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Shardiya navratri 6th day 2025 skandamata puja vidhi punja mantra bhog and shubh muhurat and skandamata aarti | नवरात्रि के छठवें दिन करें मां स्कंदमाता की पूजा, जानें पूजा विधि, मुहूर्त, मंत्र, भोग और आरती

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Shardiya Navratri 2025 Day 6, Maa Skandmata Devi: शारदीय नवरात्रि का आज छठवां दिन है और इस दिन मां दुर्गा की पांचवी शक्ति स्कंदमाता की पूजा अर्चना की जाती है. वे भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता हैं, इसलिए उनका नाम स्कंदमाता है. नवरात्रि के छठवें दिन आज रवि योग, आयुष्मान योग, प्रीति योग और बुधादित्य योग बन रहा है, जिससे माता की पूजा और भी फलदायी रहेगी. मां दुर्गा के सभी स्वरूपों में स्कंदमाता को ही ममतामयी माना गया है. माता के इस स्वरूप की पूजा करने से बुद्धि का विकास और ज्ञान की प्राप्ति होती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, निसंतान दंपत्ति पूरी श्रद्धा के साथ स्कंदमाता की पूजा अर्चना करता है, तो उसकी सूनी गोद भर जाती है. आइए जानते हैं नवरात्रि 2025 के छठवें दिन की जाने वाली माता स्कंदमाता का स्वरूप, भोग, आरती और मंत्र…

स्कंदमाता की पूजा का महत्व

स्कंदमाता की उपासना से साधक को मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है. माता के इस स्वरूप की उपासना को ज्ञान और वैराग्य की प्राप्ति का कारण कहा गया है. मां स्कंदमाता की कृपा से घर में धन, धान्य और समृद्धि आती है. ग्रहों में यह ग्रहों के राजकुमार बुध पर विशेष प्रभाव डालती हैं, जिससे बुद्धि और वाणी की सिद्धि होती है. चूंकि माता अपने पुत्र स्कंद को गोद में धारण किए हैं, उनकी पूजा करने से संतान-सुख की प्राप्ति, संतान की दीर्घायु और उन्नति होती है. देवी की कृपा से शारीरिक रोग और मानसिक विकार दूर होते हैं. पूजा करने वाले को आत्मबल और शांति मिलती है.
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स्कंदमाता की पूजा का मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त: 04:37 ए एम से 05:25 ए एम
अभिजित मुहूर्त: 11:49 ए एम से 12:37 पी एम
विजय मुहूर्त: 02:13 पी एम से 03:01 पी एम

ऐसा है स्कंदमाता का स्वरूप

माता का रंग गौरवर्ण (सफेद) है और माता की सवारी सिंह है. माता की चार भुजाएं हैं, जिनमें दो भुजाओं में कमल पुष्प धारण किए हुए. एक भुजा में बाल स्कंद (कार्तिकेय) को गोद में लिए रहती हैं और चौथी भुजा से भक्तों को आशीर्वाद देती हैं. माता का स्वरूप अत्यंत शांत और दिव्य है, जिसे देखकर भक्त के मन की व्याकुलता और भय दूर हो जाते हैं.

मां स्कंदमाता को प्रिय भोग और रंग

मां स्कंदमाता को केले का भोग अत्यंत प्रिय है. मान्यता है कि इस दिन भक्त अगर श्रद्धा से केले का भोग लगाकर वितरित करें तो उनके जीवन से सारे संकट दूर हो जाते हैं. साथ ही केसरयुक्त खीर का भी भोग लगा सकते हैं. माता को पीले रंग की चीजें बेहद प्रिय हैं इसलिए पूजा में फल, वस्त्र आदि पीले रंग का प्रयोग करें. आज नौकरी व कारोबार में तरक्की के लिए माता को 6 इलायची अर्पित करें.

स्कंदमाता के मंत्र

ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः।

सिंहासना-गता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥

या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

स्कंदमाता की पूजा विधि

– प्रातः स्नान करके साफ कपड़े पहनें और पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें.
– मां दुर्गा और विशेष रूप से मां स्कंदमाता की प्रतिमा या तस्वीर को स्थापित करें.
– माता को पीले या नारंगी फूल अर्पित करें. साथ ही धूप, दीप, फल और प्रसाद अर्पित करें.
– ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः मंत्र का जाप करें.
– अंत में मां को प्रसाद चढ़ाकर आरती करें और परिवार के सभी सदस्यों के साथ प्रसाद ग्रहण करें.

स्कंदमाता आरती

जय तेरी हो स्कंद माता।
पांचवां नाम तुम्हारा आता॥
सबके मन की जानन हारी।
जग जननी सबकी महतारी॥
तेरी जोत जलाता रहू मैं।
हरदम तुझे ध्याता रहू मै॥
कई नामों से तुझे पुकारा।
मुझे एक है तेरा सहारा॥
कही पहाडो पर है डेरा।
कई शहरों में तेरा बसेरा॥
हर मंदिर में तेरे नजारे।
गुण गाए तेरे भक्त प्यारे॥
भक्ति अपनी मुझे दिला दो।
शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो॥
इंद्र आदि देवता मिल सारे।
करे पुकार तुम्हारे द्वारे॥
दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए।
तू ही खंडा हाथ उठाए॥
दासों को सदा बचाने आयी।
भक्त की आस पुजाने आयी॥

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