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Mahabharat: महाभारत में अर्जुन के रथ पर बैठे हनुमान क्यों हुए कर्ण से क्रोधित, करने लगे गर्जना, सहम गए सब

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हाइलाइट्स

कर्ण ने अर्जुन पर बाण चलाए, जिससे हनुमान क्रोधित हुएहनुमान जी अर्जुन के रथ की रक्षा कर रहे थे.बाद में कृष्ण ने हनुमान को शांत किया

क्या आपको मालूम है कि महाभारत के युद्ध में हनुमान जी धुनर्धर अर्जुन के रथ पर सवार थे. तभी कुछ ऐसा हुआ कि हनुमान जी बहुत गुस्सा आ गया. वह इतनी गर्जना करने लगे कि युद्ध में सभी सहम गए. कौरवों की सेना भागने लगी. पांडवों की सेना भयभीत हो गई. कर्ण तो थर-थर कांपने लगा. उसे लगा कि अब उसकी जान बचेगी भी कि नहीं.

महाभारत के युद्ध के दौरान हनुमान जी का क्रोध एक महत्वपूर्ण घटना थी. दरअसल जब कर्ण और अर्जुन के बीच युद्ध चल रहा था, तब कर्ण ने अर्जुन पर बाणों की ताबड़तोड़ वर्षा करनी शुरू कर दी. बाण भगवान अर्जुन को भी लगे, वह चोटिल हो गए. हनुमान जी रथ की छत पर बैठे थे, इस दृश्य को देखकर वह बहुत क्रोधित हो गए.

नाराज हनुमान कर्ण को मारने वाले थे
क्रोध में हनुमान ने तय किया कि वह अब किसी भी हालत में कर्ण को जिंदा नहीं छोड़ेंगे. उनकी नाराजगी गर्जना के तौर पर सामने आई. ये गर्जना इतनी भयंकर थी कि इससे कौरव सेना भागने लगी और पांडवों की सेना भी भयभीत हो गई.

हनुमान युद्ध के मैदान में कर्ण की हरकत पर इतने नाराज हुए कि वह उसको मारने के लिए दौड़ पड़े. तब कृष्ण ने शांत किया. (Image generated by Leonardo AI)

कर्ण की किस हरकत पर आया गुस्सा
दरअसल कर्ण को भी उसके गुस्से के लिए जाना जाता है. हुआ ये कि जब महाभारत के युद्ध में कर्ण और अर्जुन आमने सामने हुए तो कर्ण ने अर्जुन पर बाणों से प्रहार करना शुरू किया. लेकिन जब इससे अर्जुन का कुछ नहीं बिगड़ा तो वह गुस्से से भर उठा. उसने अर्जुन को नुकसान पहुंचाने के लिए ताबड़तोड़ कई तीर एक साथ चलाने शुरू कर दिए.

कृष्ण को लगे थे बाण
बाणों की ये बौछार इतनी तेज थी कि कर्ण ये भी नहीं देख रहा था कि उसके तीर किधर जा रहे हैं. जबकि युद्ध का नियम है कि सामने वाले योद्धा का आक्रमण ऐसा होना चाहिए कि सारथी का कुछ नहीं बिगड़े. जब कर्ण ने ये नहीं देखा और उसके कई बाणों के प्रहार से कृष्ण घायल हो गए. उन्हें खून बहने लगा तो हनुमान आपे से बाहर हो गए.

हनुमान की गर्जना से सब डर गए
उन्होंने कर्ण को मारने के लिए उसकी ओर दौड़ने का निर्णय लिया. स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि हनुमान जी की गर्जना से कौरव सेना में हड़कंप मच गया. पांडव सेना को डर लगा कि अब पता नहीं क्या अनहोनी होने वाली है.

कैसे तब कृष्ण ने उन्हें शांत किया
हनुमान जी का यह क्रोध देखकर भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें सावधान किया कि अगर वे इसी तरह कर्ण की ओर देखते रहे, तो वह उनकी दृष्टि से ही मर जाएगा. श्रीकृष्ण ने हनुमान जी को शांत करने के लिए उन्हें स्पर्श किया, जिससे वे शांत हो गए लेकिन उनकी पूंछ अब भी आकाश में हिल रही थी. उनकी आंखों में आग भरी हुई थी. कृष्ण ने हनुमानजी को यह भी बताया कि यह त्रेतायुग नहीं है, और उन्हें शांत रहना चाहिए

कैसे हनुमान हुए अर्जुन के रथ पर विराजमान
अगर हनुमान जी कर्ण को मार देते, तो युद्ध का परिणाम तभी बदल जाता. अब आप ये सोच रहे होंगे कि आखिर क्यों हनुमान जी अर्जुन के रथ पर विराजमान हुए. दरअसल हनुमान जी को ये सलाह कृष्ण ने दी थी. उन्होंने हनुमान को अर्जुन के रथ की ध्वजा पर विराजमान होने के लिए कहा था. इससे सुनिश्चित होगा कि कौरवों के बाण अर्जुन के रथ को नुकसान नहीं पहुंचा सकेंगे, क्योंकि हनुमान जी का वजन रथ को स्थिर रखेगा.

उससे अर्जुन को क्या फायदा हुआ
हनुमान जी के रथ पर विराजमान होने से अर्जुन को युद्ध में अद्वितीय शक्ति और साहस मिला. इससे न केवल अर्जुन का आत्मविश्वास बढ़ा, बल्कि यह भी सुनिश्चित हुआ कि वह युद्ध में आगे बढ़ सकें. दुश्मनों का सामना कर सकें. हनुमान जी की उपस्थिति ने युद्ध को प्रभावित किया. पांडवों को विजय दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

युद्ध खत्म होते ही अर्जुन के रथ में क्यों विस्फोट हो गया
युद्ध खत्म होने पर जब हनुमानजी रथ से उतरे तो अर्जुन का रथ विस्फोट के साथ ध्वस्त हो गया. तब लोग हैरान हो गए. ऐसे में श्रीकृष्ण ने बताया कि रथ पर कई बाण और अस्त्र लगे हुए थे, लेकिन हनुमान जी की उपस्थिति के कारण रथ सुरक्षित रहा. अगर हनुमानजी नहीं होते तो रथ पहले ही नष्ट हो चुका होता.

किसने दिया था हिरासत 
अब सवाल उठता है कि युद्ध में अर्जुन को बेमिसाल रथ किसने दिया. ये रथ भगवान श्रीकृष्ण ने दिया था, जो विशेष रूप से दिव्य शक्तियों से युक्त था. ये असल में कृष्ण को तब अग्निदेव से मिला जो उन्होंने अर्जुन के साथ मिलकर खांडव वन को जलाने में मदद की.

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