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Ground Report: कभी देखी है तांत्रिकों की दिवाली पूजा? इस चीज की देते बलि, जलती चिता के बीच 5 दिन तक चलता खेल

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शुभम मरमट / उज्जैन. धार्मिक नगरी उज्जैन विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल नगरी के नाम से जानी जाती है. यहां हर पर्व बड़े ही धूमधाम के साथ मे मनाया जाता है. कालों के काल महाकाल की इस भूमि और मां क्षिप्रा के तट पर स्थित श्मशान में तंत्र साधना का अपना एक अलग महत्व है. एक तरफ दिवाली पर घर दुकान प्रतिष्ठान ऑफिस में लक्ष्मी माता का पूजन दीपावली पर होगा. तो वहीं उज्जैन के श्मशान में लक्ष्मी प्राप्ति के लिए तंत्र मंत्र और टोटके का सहारा लिया जा रहा है. लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए देश भर के कई तांत्रिक तंत्र साधना करने उज्जैन के श्मशान पहुंचे हैं. जो कि पांच दिन तक श्मशान में रहकर तंत्र साधना करेंगे.

रात 12 बजे जब श्मशान मे गूंजे तांत्रिको के मंत्र
तंत्र क्रिया से जुड़े लोग सालभर दिवाली की काली रात का इंतजार करते हैं. धन प्राप्ति और सुख समृद्धि के लिए तांत्रिक घनी अँधेरी रात में जलती चिता के पास श्मशान में बैठकर रात भर पूजा करते हैं. ये पूजा पांच दिन तक चलती है. जिसमें तांत्रिक तंत्र साधन करते हैं रात 12 बजे से शुरू होने वाली तंत्र क्रिया देर रात तक चलती है.

पांच दिवसीय शुरू हुआ तंत्र-मंत्र
उज्जैन के तांत्रिक भय्यू महाराज नें Bharat.one को बताया कि वह चक्रतीर्थ श्मशान में 16 तारीक से कार्तिक मास की अमावसया (दीपावली) की रात तक तांत्रिक तंत्र साधना करने पहुंचे हैं. रात करीब 12 बजे लक्ष्मी माता को खुश करने के लिए शुरू हुई. जलती चिता से कुछ ही दूरी पर रोजाना करीब तीन घंटे तक चलने वाली तंत्र साधना भैरव मंदिर में शुरू हुई जिसमें नींबू, कील, मिर्च, मदिरा, मिठाई, मावा, फल, सिंदूर, अबीर, माचिस, कंडे, फूल, दीपक से लक्ष्मी माता को प्रसन्न करने के लिए तंत्र क्रिया की गई.

दिवाली की रात क्यों होती है तांत्रिको के लिए खास
तांत्रिक भय्यू महाराज नें बताया साल भर मे 12 अमावस्या में कार्तिक मास की अमावस्या विशेष महत्व रखती है. क्यूंकि इस दिन दीपावली का पर्व भी रहता है. इस दिन विशेष पूजन होती है जो कि पांच दिन पहले शुरू होकर अमावस्या की काली रात तक चलती है. विशेष तंत्र क्रिया अमावस्या की रात को ही की जाती है. इस तरह से लोग अपने-अपने तरीके से अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए पूजन करते हैं. इसमें भैरव पूजन, काली माता पूजन, लक्ष्मी प्राप्ति के लिए पूजन, कोई कुबेर साधना और धन प्राप्ति के लिए अलग-अलग तंत्र क्रिया करवाता है. उसमें उल्लूक साधना होती है, इसमें उल्लू की बलि भी दी जाती है. कई तांत्रिक उल्लुओं की बलि देते हैं और लक्ष्मी प्राप्ति के लिए उसमें तंत्र प्रयोग, मंत्र प्रयोग, यंत्र प्रयोग और टोटके जैसा इस्तेमाल करते हैं.

कई तांत्रिक करते हैं कछुवे का पूजन
तांत्रिक भय्यू महाराज नें बताया माँ लक्ष्मी का पूजन में कछुवे का विशेष महत्व है. कछुए के पूजन को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है. उज्जैन के चक्रतीर्थ श्मशान सबसे जाग्रत श्मशान माना जाता है. यहां पर 5 दिन तक अलग-अलग साधना की जाती है जिसमें कोड़ी साधना धन प्राप्ति के लिए की जाती है, रत्ती की साधना की जाती है जिसमें कलाई में बांधकर किया जाता है या व्यापार स्थल पर भी बांधा जाता है कुबेर साधना ,धन साधना ,गणेश साधना, गौरी गणेश साधना अलग-अलग पूजन किया जाता है.

उज्जैन के शमशान को मिला है तीर्थ का दर्जा
धार्मिक नगरी में जो शमशान है उसे तीर्थ का दर्जा दिया गया है. इसकी उल्लेख कई पुराणों में मिलती है. दुनिया भर में 5 सबसे महत्वपूर्ण श्मशान माने जाते हैं. कामाख्‍या का श्मशान (असम), तारा‍पीठ का श्मशान (कोलकाता), रजरप्पा श्मशान (झारखंड), नलखेड़ा बगलामुखी श्मशान (मध्यप्रदेश), त्र्यंबकेश्वर का श्मशान (महाराष्ट्र) और उज्जैन का चक्रतीर्थ श्मशान भी उसमे शामिल है.

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