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Nainital News: गिरिजा देवी मंदिर के पुजारी दिनेश चंद्र पांडे के अनुसार नवरात्रि के दिनों में सुबह होते ही भक्तों की लंबी कतारें लग जाती हैं. मंदिर परिसर जयकारों और भजन-कीर्तन से गूंज उठता है. श्रद्धालु यहां मां के दर्शन कर अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना करते हैं.
नैनीताल: देशभर में शारदीय नवरात्रि की धूम है और मंदिरों में देवी के नौ स्वरूपों की आराधना की जा रही है. इसी कड़ी में उत्तराखंड के नैनीताल जिले के रामनगर से करीब 14 किलोमीटर दूर कोसी नदी के बीच स्थित गिरिजा माता मंदिर में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा हुआ है. नदी के बीच टीले पर विराजमान मां गिरिजा का मंदिर हर साल लाखों भक्तों की आस्था का केंद्र बनता है.
गिरिजा देवी मंदिर के पुजारी दिनेश चंद्र पांडे के अनुसार नवरात्रि के दिनों में सुबह होते ही भक्तों की लंबी कतारें लग जाती हैं. मंदिर परिसर जयकारों और भजन-कीर्तन से गूंज उठता है. श्रद्धालु यहां मां के दर्शन कर अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना करते हैं.
धार्मिक महत्व और मान्यताएं
गिरिजा देवी को माता पार्वती का अवतार और हिमालय पुत्री माना जाता है. मान्यता है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है. महाभारत काल में राजा विराट ने इस स्थान पर तपस्या की थी और तभी से इस टीले पर शक्ति की स्थापना हुई. भक्तों का विश्वास है कि मां की आराधना करने वाला कभी खाली हाथ नहीं लौटता. स्थानीय किवदंती के अनुसार हजारों साल पहले मिट्टी का एक विशाल टीला कोसी नदी के साथ बहकर आया था. इसी टीले पर मां गिरिजा प्रकट हुईं और बटुक भैरव देवता ने इसे स्थायी बना दिया. तब से गर्जिया माता इसी स्थान पर विराजमान हैं.
इतिहास और नागा बाबा का योगदान
जानकारों के मुताबिक 19वीं सदी तक यह क्षेत्र घना और सुनसान था. वर्ष 1950 में नागा साधु श्री 108 महादेव गिरि बाबा यहां पहुंचे और साधना शुरू की. उन्होंने मंदिर में भैरव, गणेश और अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित की. तभी से यह स्थान प्रमुख तीर्थ बन गया. शारदीय और चैत्र नवरात्रि पर यहां लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं. इस बार भी मंदिर परिसर में भजन-कीर्तन, आरती और विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं. प्रशासन ने सुरक्षा और दर्शन व्यवस्था के लिए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया है.