Home Dharma 300 साल पुराना रांची का अनोखा मंदिर, यहां आंखों में पट्टी बांधकर...

300 साल पुराना रांची का अनोखा मंदिर, यहां आंखों में पट्टी बांधकर पुजारी करते हैं पूजा, चमत्कार की है गारंटी!

0


Last Updated:

Navratri 2025: रांची के ठाकुरगांव स्थित भवानी-शंकर मंदिर 300 साल पुराना है. जहां अष्टधातु की युगल प्रतिमाओं के दर्शन सिर्फ पुजारी और शाहदेव राजपरिवार को नवरात्र में मिलते हैं. जानें इस मंदिर की मान्यताएं.

रांची के ठाकुरगांव के भवानी-शंकर मंदिर का इतिहास 300 साल पुराना है. इस मंदिर में स्थापित अष्टधातु से निर्मित ‘भवानी-शंकर’ की युगल प्रतिमाओं के दर्शन श्रद्धालुओं के लिए वर्जित है. नवरात्र जैसे विशेष अवसरों पर केवल मंदिर के पुजारी और शाहदेव राजपरिवार के सदस्य ही मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश कर सकते हैं.

जबकि अन्य भक्त चुनरी, पुष्प, प्रसाद पुरोहित को सौंप कर मंदिर के आंगन में बैठ जाते हैं. वहीं, माता की स्तुति करते हैं. शाहदेव राजपरिवार के वंशज ठाकुरगांव निवासी जयकुमार नाथ शाहदेव के अनुसार इस मंदिर में साक्षात मां भवानी विराजमान हैं.

नवरात्र में मंदिर में माता की अलग से कोई प्रतिमा स्थापित नहीं की जाती है. वहीं, माता की पूजा भी गोपनीय तरीके से की जाती है. इस दौरान पुजारी आंखों पर पट्टी बांध कर भवानी-शंकर की प्रतिमा को स्नान कराते हैं और वस्त्र बदलते हैं.

अष्टमी को संधि बलि होती है. नवमी के दिन बकरों के साथ एक काड़ा (भैंसे) की बलि देने की प्रथा है. नवमी और विजयादशमी को मेला लगता है. इस मंदिर के निर्माण की कहानी काफी रोचक है.

वर्ष 1543 में नवरत्न गढ़ के महाराज रघुनाथ शाहदेव के पुत्र यदुनाथ शाहदेव की बारात बक्सर जा रही थी. इसी दौरान जिस नदी किनारे बारात ने पड़ाव डाला.

वहां युवराज की तबीयत बिगड़ गयी. आसपास के ग्रामीणों ने महाराज को चेतनाथ बाबा के पास जाने की सलाह दी. चेतनाथ बाबा ने अपने मंत्र से युवराज को स्वस्थ कर दिया.

इसके बाद उन्हें बहुमूल्य चिंतामणि और भवानी-शंकर की प्रतिमाएं दीं. कालांतर में युवराज यदुनाथ शाहदेव के पुत्र कुंवर गोकुल नाथ शाहदेव भवानी-शंकर और चिंतामणि की प्रतिमाओं की पूजा करने लगे.

न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।
homedharm

रांची में मां भवानी का अनोखा मंदिर,पुजारी आंखों में पट्टी बांधकर करते हैं पूजा

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version