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कोसमनारा गांव के बाबा सत्यनारायण की दिनचर्या रहस्यमयी है. वे कब सोते हैं, क्या खाते हैं और कैसे इतनी गर्मी, सर्दी और बारिश सहन कर लेते हैं, यह कोई नहीं जानता. बाबा पूरे दिन और रात तपस्या में लीन रहते हैं. केवल …और पढ़ें
सत्यनारायण बाबा
हाइलाइट्स
- बाबा सत्यनारायण 26 वर्षों से एक ही स्थान पर तपस्या में लीन हैं.
- तपती गर्मी, ठंड, बारिश का मौसम भी बाबा की साधना को प्रभावित नहीं कर पाता.
- देश-विदेश से भक्त बाबा सत्यनारायण के दर्शन के लिए कोसमनारा गांव आते हैं.
रायपुर:- छत्तीसगढ़ में रोचक किस्सों, रहस्यों और आस्था की कमी नहीं है. दरअसल रायगढ़ जिले से महज चार किलोमीटर दूर कोसमनारा गांव का बाबा धाम श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है. यहां 26 सालों से तपस्या में लीन सत्यनारायण बाबा को देखने के लिए देश-विदेश से भक्तों की भीड़ उमड़ती है. बाबा सालभर एक ही स्थान पर बैठकर साधना में लीन रहते हैं.
तपती गर्मी हो या कड़ाके की ठंड, बारिश का मौसम हो या तेज धूप, मौसम की कोई भी मार बाबा की तपस्या को प्रभावित नहीं कर पाती. उनका जीवन रहस्य और आस्था से भरा हुआ है, जिसे देखने और महसूस करने के लिए भक्तों की लंबी कतारें लगती हैं.
16 फरवरी 1998 से लगातार तपस्या
सत्यनारायण बाबा का जन्म 12 जुलाई 1984 को रायगढ़ के ग्राम डुमरपाली देवरी में हुआ था. उनका असली नाम हलधर था, लेकिन परिवार और गांववाले उन्हें सत्यम कहकर बुलाते थे. कहा जाता है कि 16 फरवरी 1998 को जब वे महज 13-14 साल के थे, तब स्कूल जाने के लिए निकले और फिर लौटकर घर नहीं आए. वे कोसमनारा पहुंचे और वहां शिवलिंग के पास साधना में लीन हो गए. इस दौरान उन्होंने अपनी जीभ काटकर भगवान शिव को समर्पित कर दी. तब से लेकर आज तक वे लगातार एक ही स्थान पर बैठकर तपस्या कर रहे हैं.
खाने-पीने और दिनचर्या का रहस्य
बाबा की दिनचर्या रहस्यमयी है. वे कब सोते हैं, क्या खाते हैं और कैसे इतनी गर्मी, सर्दी और बारिश सहन कर लेते हैं, यह कोई नहीं जानता. बाबा पूरे दिन और रात तपस्या में लीन रहते हैं. केवल रात के समय वे अपनी आंखें खोलते हैं और भक्तों से इशारों में बात करते हैं. इसी दौरान वे फल और दूध का सेवन करते हैं. बाबा से मिलने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं और अपनी समस्याएं बताते हैं, जिनका समाधान बाबा इशारों में ही देते हैं.
अखंड जल रही है धूनी
शिवलिंग के पास, जहां बाबा तपस्या कर रहे हैं, वहां एक अखंड धूनी प्रज्जवलित है, जो 26 वर्षों से लगातार जल रही है. यह स्थान भक्तों के लिए आस्था और चमत्कार का केंद्र बन गया है. बाबा पहले जमीन पर बैठकर तपस्या करते थे, लेकिन भक्तों के आग्रह पर वे चबूतरे पर बैठने लगे हैं. छत्तीसगढ़ के अलग-अलग जिलों के अलावा अन्य राज्यों और विदेशों से भी लोग दर्शन के लिए पहुंचते हैं. भक्तों का मानना है कि बाबा साक्षात भगवान के अवतार हैं. तपती गर्मी में भी बाबा की साधना प्रभावित नहीं होती, जो भक्तों के लिए अचरज का विषय है.
बचपन से ही शिव साधना में लीन
बाबा की मां हंसमती के अनुसार, वे बचपन से ही भगवान शिव की पूजा में लीन रहते थे. पहली बार उन्होंने अपने गांव के शिव मंदिर में सात दिनों तक अनवरत तपस्या की थी. इसके बाद वे कोसमनारा पहुंचे और वहीं साधना में बैठ गए. आज वे पूरे देश में श्रद्धा और भक्ति के प्रतीक बन चुके हैं. बाबा सत्यनारायण की यह तपस्या आस्था का एक ऐसा केंद्र बन चुकी है, जिसे देखने के लिए हर साल हजारों श्रद्धालु यहां आते हैं. तपती गर्मी और मौसम की कठिनाइयों के बावजूद उनकी साधना आज भी जारी है, जो लोगों के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं.
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