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AI and islamic ethics : तेजी से बदली दुनिया में सबकुछ डिजिटल हो रहा है. कुछ साल पहले तक जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती थी, वो आज हकीकत बन चुका है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) इन्हीं चीजों में से एक है, जो अब जिंदगी के हर पहलू में है. धर्म के मामले में AI का सही इस्तेमाल कैसे हो सकता है और क्या इस्लाम इसकी इजाजत देता है, आइये जानते हैं.
अलीगढ़. दुनिया तेजी से डिजिटल हो रही है और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) अब ज़िंदगी के हर पहलू में शामिल हो चुका है. लेकिन क्या इस्लाम में एआई का इस्तेमाल जायज है? इस मसले पर Bharat.one ने अलीगढ़ के मुस्लिम धर्मगुरु चीफ मुफ्ती मौलाना चौधरी इफराहीम हुसैन से कई सवाल पूछे. मौलाना इफराहीम हुसैन बताते हैं कि अगर एआई का इस्तेमाल इंसानियत की भलाई, शिक्षा, इलाज या अच्छे कामों के लिए किया जा रहा है तो यह पूरी तरह जायज है. लेकिन अगर कोई व्यक्ति इसका इस्तेमाल गलत चीजों के लिए करता है जैसे अश्लीलता फैलाने, किसी की तौहीन करने या नुकसान पहुंचाने के लिए तो यह इस्लाम मे नाजायज और हराम माना जाएगा.
सहायक लेकिन निर्णायक नहीं
मौलाना इफराहीम के अनुसार, इस्लाम में हर तकनीक का स्वागत है, बशर्ते उसका उपयोग समाज की भलाई के लिए किया जाए. टेक्नोलॉजी तभी फायदेमंद होती है जब उसका इस्तेमाल इंसानियत के हित में किया जाए. दीन (धर्म) के मामलों में एआई की भूमिका पर मौलाना इब्राहिम कहते हैं कि एआई को सहायक के रूप में तो माना जा सकता है, लेकिन निर्णायक नहीं. अगर कोई धार्मिक मसला समझने के लिए एआई से जानकारी लेता है तो यह ठीक है. लेकिन किसी फतवे या शरीयती फैसले के लिए केवल एआई पर भरोसा करना जायज नहीं. ऐसे में इंसान को खुद सोच-विचार और न्यायिक दृष्टि से निर्णय लेना चाहिए.
हो जाएगा हराम
मौलाना इफराहीम के मुताबिक, इस्लाम हर उस चीज की इजाजत देता है जो भलाई और इंसानियत के काम आए और हर उस चीज व काम की मनाही करता जिससे इंसानियत को नुकसान हो. एआई जैसी तकनीकें भी तभी जायज मानी जाएंगी, जब उनका इस्तेमाल इंसानियत की भलाई, सकारात्मक सोच और नैतिक उद्देश्यों के लिए किया जाए. ऐसा न होने पर एआई जैसी तकनीक को इस्लाम मे नाजायज और हराम करार दिया जाएगा.
Priyanshu has more than 10 years of experience in journalism. Before News 18 (Network 18 Group), he had worked with Rajsthan Patrika and Amar Ujala. He has Studied Journalism from Indian Institute of Mass Commu…और पढ़ें
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