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Chhath Puja: छठ में खरना के दिन इस लकड़ी से बनाना चाहिए महाप्रसाद, माना जाता है बेहद शुभ, यहां पढ़ें चार दिन की रस्में

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Chhath Puja rituals: खरना के दिन अरवा चावल और गुड़ से महा प्रसाद बनाया जाता है. इस प्रसाद को चुल्हे पर तैयार किया जाता है. इस दौरान चुल्हे में जलावन के लिए खास तौर पर आम की लकड़ी का उपयोग किया जाता है. देवघर के ज्योतिषी ने बताया आम की लकड़ी का महत्व.

देवघर. 25 अक्टूबर से नहाए खाए के साथ ही छठ महापर्व की शुरुआत हो जाएगी. लोग कहीं भी कार्य करें लेकिन इस महापर्व को मनाने के लिए खासकर उत्तर भारत के लोग अपने घर जरूर जाते हैं. वहीं जैसे-जैसे तारीख नजदीक आ रही है छठ महापर्व की तैयारी में तेजी आ चुकी है. इसमें उपयोग होने वाले सूप और डाला से लेकर चढ़ने वाला प्रसाद का भी सीधे तौर पर प्रकृति से जुड़ाव होता है. छठ महापर्व में कद्दू भात के अगले दिन खरना का प्रसाद बनाया जाता है. जिसे महाप्रसाद कहते हैं. यह महाप्रसाद मिट्टी के चूल्हे में तैयार किया जाता है. लेकिन कुछ विशेष लड़की से ही महाप्रसाद तैयार किया जाता है. ऐसा क्यों हैं जानते हैं देवघर के ज्योतिषाचार्य जी से?

देवघर के पागल बाबा आश्रम स्थित मुदगल ज्योतिषकेंद्र के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंद किशोर मुदगल ने Bharat.one के संवाददाता से बातचीत करते हुए कहां कि कोई भी मांगलिक या धार्मिक कार्य को पूरा करने के लिए आम की लकड़ी का प्रयोग किया जाता है. पूजा पाठ के हवन में इस लकड़ी का ही प्रयोग किया जाता है. क्योंकि यह लकड़ी सबसे शुद्ध या पवित्र होती है. छठ पूजा के दूसरे दिन खरना होता है और इस दिन व्रती दिन भर उपवास में रहती है. शाम के वक्त गुड़ और अरवा चावल की खीर बनाई जाती है. जिसे छठी मैया को भोग लगाने के बाद व्रती ग्रहण करती हैं. इसे केला के पत्ते पर खाने की परंपरा है. इस प्रसाद को ग्रहण कर व्रत 36 घंटे के निर्जला उपवास पर चली जाती है.

छठ पूजा का कैलेंडर
पहला दिन: नहाय-खाय 25 अक्टूबर, शनिवार छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय से होती है. इस दिन व्रती नदी या तालाब में स्नान करते हैं और शुद्ध, सरल भोजन ग्रहण करते हैं.
दूसरा दिन: खरना पूजन 26 अक्टूबर, रविवार इस दिन गुड़ और चावल का खीर बनाई जाती है जिसे महाप्रसाद कहा जाता है. इस दिन का महाप्रसाद कही ना कही से जरूर ग्रहण करना चाहिए.
तीसरा दिन: संध्या अर्घ्य 27 अक्टूबर, सोमवार इस दिन व्रती शाम को नदी या तालाब के किनारे जाकर अस्त होते सूर्य को जल अर्घ्य देते हैं.
चौथा दिन: उषा अर्घ्य 28 अक्टूबर, मंगलवार अंतिम दिन सुबह उगते हुए सूर्य को दूध से अर्घ्य दिया जाता है. इसके बाद व्रती अपना निर्जला उपवास तोड़ते हैं और इस महापर्व का समापन होता है.

Mohd Majid

with more than 4 years of experience in journalism. It has been 1 year to associated with Network 18 Since 2023. Currently Working as a Senior content Editor at Network 18. Here, I am covering hyperlocal news f…और पढ़ें

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छठ में खरना के दिन इस लकड़ी से बनाना चाहिए महाप्रसाद, माना जाता है बेहद शुभ

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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