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Chhath festival 2025 Why kele ke patte and aam ki ladki used during Chhath puja | छठ पर्व में क्यों होता है केले के पत्ते और आम की लकड़ी का इस्तेमाल? जानें आध्यात्मिक महत्व

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Chhath Festival 2025: छठी मैया और भगवान भास्कर को समर्पित छठ महापर्व में शुद्धता और पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है और इस पर्व में शामिल होने वाली हर चीज का विशेष महत्व होता है. आपने देखा होगा कि छठ पूजा में केले के पत्ते और आम की लकड़ी का कई जगह प्रयोग होता है. आइए जानते हैं छठ पर्व में क्यों होता है केले के पत्ते और आम की लकड़ी का इस्तेमाल…

Chhath festival 2025: लोक आस्था के महापर्व छठ को चार दिन तक मनाया जाता है, जिसमें पहला दिन नहाय-खाय, दूसरा दिन खरना, तीसरा दिन अस्तगामी सूर्य को अर्घ्य और चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. छठ पूजा में प्रयोग होने वाली हर चीज का विशेष महत्व है और इस पूजा की सभी सामग्री से छोटे किसान व छोटे कारोबारियों को बहुत फायदा भी मिलता है क्योंकि इस पर्व में बाकी अन्य त्योहार की तरह दिखावटी नहीं बल्कि आध्यात्मिक होता है. इस महापर्व पर आम की लकड़ी और केले के पत्ते का बेहद इस्तेमाल होता है, लेकिन क्यों? आइए ये जानने की कोशिश करते हैं.

आम की लकड़ी और केले के पत्ते ही क्यों? – रविवार यानी खरना से व्रती महिलाओं का 36 घंटों का निर्जला उपवास शुरू हो गया है और व्रती पूरी श्रद्धा और भाव के साथ मिट्टी के नए चूल्हे पर आम की लकड़ियों के साथ प्रसाद बनाती हैं. ये प्रसाद सूर्य को अर्घ्य देने के बाद ग्रहण किया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि खाना पकाने में सिर्फ आम की लकड़ियों का ही प्रयोग क्यों होता है और प्रसाद को सिर्फ केले के पत्ते पर ही क्यों परोसा जाता है.

मार्कण्‍डेय पुराण में है जिक्र – छठ का त्योहार पूरी आस्था, शुद्धि और नियम के साथ किया जाता है. मिट्टी के नए चूल्हे पर व्रती खाना बनाती हैं और आम की लकड़ियों का इस्तेमाल करती हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि छठी मइया को प्रकृति की देवी माना जाता है. मार्कण्‍डेय पुराण में इस बात का जिक्र किया गया है कि छठी मइया प्रकृति का छठवां हिस्सा है. भगवान ब्रह्मा ने जब प्रकृति को बनाया तो छह हिस्सों में बांट दिया और इस हिस्से को मां छठी को समर्पित कर दिया.

इसलिए होता है आम की लकड़ियों का प्रयोग – आम की लकड़ियों को सबसे शुद्ध माना जाता है. हवन और पूजा पाठ में आम की लकड़ियों का ही इस्तेमाल होता है और उन्हें सबसे शुद्ध माना जाता है. ऐसे में खरना के प्रसाद को शुद्ध बनाने के लिए चूल्हे में सिर्फ आम की लकड़ियों का इस्तेमाल सदियों से होता आ रहा है और आज भी ये परंपरा जारी है.

इसलिए होता है केले के पत्तों का प्रयोग – खरना के प्रसाद को केले के पत्तों पर परोसा जाता है. पहले केले के पत्तों को पानी से साफ किया जाता है और फिर पत्ते पर कई जगह रखा जाता है. खरना में केले के पत्ते का अलग महत्व है. धार्मिक अनुष्ठानों में सदियों से केले के पत्ते का इस्तेमाल होता आया है. शादी, पूजा-पाठ, दरवाजा और मंडप तक को सजाने में केले के पत्ते का इस्तेमाल उत्तर से लेकर दक्षिण तक के राज्यों में किया जाता है. माना जाता है कि केले के पेड़ और पत्ते पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का वास होता है और इसकी पूजा करने या पत्तों का इस्तेमाल करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और हर बाधा दूर होती है. इसके अलावा घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी होता है.

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छठ पर्व में क्यों होता है केले के पत्ते और आम की लकड़ी का प्रयोग? जानें महत्व

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