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Lakhshagrih in Dehradun : इस समय ये आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया के संरक्षण में है. सरकार इसे एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने में जुटी है. यहां देश-विदेश से लोग आते हैं.
देहरादून का महाभारत कालीन मंदिर जहां आज भी मौजूद है इतिहास की निशानियां
हाइलाइट्स
- लाक्षागृह अब उत्तराखंड का प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है.
- यहां का शिव मंदिर केदारनाथ शैली में बना है.
- पत्थरों पर मां पार्वती के पैरों के निशान देखे जा सकते हैं.
देहरादून. उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है, जहां रामायण और महाभारत काल की कई निशानियां भी मौजूद हैं. राजधानी देहरादून के चकराता ब्लॉक में लाखामंडल शिव मंदिर है. इतिहासकार बताते हैं महाभारत काल में कौरवों ने पांडवों को जलाने के लिए यहां लाख से लाक्षागृह बनाया था, जिस कारण इसे लाखामण्डल कहा गया. हालांकि पांडवों इसमें से बच निकले थे. ये मंदिर केदारनाथ की शैली में बनवाया गया है. देहरादून के डीएवी पीजी कॉलेज के इतिहास विभाग के प्रोफेसर डॉ. रवि दीक्षित Bharat.one से कहते हैं कि लाखामंडल ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है, जो एएसआई (आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया) के संरक्षण में भी है. सरकार इसे एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने में जुटी है.
मां पार्वती के पैरों के निशान
प्रोफेसर दीक्षित के अनुसार, ये एक ऐसा मंदिर है जहां देश-विदेश से लोग दर्शन करने के लिए आते हैं. यहां अब भी भारतीय पुरातत्व विभाग को शिवलिंग और मूर्तियों के अवशेष मिलते रहते हैं. इतिहासकारों की मानें तो द्वापर युग में युधिष्ठिर अपनी माता कुंती और अपने चार भाइयों के साथ यहां आए थे. वो चित्रेश्वर नामक एक गुफा में रुके थे. लाखामंडल में एक प्राचीन ऐतिहासिक शिव मंदिर भी है, यहां युधिष्ठिर आए थे. यहां एक चट्टान पर मां पार्वती के पैरों के निशान आज भी हैं. ये चीजें इस मंदिर को और विशेष बनाती हैं. प्रोफेसर दीक्षित बताते हैं कि यहां दुर्योधन ने पांडवों को जलाकर खत्म करने के लिए लाख यानी मोम के लाक्षागृह का निर्माण करवाया था, जिस कारण इसका नाम बाद में लाखामंडल पड़ गया. यहां अनगिनत शिवलिंग पाए गए हैं.
खुद का चेहरा आएगा नजर
इतिहासकार प्रोफेसर दीक्षित कहते हैं कि लाखामंडल में एक प्राचीन शिव मंदिर भी है, जो केदारनाथ शैली में बनवाया गया था. जौनसार-बावर क्षेत्र में मौजूद इस मंदिर में महामुंडेश्वर शिवलिंग है, जो बहुत खास है. इसमें व्यक्ति को खुद का चेहरा भी नजर आता है. मंदिर के बाहर द्वारपाल की मूर्तियां भी हैं.