Home Dharma विश्वकर्मा जयंती 2025: तिथि, पूजा विधि, महत्व और 108 नाम

विश्वकर्मा जयंती 2025: तिथि, पूजा विधि, महत्व और 108 नाम

0


Vishwakarma Jayanti 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल सूर्य देव जिस दिन कन्या राशि में प्रवेश करते हैं वह दिन विश्वकर्मा जयंती के रूप में मनाया जाता है. 2025 में यह पर्व 17 सितंबर, बुधवार को मनाया जाएगा. इसी दिन कन्या संक्रांति भी है, जो शुभ कर्मों और स्नान-दान के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जाती है. इस खास दिन को देशभर में बड़े ही श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है. खासकर कारखानों, वर्कशॉप, फैक्ट्रियों, दुकानों और ऑफिसों में भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा स्थापित कर उनकी पूजा की जाती है. मशीनों को सजाया जाता है और पूरे वातावरण में भक्ति की भावना फैल जाती है.

कौन हैं भगवान विश्वकर्मा?
भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि का पहला अभियंता माना जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, उन्होंने कई पौराणिक नगरों, महलों और अस्त्र-शस्त्रों का निर्माण किया था. उनके बनाए हुए प्रसिद्ध निर्माणों में द्वारका, इंद्रपुरी, पुष्पक विमान और शिवजी का त्रिशूल शामिल है. उन्हें कला, शिल्प, यंत्र और विज्ञान का स्वामी भी कहा जाता है.

विश्वकर्मा पूजा 2025 की तिथि और समय
-पर्व की तिथि: 17 सितंबर 2025 (बुधवार)
-संक्रांति का समय: सुबह 01:55 बजे

इस समय के आसपास पूजा करना शुभ माना जाता है, खासकर सूर्योदय के समय.

पूजा करने का सही तरीका
1. सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें.

2. अपने औजार, वाहन, मशीन या कार्यस्थल को साफ करें.

3. पूजा की जगह पर कलश, फूल, माला, चंदन, धूप, अक्षत, सुपारी और पीली सरसों रखें.

4. भगवान श्री हरि का स्मरण कर पहले उन्हें फूल अर्पित करें.

5. फिर भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा के सामने बैठकर पूजा आरंभ करें.

6. नीचे दिया गया मंत्र पढ़ते हुए ध्यान लगाएं:

“ऊं आधार शक्तपे नमः, ऊं कूमयि नमः, ऊं अनंतम नमः, ऊं पृथिव्यै नमः, ऊं श्री सृष्टतनया सर्वसिद्धया विश्वकर्माया नमो नमः.”

7. मंत्र जाप के बाद अक्षत और फूल भगवान को अर्पित करें.

8. पीली सरसों की चार छोटी पोटलियां बनाकर चारों दिशाओं में बांधें.

9. पूजा के बाद आरती करें और प्रसाद वितरण करें.

10. अगले दिन प्रतिमा का विसर्जन करें.

क्या मिलेगा इस पूजा से?
जो भी व्यक्ति इस दिन श्रद्धा से पूजा करता है, उसके जीवन में तरक्की के नए रास्ते खुलते हैं. माना जाता है कि भगवान विश्वकर्मा की कृपा से कारोबार में वृद्धि होती है, मशीनें बिना रुकावट चलती हैं और कार्यस्थल पर सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है.

अगर आप इनके 108 नाम का पूरे मन से जप करते हैं, तो निश्चित रूप से आपकी मनोकामनाएं पूरी होंगी.

भगवान विश्वकर्मा के 108 नाम
1. ॐ धराधराय नमः

2. ॐ स्थूतिस्माय नमः

3. ॐ विश्वरक्षकाय नमः

4. ॐ दुर्लभाय नमः

5. ॐ स्वर्गलोकाय नमः

6. ॐ पंचवकत्राय नमः

7. ॐ विश्वलल्लभाय नमः.

8. ॐ धार्मिणे नमः

9. ॐ धीराय नमः

10. ॐ धराय नमः

11. ॐ परात्मने नमः

12. ॐ पुरुषाय नमः

13. ॐ धर्मात्मने नमः

14. ॐ श्वेतांगाय नमः

15. ॐ श्वेतवस्त्राय नमः

16. ॐ अनन्ताय नमः

17. ॐ अन्ताय नमः

18. ॐ आह्माने नमः

19. ॐ अतलाय नमः

20. ॐ आघ्रात्मने नमः

21. ॐ अनन्तमुखाय नमः

22. ॐ अनन्तभूजाय नमः

23. ॐ अनन्तयक्षुय नमः

24. ॐ अनन्तकल्पाय नमः

25. ॐ अनन्तशक्तिभूते नमः

26. ॐ अतिसूक्ष्माय नमः

27. ॐ त्रिनेत्राय नमः

28. ॐ कंबीघराय नमः

29. ॐ ज्ञानमुद्राय नमः

30. ॐ सूत्रात्मने नमः

31. ॐ सूत्रधराय नमः

32. ॐ महलोकाय नमः

33. ॐ जनलोकाय नमः

34. ॐ तषोलोकाय नमः

35. ॐ सत्यकोकाय नमः

36. ॐ सुतलाय नमः

37. ॐ सलातलाय नमः

38. ॐ महातलाय नमः

39. ॐ रसातलाय नमः

40. ॐ पातालाय नमः

41. ॐ मनुषपिणे नमः

42. ॐ त्वष्टे नमः

43. ॐ हंसवाहनाय नमः

44. ॐ त्रिगुणात्मने नमः

45. ॐ सत्यात्मने नमः

46. ॐ गुणवल्लभाय नमः

47. ॐ भूकल्पाय नमः

48. ॐ भूलेंकाय नमः

49. ॐ भुवलेकाय नमः

50. ॐ चतुर्भुजय नमः

51. ॐ विश्वरुपाय नमः

52. ॐ विश्वव्यापक नमः

53. ॐ विश्वकर्मणे नमः

54. ॐ विश्वात्मने नमः

55. ॐ विश्वस्माय नमः

56. ॐ विश्वधाराय नमः

57. ॐ विश्वधर्माय नमः

58. ॐ विरजे नमः

59. ॐ विश्वेक्ष्वराय नमः

60. ॐ विष्णवे नमः

61. ॐ विश्वधराय नमः

62. ॐ विश्वकराय नमः

63. ॐ वास्तोष्पतये नमः

64. ॐ विश्वभंराय नमः

65. ॐ वर्मिणे नमः

66. ॐ वरदाय नमः

67. ॐ विश्वेशाधिपतये नमः

68. ॐ वितलाय नमः

69. ॐ विशभुंजाय नमः

70. ॐ विश्वव्यापिने नमः

71. ॐ देवाय नमः

72. ॐ देवज्ञाय नमः

73. ॐ पूर्णप्रभाय नमः

74. ॐ ह्रदयवासिने नमः

75. ॐ दुष्टदमनाथ नमः

76. ॐ देवधराय नमः

77. ॐ स्थिर कराय नमः

78. ॐ वासपात्रे नमः

79. ॐ पूर्णानंदाय नमः

80. ॐ सानन्दाय नमः

81. ॐ सर्वेश्वरांय नमः

82. ॐ परमेश्वराय नमः

83. ॐ तेजात्मने नमः

84. ॐ परमात्मने नमः

85. ॐ कृतिपतये नमः

86. ॐ बृहद् स्मणय नमः

87. ॐ ब्रह्मांडाय नमः

88. ॐ भुवनपतये नमः

89. ॐ त्रिभुवनाथ नमः

90. ॐ सतातनाथ नमः

91. ॐ सर्वादये नमः

92. ॐ कर्षापाय नमः

93. ॐ हर्षाय नमः

94. ॐ सुखकत्रे नमः

95. ॐ दुखहर्त्रे नमः

96. ॐ निर्विकल्पाय नमः

97. ॐ निर्विधाय नमः

98. ॐ निस्माय नमः

99. ॐ निराधाराय नमः

100. ॐ निकाकाराय नमः
101. ॐ महदुर्लभाय नमः

102. ॐ निमोहाय नमः

103. ॐ शांतिमुर्तय नमः

104. ॐ शांतिदात्रे नमः

105. ॐ मोक्षदात्रे नमः

106. ॐ स्थवीराय नमः

107. ॐ सूक्ष्माय नमः

108. ॐ निर्मोहय नमः

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version