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Magh Ravi Pradosh Vrat 2025 हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है. इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होगी. आइए जानते है उज्जैन के आचार्य से की माघमाह का अंतिम प्रदोष व्रत कब रखा जाएगा…और पढ़ें
प्रदोष व्रत
हाइलाइट्स
- माघ मास का अंतिम प्रदोष व्रत 09 फरवरी को होगा।
- प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है।
- प्रदोष व्रत से सुख-समृद्धि और सफलता की प्राप्ति होती है।
Ravi Pradosh Vrat . प्रदोष व्रत का शास्त्रों मे विशेष महत्व है. यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित माना जाता है. मान्यता है कि इस खास दिन पूजा-अर्चना करने से भगवान शिव की कृपा से सुख-समृद्धि और जीवन में सफलता की प्राप्ति होती है. दरअसल, एक महीने में 2 प्रदोष व्रत होते हैं. इस दिन सुबह से शाम तक व्रत किया जाता है और विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने के बाद व्रत का पारण किया जाता है. आइए उज्जैन के पंडित आनंद भारद्वाज से जानते हैं फ़रवरी के पहले और माघ मास के अंतिम प्रदोष व्रत की महिमा…
माघ माह का अंतिम प्रदोष व्रत कब
वैदिक पंचांग के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 09 फरवरी को शाम 07 बजकर 25 मिनट पर शुरू होगी. इसके अगले दिन यानी 10 फरवरी को शाम 06 बजकर 57 मिनट पर समाप्त होगी. हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष काल में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा की जाती है. इसके लिए 09 फरवरी को माघ माह का अंतिम प्रदोष व्रत मनाया जाएगा.
जानिए क्या है प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व
भगवान शिव की उपासना करने से व्यक्ति को आरोग्यता, गुण, ऐश्वर्य, धन, समृद्धि इत्यादि का आशीर्वाद प्राप्त होता है. साथ ही भगवान शिव उपासना करने से कुंडली में उत्पन्न हो रही कई प्रकार के ग्रह दोष भी दूर हो जाते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है. इसके साथ प्रदोष व्रत के दिन दान-पुण्य करने से भी विशेष लाभ प्राप्त होता है और व्यक्ति को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है.
रवि प्रदोष व्रत का महत्व
रवि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा के साथ सूर्य देव की भी पूजा करना शुभ माना जाता है. ऐसा करने से करियर में तरक्की मिल सकती है और जीवन में नए मौके मिलते हैं. शिव पुराण और स्कंद पुराण में बताया गया है कि इस दिन उपवास रखने से रोग और दोषों से मुक्ति मिलती है और धन-संपत्ति प्राप्त होती है.
इन नियमों का जरूर करें पालन
1. प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि के बाद सूर्य देव को अर्घ्य देकर व्रत का संकल्प लें.
2. इसके बाद पूजा स्थल की अच्छे से सफाई करके भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक करें.
3. शिव परिवार का पूजन करें और भगवान शिव पर बेल पत्र, फूल, धूप, दीप आदि अर्पित करें. फिर प्रदोष व्रत की कथा का पाठ करें.
4. पूजा के अंत में भगवान शिव की आरती करें और शिव चालीसा का पाठ जरूर करें. इसके बाद ही अपना उपवास खोलें.
Ujjain,Madhya Pradesh
February 08, 2025, 14:23 IST
09 या 10 फरवरी..कब रखा जाएगा माघ मास का अंतिम प्रदोष व्रत? जानें नियम और महत्व
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.