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स्कूल और घर के लिए बच्चों के अलग नाम रखना सही या गलत? क्या कहता है शास्त्र! काशी के विद्वान से जानें सब

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वाराणसी : सनातन धर्म में नामकरण करना एक धार्मिक प्रकिया है. बच्चों के नामकरण संस्कार के दौरान कई खास नियमों का ध्यान रखना पड़ता है. अक्सर ऐसा देखा जाता है एक बच्चे को लोग घर और स्कूल में अलग-अलग नामों से बुलाते हैं. कभी-कभी एक बच्चे के एक, दो या तीन नाम होते हैं. बच्चों के एक से अधिक नाम रखना सही है या गलत यदि आपके मन भी इसको लेकर कोई कन्फ्यूज है तो आज ही अपना कन्फ्यूजन दूर कर लीजिए. काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित संजय उपाध्याय ने नामकरण संस्कार को विस्तार से समझाया है
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पंडित संजय उपाध्याय के अनुसार, बच्चों के एक से अधिक नाम रखना कोई नई परंपरा नहीं है. सतयुग से लेकर कलयुग तक इसके कई उदाहरण हैं .त्रेतायुग में भगवान राम को भी उनकी माता कई नामों से बुलाती थी. वहीं बात द्वापर युग की करें तो उस समय भगवान कृष्ण को ब्रज में कान्हा, नंदलाल, माखनचोर, नंदकिशोर,न टखट जैसे कई नामों से पुकारा जाता था.

हर नाम का पड़ता है अलग असर
पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि हालांकि ये भी सच है कि बचपन में बच्चों को पुकारे जाने वाले अलग-अलग नामों का असर उन पर पड़ता है. वजह है कि कई बार जब मां या रिश्तेदार बच्चों को अलग-अलग नामों से पुकारते हैं तो बच्चा उनके प्रति वैसा ही स्नेह और व्यवहार रखता है.

सोच समझकर करें नाम का चुनाव
पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि लेकिन जब वो बड़ा होकर स्कूल और फिर जॉब करता है तो उसके स्कूल के नाम के हिसाब से भी उसका भविष्य और भाग्य तय होता है. इसलिए बच्चों के नाम एक या उससे अधिक तो हो सकता है लेकिन उनके नाम का चयन ठीक करना चाहिए क्योंकि नाम का अर्थ यदि सही नहीं होगा तो उसका बुरा प्रभाव भी बच्चों पर ही पड़ेगा.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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