्थित है. इस झरने की ऊंचाई करीब 70 मीटर है. क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता के कारण वर्ष भर हजारों पर्यटक आते हैं. यह स्थान सबसे अच्छे पिकनिक स्थानों में से एक है. हिंदू महाकाव्य रामायण में भी इस झरने का वर्णन मिलता है. वर्ष भर लोग घूमने-फिरने व जन्मदिन की पार्टी मनाने आते है. पूर्वा फॉल से लगा बसामन मामा धाम है. ऐसे में वहां आने वाले लोग भी यहां पहुंच जाते है.

चचाई जलप्रपात
चचाई जलप्रपात मध्य प्रदेश के सबसे बड़े झरनों में एक है. यह बीहर नदी में 130 मीटर से अधिक ऊंचाई पर स्थित हैं. रीवा चचाई जलप्रपात की दूरी 46 किमी. तो सिरमौर से 8 किमी. की दूरी पर स्थित है. बीहर नदी आगे जाकर तमसा नदी से मिलती है. इस झरने की खूबसूरती बारिश के मौसम में ही देखने मिलती है, क्योंकि इस झरने के ऊपर एक डैम बनाया गया है.

बहुती जलप्रपात
रीवा शहर से 85 किमी. दूर उत्तर पूर्व की ओर मऊगंज नवनिर्मित जिला है जो रीवा से अलग हुआ है, वहां बहुती जलप्रपात स्थित है. यह सेलर नदी पर स्थित है. इसकी ऊंचाई 198 मीटर (650 फीट) है. इस प्रपात की गहराई 465 फुट हैं. कहा जाता है कि ओड्डा नदी, सीतापुर से निकलकर 40 किलोमीटर दूरी के बाद मऊगंज से 15 किलोमीटर दूर बहुत ग्राम के निकट, बहुती जलप्रपात का निर्माण करती है.

देउर कोठार
देउर कोठार रीवा जिले में पुरात्वात्विक महत्व का स्थान है. यह अपने बौद्ध स्तूप के कारण प्रसिद्ध है जो 1982 में प्रकाश में आये थे. ये स्तूप अशोक के शासनकाल में (ईसापूर्व तीसरी शताब्दी) निर्मित हैं. यहां लगभग 2 हजार वर्ष पुराने बौद्ध स्तूप और लगभग 5 हजार वर्ष पुराने शैलचित्र गुफाएँ मौजूद है. देउर कोठार, रीवा-इलाहाबाद मार्ग के सोहागी में स्थित है. यहां मौर्य कालीन मिट्टी ईट के बने 3 बडे स्तूप और लगभग 46 पत्थरो के छोटे स्तूप बने है. अशोक युग के दौरान विंध्य क्षेत्र में धर्म का प्रचार प्रसार हुआ और भगवान बौद्ध के अवशेषों को वितरित कर स्तूपों का निर्माण किया गया. इसके चारो ओर हरी भरी वादियां और पहाड़ मौजूद है.

पियावन घिनौची धाम
घिनौची धाम जिसे पियावन के नाम से जाना जाता है। यह अतुलनीय ऐतिहासिक, प्राकृतिक एवं धार्मिक पर्यटन स्थल रीवा जिले से 42 किलोमीटर दूर सिरमौर की बरदहा घाटी में है. प्रकृति की अनुपम छटा के बीच यह धाम धरती से 200 फीट नीचे और लगभग 800 फीट चौड़ी प्रकृति की सुरम्य वादियों से घिरा हुआ है. प्राकृतिक झरने का श्वेत जल भगवान भोलेनाथ का 12 महीने निरंतर जलाभिषेक करता है. जिसे देखना रोमांचकारी है.

रानी तालाब
रीवा शहर के दक्षिणी भाग में स्थित रानी तालाब भक्तों की आस्था का केन्द्र है. यहां आप परिवार सहित घूम फिर सकते है. साथ ही शाम को वोटिंग कराई जाती है. मान्यता है कि सदियों पहले लवाना जाति के लोगों ने तालाब को खोदा था. तब रीवा राजघराने की महारानी कुंदन रक्षा बंधन के दिन पूजा करने गई थी. जहां वे प्रसन्न होकर लवाना जाति के लोगों के हाथ में रक्षा सूत्र बांध दिया. तब लवाना जाति के लोगों ने महारानी को भेट स्वरूप तालाब दे दिया. तब से यह रानी तालाब के नाम से जाना जाता है.

मुकुंदपुर टाइगर सफारी
महाराजा मार्तण्ड सिंह जूदेव व्हाइट टाइगर सफारी मुकुंदपुर सामान्यतौर पर प्रत्येक बुधवार को बंद रहता है. सफारी सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक खुली रहेती है, इस बीच व्हाइट टाइगर से लेकर बंगाल टाइगर, हिरण, भालू, बारह सिंघा सहित अन्य जीव देख सकते है.

रीवा का किला
बघेल साम्राज्य के किले का इतिहास 400 वर्ष पुराना है.
कहा जाता है कि महाराजा व्याग्रदेव से लेकर वर्तमान महाराजा पुष्पराज सिंह तक 35 पीढ़ियों का शासन रह चुका है. बाहर से आने वाले पर्यटकों के लिए रीवा का किला आकर्षण का केन्द्र रहता हैं. इसके पीछे दो नदियां हैं जो किले को प्राकृतिक सुंदरता प्रदान करती हैं. मुख्य द्वार भारतीय वास्तुकला का एक अच्छा उदाहरण है. यह पर्यटकों को आवास प्रदान करता है. इसमें एक रेस्तरां और एक संग्रहालय है. घूमने के लिए कैनन, शाही चांदी का सिंहासन, संग्रहालय हॉल का झूमर, हथियार गैलरी और सफेद बाघ गैलरी शामिल है.

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PHOTO:मानसून विदाई से पहले घूम लें रीवा की ये जगहें, वरना सालभर करेंगे इंतजार


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