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शिवलिंग का अद्भुत रहस्य! साल में सिर्फ एक दिन झलक, बाकी रहता है जलमग्न… जानें क्या है इतिहास

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खरगोन. मां नर्मदा के पावन तट पर बसा खरगोन जिला सतपुड़ा और विंध्याचल दो विशाल पर्वत से घिरा है. नर्मदा किनारे सहित जिलेभर में हजारों शिवालय हैं, जो अपनी विशेषताओं के लिए देशभर में प्रसिद्ध हैं. ऐसा ही एक शिवालय नन्हेश्वर धाम में मौजूद है. यहां स्थापित दुर्लभ शिवलिंग पूरे वर्ष जलमग्न रहता है. साल में एक दिन 7 जनवरी को 12 घंटे के लिए भगवान जल से बाहर आकर भक्तों को दर्शन देते हैं. इस दिन हजारों की संख्या में भक्त भगवान के दर्शन पूजन के लिए आते हैं.

दरअसल, भगवान हाटकेश्वर महादेव का यह मंदिर खरगोन से 27 km दूर भगवानपुरा तहसील के भाग्यपुरा गांव में मौजूद है. भगवान का यह स्थान क्षेत्र में के नन्हेश्वर धाम के नाम से प्रसिद्ध है. पारद की दुर्लभ शिवलिंग 7 फिट गहरे कुंड में हमेशा जलमग्न रहती है. खास बात यह है कि इस कुंड में जल स्तर हमेश एक समान रहता है, जो आज भी लोगों के लिए रहस्य बना हुआ है.

मार्कण्डेय ऋषि को यही मिला अमरत्व
नन्हेश्वर धाम को मार्कण्डेय ऋषि की तपोभूमि माना जाता है. कहते है कि, इसी जगह 21 कल्प के बाद भगवान शिव से उन्हें वरदान में अमरत्व की प्राप्ति हुई थी. इस पारद शिवलिंग की स्थापना भी उन्होंने ने की थी. पौराणिक मान्यताओं की अनुसार, पारद भगवान शिव को अति प्रिय है. जिसके दर्शन मात्र से भक्तों का कल्याण हो जाता है. करीब 28 साल पहले एक संत ने जमीन में दबे इस शिवलिंग की खोज की थी. इससे पहले स्थानीय लोगों शिवलिंग की जानकारी नहीं थी.

कई वर्षों तक मिट्टी ने दबा था शिवलिंग
ग्रामीणों के अनुसार, मंदिर के पुजारी संत हरिओम बाबा को यहां शिवलिंग होने का आभाष हुआ था. जब खुदाई की तो मिट्टी में दबा शिवलिंग निकला. कुंड की सफाई होने पर उसमें तुरंत पानी भरना शुरू हो गया और एक नियत स्थान पर आकर रुक गया. लोगों का मानना है कि यह भगवान का चमत्कार है. क्योंकि, तब से आज तक कुंड में पानी खत्म नहीं हुआ.मोटर लगाकर खाली करने पर भी खत्म नहीं होता.

12 घंटों में हजारों भक्त करते ही दर्शन
संत हरिओम बाबा बताते है कि, 7 जनवरी को पहली बार शिवलिंग के दर्शन हुए थे. तब से हर साल इसी तारीख को भगवान का प्रकोत्सव मनाते है. कुंड में मोटर लगाकर पूरे समय पानी खाली करते है, ताकि भक्तों को दर्शन हो सके. सुबह भगवान का पंचामृत से अभिषेक के बाद पूरे दिन भक्त दर्शन, पूजन करते है. रात को शयन आरती के बाद जैसे ही मोटर पंप बंद करते है, भगवान जल में समा जाते है. इन 12 घंटों में मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों से भक्त दर्शन पूजन के लिए आते है. पास में बनी बावड़ी में नहाते है, जिससे उनके शारीरिक रोग दूर होते है.

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