शुभम मरमट / उज्जैन. हिन्दू धर्म मे हर तिथि हर व्रत का अलग महत्व है. ऐसा ही एक व्रत अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत रखा जाता है. करवा चौथ के दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं. पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. इस साल करवा चौथ का व्रत कब रखा जायगा. इसकी शुरुआत कहां से हुईं उज्जैन के पंडित आनंद भारद्वाज से जानते है.
इस वर्ष चतुर्थी तिथि 20 अक्टूबर 2024, रविवार को सुबह 6 बजकर 46 मिनट के बाद प्रारंभ होगी और इसका समापन 21 अक्टूबर 2024 को सुबह 4 बजकर 16 मिनट पर होगा.
महिलाएं रखती हैं निर्जला व्रत
करवाचौथ के दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत खोलती हैं. कुंवारी कन्याएं भी अच्छे वर के लिए व्रत को रखती हैं. ये व्रत सूर्योदय से शुरू होकर चंद्रोदय तक रहता है. इस दौरान व्रती महिलाएं अन्न और जल किसी भी चीज का सेवन नहीं करती हैं.
माता गौरी ने रखा था व्रत
मान्यताओ के साथ पंडित आनंद भारद्वाज बताते है कि करवा चौथ का व्रत अनादि काल से ही चला आ रहा है. धार्मिक मान्यता के अनुसार सबसे पहले करवा चौथ का व्रत माता गौरी ने भगवान भोलेनाथ के लिए रखा था. इस दिन उन्होंने पूरे दिन निर्जला उपवास रखकर चांद को अर्घ्य दिया था और तब से ही करवा चौथ मनाने की परंपरा चली आ रही है. उन्होंने बताया शास्त्रों मे और भी कई मान्यता है जैसे कि एक अन्य मान्यता के अनुसार देव-दानव युद्ध के बाद जब सभी देवी ब्रह्मदेव के पास पहुंचे थे और उनसे अपनी पतियों की रक्षा के लिए सुझाव मांगा था तब उन्होंने सभी देवियों को करवा चौथ के व्रत रखने की सलाह दी थी और तभी से करवा चौथ की परंपरा चली जा रही है.
पूजा मे जरूर करे इन मंत्रो का जाप
ऊँ एकदंताय नम:
ऊँ गौर्ये नम:,
ऊँ चतुर्थी देव्यै नम:
ऊँ नम: शिवाय
FIRST PUBLISHED : October 17, 2024, 14:14 IST