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Dhanteras Puja with silver coin kuber temple in jageshwar dham Uttarakhand | Dhanteras पर इस मंदिर में ले जाइए चांदी का सिक्का, कुबेर देव कर देंगे मालामाल, दूर-दूर से मिट्टी लेने आते हैं भक्त

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Dhanteras 2025: दिवाली का पर्व आने वाला है और दीपावली की शुरुआत धनतरेस के पर्व से होती है. इस बार धनतेरस का पर्व 18 अक्टूबर दिन शनिवार को मनाया जाएगा और 20 अक्टूबर को दीपावली का पर्व मनाया जाएगा. धनतरेस के दिन अगर आप चांदी के सिक्के के साथ इस खास मंदिर जाते हैं और आर्थिक स्थिति मजबूत होती है…

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पूरे देश भर में 18 अक्टूबर दिन शनिवार को कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि में धनतेरस का त्योहार मनाया जाने वाला है. धनतेरस के दिन मुख्यत: भगवान धन्वंतरि, भगवान कुबेर और माता लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है. धनतेरस पर नमक, झाड़ू, साबुत धनिया और झाड़ू खरीदना शुभ माना जाता है, लेकिन हम आपके लिए ऐसे मंदिर की जानकारी लेकर आए हैं, जहां मात्र सिक्का ले जाने से श्रद्धालु मालामाल होता है. उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित जागेश्वर धाम नाम का मंदिर है. मान्यता है कि इस मंदिर की मिट्टी घर ले जाने पर बरकत आती है. आइए जानते हैं इस मंदिर के बारे में खास बातें…

शिव और कुबेर दोनों की होती है पूजा
जागेश्वर धाम में कुबेर भगवान एकमुखी शिवलिंग के साथ विराजमान हैं. यहां भगवान शिव और कुबेर दोनों की पूजा होती है. माना जाता है कि अगर किसी का कारोबार ठप पड़ गया है तो इस मंदिर के गर्भगृह की मिट्टी ले जाकर अपनी तिजोरी में रखने से आर्थिक स्थिति सुधरती है और घर में धन-धान्य बना रहता है. भक्त दूर-दूर से यहां मिट्टी लेने के लिए आते हैं.

मंदिर में चांदी का इस्तेमाल
मंदिर की एक और मान्यता है, जिसमें चांदी के सिक्के का इस्तेमाल होता है. कहा जाता है कि आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए या कर्ज से मुक्त होने के लिए चांदी का सिक्का लेकर मंदिर जाएं. वहां मंदिर में मंत्र पढ़कर और सिक्के की पूजा कराकर उसे पीले कपड़े में बांधकर अपने घर ले जाएं तो आर्थिक परेशानी से मुक्ति मिलती है. अपनी मनोकामना को पूरा कराने के लिए यहां कुबेर भगवान को खीर अर्पित की जाती है.

मंदिर की बनावट बहुत पुरानी
दिवाली और धनतेरस के मौके पर मंदिर में खास पूजा अर्चना होती है. धनतेरस पर एकमुखी शिवलिंग के साथ विराजमान कुबेर के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है. यहां की मिट्टी अपने घर ले जाने के लिए भक्तों के बीच होड़ लगी रहती है. मंदिर की बनावट बहुत पुरानी है. मंदिर के निर्माण को लेकर भी संशय है. कुछ लोगों का कहना है कि मंदिर का निर्माण 7वीं शताब्दी में हुआ, जबकि कुछ लोगों का मानना है कि मंदिर 9वीं और 14वीं वीं शताब्दी में बना है. मंदिर के सही निर्माण की जानकारी नहीं है. मंदिर प्रांगण में देवी-देवताओं के कई मंदिर मौजूद हैं.

मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प… और पढ़ें

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